भारत की तीसरी जीत, ओमान पर 21 रन की बढ़त और रणनीति का संदेश
अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में भारत ने ओमान को 21 रन से हराकर ग्रुप ए में लगातार तीसरी जीत दर्ज की और सुपर 4 के टिकट पर पक्की मोहर लगा दी। स्कोरबोर्ड पर 188/8 चढ़ाने के बाद भारतीय गेंदबाजों ने बिना जसप्रीत बुमराह के भी लक्ष्य की रखवाली की और ओमान को 167/4 पर थाम दिया। यह जीत सिर्फ अंक तालिका के लिए नहीं, टीम की सोच और गहराई का भी साफ इशारा है।
सबसे बड़ी सुर्खी—जसप्रीत बुमराह को आराम और अर्शदीप सिंह को मौका। यह फैसला उसी दिशा में जाता दिखा, जिसकी वकालत पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर कर रहे थे—बुमराह को फाइनल (28 सितंबर) के लिए तरोताज़ा रखने की योजना। टूर्नामेंट के निर्णायक पड़ाव से पहले वर्कलोड मैनेजमेंट को मैदान पर उतारते हुए टीम मैनेजमेंट ने बतौर समूह अपनी तैयारी का भरोसा दिखाया।
भारतीय प्लेइंग XI में बदलाव सीमित पर सोच-समझकर था: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), संजू सैमसन (विकेटकीपर), शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा, तिलक वर्मा, शिवम दुबे, हार्दिक पंड्या, अक्षर पटेल, हर्षित राणा, अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव। यानी तेज गेंदबाजी यूनिट में बुमराह की जगह बाएं हाथ की विविधता के साथ अर्शदीप, और नए-उभरते विकल्प के रूप में हर्षित राणा। इसके पीछे साफ मकसद—डेथ ओवर्स और नई गेंद के संयोजन में विकल्प बढ़ाना।
टॉस जीतकर भारत ने पहले बल्लेबाजी चुनी। दिलचस्प यह रहा कि पिछले दो मैचों में कुल 20.2 ओवर ही बल्लेबाजी मिली थी, क्योंकि लक्ष्य छोटे थे और चेस आसानी से हो गया था। इस बार पूरी 20 ओवर बल्लेबाजी का अभ्यास मिला—ठीक वही अभ्यास जो नॉकआउट से पहले कॉम्बिनेशन सेट करने में काम आता है। पावरप्ले में लय बनी तो बीच के ओवरों में रोटेशन और बाउंड्री-खोज का संतुलन दिखा। आखिरी ओवरों में रन बटोरकर 188/8 जैसा प्रतिस्पर्धी स्कोर खड़ा हुआ।
टॉप ऑर्डर में अभिषेक शर्मा ने वही इरादा दिखाया, जिसकी वजह से उनका टी20आई स्ट्राइक रेट 195+ बना हुआ है। गिल ने साझेदारी को समय दिया, और कप्तान सूर्यकुमार यादव ने बीच के ओवरों में गियर शिफ्ट किया—रनरेट को बांधने नहीं दिया। मध्यक्रम में तिलक वर्मा की शांति, शिवम दुबे की लंबी हिटिंग और हार्दिक पंड्या के फिनिशिंग टच ने स्कोर को सुरक्षा-सीमा के पार पहुंचाया। अक्षर पटेल ने भी छोटी लेकिन काम की गेंदें-बल्ला दोनों से भूमिका निभाई।
ओमान की बात करें तो उनकी प्लेइंग XI—आमिर कलीम, कप्तान जतिंदर सिंह, हम्माद मिर्जा, विकेटकीपर विनायक शुक्ला, शाह फैसल, जिक्रिया इस्लाम, आर्यन बिष्ट, मोहम्मद नदीम, शाकिल अहमद, समाय श्रीवास्तव और जीतन रमणंदी—कागज पर युवा और अनुभव में सीमित दिखती है। लेकिन चेस में उन्होंने 167/4 तक पहुंचकर 20 ओवर में मैच को जीवंत रखा। भारत के खिलाफ यह सिर्फ स्कोर नहीं, आत्मविश्वास का भी इजाफा है।
भारतीय गेंदबाजी की बात करें तो बुमराह के बिना भी नियंत्रण ढीला नहीं पड़ा। अर्शदीप सिंह को अहम चरणों में ओवर मिले, हर्षित राणा ने हिट-द-डेक विकल्प दिया, और मध्य ओवरों में कुलदीप यादव ने टेम्पो पर लगाम लगाई। हार्दिक पंड्या और शिवम दुबे ने फेज-टू-फेज बॉलिंग से कप्तान की योजनाओं को सपोर्ट दिया। फिल्डिंग भी चुस्त रही—सीमारेखाओं पर सेव और इनर रिंग में तेज हाथ—यही छोटे-छोटे पल 15-20 रन की बढ़त बना देते हैं।
इस जीत से पहले भारत ने यूएई और पाकिस्तान के खिलाफ भी एकतरफा मुकाबले जीते थे। वहीं ओमान दोनों से भारी अंतर से हारा था। ऐसे बैकड्रॉप में 21 रन का यह फासला भारत की ताकत जितना ही, टूर्नामेंट की ग्रुप-डायनेमिक्स की कहानी कहता है—टॉप टीम्स अपने सर्वश्रेष्ठ संयोजन और विकल्पों को एक साथ आजमा रही हैं।
रणनीति का बड़ा संदेश स्पष्ट है—फाइनल पर नजरें हैं, लेकिन रास्ते में खिलाड़ियों की ताजगी और बेंच की परीक्षा भी उतनी ही जरूरी। बाएं हाथ के अटैक ऐंगल के साथ अर्शदीप डेथ में यॉर्कर और हार्ड लेंथ, दोनों दे सकते हैं। हर्षित राणा की गति और लंबाई यूएई की सतहों पर असर दिखा सकती है। कुलदीप मध्य ओवरों में विकेट निकालने के लिए भारत के सबसे भरोसेमंद विकल्प बने हुए हैं, और अक्षर जैसी उपयोगी ऑलराउंड स्किल टीम की बैलेंस शीट को स्थिर रखती है।
शेख जायद स्टेडियम के हालात आम तौर पर बड़े बाउंड्री और कभी-कभी दो-गति वाली पिच दिखाते हैं। ऐसे में 180+ स्कोर आपको मैच में आगे रखता है, बशर्ते बीच के ओवरों में विकेट-टू-विकेट गेंदबाजी और डेथ में एग्जिक्यूशन सही रहे। भारत ने दोनों बॉक्स टिक किए—इसीलिए 188/8 ने दबाव बनाया और ओमान को लगातार जोखिम लेने पड़े।
गावस्कर की सलाह—बुमराह को सिर्फ ओमान नहीं, पाकिस्तान के खिलाफ भी आराम—अब बहस का विषय है। क्या ऐसा होगा? टीम मैनेजमेंट मैच-टू-मैच संदर्भ देखता है: विपक्ष, पिच, ओवर-लोड और कॉम्बिनेशन। पर एक बात तय है—फाइनल 28 सितंबर को है और उसके लिए बुमराह का टॉप-शेप में होना सबसे बड़ी प्राथमिकता। इसी सोच के साथ भारत ने ओमान के खिलाफ रोटेशन को अमल में उतारा और उसे परिणाम के साथ जोड़ा।
ओमान के लिए इस मैच की कीमत अलग है। जतिंदर सिंह पिछले दो मुकाबलों में 0 और 20 पर रहे थे, इस बार टीम ने 20 ओवर टिककर खेलते हुए सीखने की मानसिकता दिखाई। उनके युवा खिलाड़ियों को उच्च-स्तरीय फील्डिंग, स्पिन के खिलाफ स्ट्राइक रोटेशन और डेथ ओवर्स हिटिंग के सबक मिले—इन्हीं सूक्ष्म सुधारों से एसोसिएट टीमें आगे बढ़ती हैं।
भारत के लिए बैटिंग टेम्पलेट भी स्पष्ट दिखा—पावरप्ले में इरादा, बीच के ओवरों में स्मार्ट रोटेशन और आखिरी पांच में गति। संजू सैमसन की विकेटकीपिंग और डीआरएस कॉल्स में शार्पनेस दिखी, जो नॉकआउट में बड़ी बनती है। कप्तान सूर्यकुमार की फील्ड-प्लेसमेंट और बॉलिंग-चेंजेस समय पर रहे—खासकर जब विपक्ष बिना जोखिम के 8-9 की रन-रेट पर टिकना चाहता था।
अब सुपर 4 सामने है। लगातार जीत से ड्रेसिंग रूम में रफ्तार तो है ही, पर जरूरत होगी चयन की नब्ज सही रखने की—किस मुकाबले में दो स्पिनर, कहाँ तीन तेज, और किन हालात में फिनिशिंग जिम्मेदारियों को ऊपर-नीचे करना है। यही लचीलापन नॉकआउट में मैच पलटता है। भारत ने ग्रुप स्टेज में यह लचीलापन दिखाया है—रोटेशन, रोल-क्लैरिटी और एग्जिक्यूशन—तीनों साथ।
- वर्कलोड मैनेजमेंट: बुमराह को आराम देकर बेंच स्ट्रेंथ की टेस्टिंग।
- नई गेंद और डेथ के विकल्प: अर्शदीप और हर्षित का संयोजन, हार्दिक-दुबे से सपोर्ट।
- मध्य ओवर की पकड़: कुलदीप की स्ट्राइक और अक्षर की उपयोगिता।
- टॉप ऑर्डर की रफ्तार: अभिषेक की उच्च स्ट्राइक-रेट और SKY का टेम्पो-कंट्रोल।
- ओमान के लिए सीख: 20 ओवर तक चेस, शॉट-सेलेक्शन और फील्डिंग स्टैंडर्ड्स पर काम।
टूर्नामेंट का कैलेंडर फाइनल की तारीख पर टिका है, और वहीं से सारी रणनीतियाँ शुरू होती हैं। भारत ने ग्रुप में अपराजेय रहकर पहला चरण जीत लिया है। अब फोकस सुपर 4 में अलग-अलग परिस्थितियों के हिसाब से कॉम्बिनेशन सटीक बैठाने पर होगा—यही तैयारी 28 सितंबर को सबसे बड़ी रात में काम आती है।
स्क्वॉड डेप्थ की परीक्षा और आगे की राह
ग्रुप चरण में भारत का सबसे बड़ा लाभ—हर मैच में अलग-अलग प्लान काम करते दिखे। यूएई और पाकिस्तान के खिलाफ चेस में संयम और कुशलता, ओमान के खिलाफ पहले बल्लेबाजी में टेम्पो और फिनिश। यह विविधता विरोधियों के लिए तैयारी मुश्किल बनाती है।
ओमान की हार के बावजूद कुछ पॉजिटिव रहे—टॉप-ऑर्डर ने विकेट संभाले, बीच के ओवरों में स्ट्राइक घुमी, और आखिरी ओवरों में बाउंड्री तलाशने का प्रयास दिखा। गेंदबाजी में गलतियों के बावजूद, उनकी लाइन-लेंथ और डेथ में प्लानिंग पर काम करने का स्कोप साफ दिखा, जो अगली एशियाई प्रतियोगिताओं में उपयोगी होगा।
भारत के नजरिए से अगले मुकाबलों में सवाल यही रहेंगे—क्या दो लेफ्ट-आर्म ऑप्शन की जरूरत पड़ेगी? क्या दुबई/अबू धाबी की शाम को ओस के हिसाब से एक अतिरिक्त स्पिनर को जगह दी जाए? और क्या बुमराह को सीधे निर्णायक मैचों के लिए ही उतारा जाए? जवाब विरोधी और पिच पर निर्भर रहेंगे, लेकिन ग्रुप स्टेज की बॉडी लैंग्वेज बताती है कि ड्रेसिंग रूम क्लियर-थिंकिंग मोड में है।
यह भी उतना ही अहम है कि बल्लेबाजी ऑर्डर फ्लूइड रहे—यदि पावरप्ले में झटके लगें तो तिलक वर्मा जैसे एंकर ऊपर आएं, और यदि प्लेटफॉर्म मिल जाए तो दुबे-हार्दिक जैसे पावर-हिटर को जल्दी भेजा जाए। संजू सैमसन की भूमिका परिस्थितियों के हिसाब से ऊपर-नीचे हो सकती है—और अभी तक वह उस लचीलेपन में सहज दिखे हैं।
आखिर में, एक पंक्ति में सार—भारत ने सिर्फ मैच नहीं जीता, टूर्नामेंट की धड़कन भी पकड़ ली। बेंच का दमखम, कप्तानी की सटीकता और फाइनल पर टिकी नजर—यही तीन बातें ग्रुप ए की सबसे ठोस टीम को अगले पड़ाव में बढ़त देती हैं। Asia Cup 2025 की रातें लंबी हैं, पर फिलहाल भारत सही दिशा में और सही रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।