जब इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने 28‑29 सितंबर 2025 के लिए भारी बारिश अलर्टमुंबई का लाल‑संतरी संकेत जारी किया, तो राजधानी के कई लोग कैफ़े की जगह घरों में ही रहे। मुंबई, ठाणे, रायगड, नाशिक और पालघर में भारी‑से‑भारी बारिश के कारण स्कूल‑कॉलेज बंद हो गए, और स्थानीय प्रशासन ने 24‑घंटे नियंत्रण केंद्र चालू रखने का आदेश दिया।
यह चेतावनी दो‑दिन की लहर का हिस्सा है, जिसमें डिंडोशी ने 102 mm, मालाड ने 101 mm और बोरीवली ने 97 mm रिकॉर्ड किया। वहीँ थाने ने शनिवार‑रविवार मिलाकर 116 mm की कुल वर्षा देखी, और नावी मुंबई के एयरोली ने 161 mm के साथ सबसे अधिक आँकड़ा दर्ज किया।
भारी बारिश की पृष्ठभूमि और मौसम विज्ञान
IMD के अधिकारी बताते हैं कि पश्चिमी वैडरभा में एक कमजोर डिप्रेशन धीरे‑धीरे पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और 1 अक्टूबर तक उत्तर‑पूर्व अरब सागर में लो‑प्रेशर एरिया बन जाएगा। इस प्रणाली के प्रभाव से महाराष्ट्र के उत्तर कोकण, मध्य महाराष्ट्र की घाटी और मुंबई‑सबर्बन में भारी‑से‑भारी बारिश होने की संभावना है।
श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मौसम के तकनीकी मूल्यांकन के आधार पर सभी विभागों को स्थानीय तौर पर अलर्ट जारी करना अनिवार्य है।
रिपोर्टेड वर्षा आँकड़े और प्रभावित क्षेत्र
- डिंडोशी – 102 mm (सबसे अधिक)
- मालाड – 101 mm
- बोरीवली – 97 mm
- मनवानी और बायकुला – प्रत्येक 95 mm
- एयरोली (नावि मुंबई) – 161 mm
- नैरुल – 130 mm
- बेलापुर – 127 mm
जनवरी‑से‑अभी तक इस वर्ष मुंबई ने कुल 445 mm भारी बारिश देखी है, जबकि औसत सितंबर में केवल 380 mm बरसती है। यह अंतर बताता है कि मौसमी पैटर्न में असामान्य परिवर्तन हो रहा है।
सरकारी कदम और स्कूल बंद
महाराष्ट्र सरकार ने सभी प्रभावित जिलों में नियंत्रण कक्ष 24 घंटे चलाने का निर्देश दिया और निचले इलाकों में जल‑उठाने वाले पंप तैनात करने का आदेश जारी किया। इसके अलावा, पुराने और खतरनाक इमारतों की सुरक्षा के लिए कोस्टल सर्वे सर्विसेज (CSSR) को विशेष जांच करने को कहा गया।
रात‑भर की अलर्ट के कारण भारी बारिश के कारण 29 सितंबर को मुंबई, ठाणे, रायगड, पालघर और नाशिक के अधिकांश स्कूल‑कॉलेज बंद रहेंगे। पीडिएर वॉलंटियर्स को जल‑स्रोतों की निगरानी करने और संभावित बाढ़‑संकट के लिए तैयार रहने की भी सलाह दी गई है।
नागरिकों की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना
स्थानीय नागरिकों ने सोशल मीडिया पर चेतावनी को गंभीरता से लिया है। कई लोगों ने ट्रैफ़िक जाम और जल-भरी सड़कों के कारण घर से काम करने की योजना बनाई। एक छोटे व्यवसायी ने कहा, "हमने आज सुबह ही सामान को सुरक्षित ऊँची जगह पर रखा, वरना कल का दिन बर्बाद हो जाता।"
राज्य आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर ने लोगों से गैर‑जरूरी यात्रा न करने और बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों से दूर रहने का आग्रह किया है। साथ ही, झड़ते पेड़ों के नीचे न ठहरने और जलभराव वाले पुलों को न पार करने की चेतावनी दोहराई गई है।
आगे चलकर मौसम विभाग के अनुसार, 30 सितंबर तक भारी‑से‑भारी बारिश जारी रहने की संभावना है, जबकि 1 अक्टूबर से बारिश धीरे‑धीरे घटेगी। इसलिए, नागरिकों को अगले दो‑तीन दिनों में सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की जरूरत है।
Frequently Asked Questions
क्या सभी स्कूल 29 सितंबर को बंद रहेंगे?
मुख्यतः मुंबई उपनगर, ठाणे, रायगड, पालघर और नाशिक के सरकारी और निजी स्कूल‑कॉलेज लाल‑संतरी अलर्ट के कारण बंद रहेगे। कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अलग फैसला हो सकता है।
बारिश के कारण किन बुनियादी सुविधाओं पर असर पड़ेगा?
बाहर की सड़कों में जलभराव, रेल मार्गों में कुछ देरी और वोल्टेज लाइनें क्षतिग्रस्त होने की संभावना है। इसके अलावा, निचले इलाकों में घर‑घर में जल‑उठाने वाले पंप लगाये जा रहे हैं ताकि पानी निकल सके।
क्या आम जनता को घर से बाहर निकलना सुरक्षित है?
राज्य आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर ने निवासियों को अत्यधिक जलभराव वाले क्षेत्रों से बचने और गैर‑जरूरी यात्रा न करने का आदेश दिया है। यदि बाहर जाना पड़े, तो हाई‑विलेज़ वाले सड़कों पर चलिए और तेज़ बहते पानी से दूर रहें।
भारी बारिश कब तक जारी रहने की संभावना है?
IMD ने बताया है कि 30 सितंबर तक तेज़ बारिश जारी रहेगी। 1 अक्टूबर से डिप्रेशन उत्तर‑पूर्व अरब सागर में स्थापित हो जाएगा, जिससे बारिश धीरे‑धीरे घटेगी।
सरकार ने बाढ़‑सुरक्षा के लिए कौन‑से कदम उठाए हैं?
सभी प्रभावित जिलों में नियंत्रण कक्ष 24 घंटे चलेंगे, जल‑उठाने वाले पंप तैनात किए जाएंगे, कोस्टल सर्वे सर्विसेज द्वारा पुरानी इमारतों की जाँच होगी और डैम के जल‑स्तर की निरन्तर निगरानी की जाएगी।
6 टिप्पणि
Aditi Dhekle
सितंबर 30, 2025 AT 00:16इस बारिश का डेटा देखकर लग रहा है कि वेस्टर्न डिप्रेशन का इफेक्ट अब सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। अरब सागर के लो-प्रेशर ज़ोन का एक्सटेंशन देखें तो गुजरात के तटीय इलाकों में भी इसी तरह का पैटर्न दिखने लगा है। एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स के फ्रिक्वेंसी में बढ़ोतरी अब क्लाइमेट मॉडल्स के लिए नया स्टैंडर्ड बन गया है।
मौसम विज्ञान के नए रिसर्च पेपर्स में इसे 'कॉन्वेक्शनल ब्रेकडाउन' कहा जा रहा है - जब ओवरहीटिंग और हाई ह्यूमिडिटी एक साथ आ जाती हैं। ये नहीं कह सकते कि ये एक असामान्य घटना है। ये अब नॉर्मल है।
Aditya Tyagi
सितंबर 30, 2025 AT 16:54सरकार तो बस अलर्ट जारी कर देती है और घर बैठ जाती है। बारिश हो रही है तो पंप लगाओ, पुरानी इमारतें चेक करो - ये सब तो बस बचाव है। अगर शहर की ड्रेनेज सिस्टम 10 साल से बेकार है तो अब तक क्यों नहीं बदली? बारिश तो हर साल आती है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर तो हमेशा अनप्रिपेयर्ड रहता है।
pradipa Amanta
अक्तूबर 2, 2025 AT 05:24स्कूल बंद हो गए तो बेटा घर पर गेम खेल रहा है और मम्मी बारिश की वीडियो बना रही है। ये बारिश का अलर्ट नहीं बल्कि डिजिटल एंगेजमेंट का अलर्ट है
chandra rizky
अक्तूबर 2, 2025 AT 10:49हमारे इलाके में तो बारिश के बाद नालियों में निकल रहा पानी इतना गंदा है कि लगता है जैसे बारिश नहीं बल्कि फैक्ट्री वेस्ट बरस रहा है 😅
लेकिन अच्छी बात ये है कि लोग अब बाढ़ के बारे में जागरूक हो रहे हैं। बेलापुर में एक बुजुर्ग ने अपने घर के आसपास की गड्ढों को भर दिया और पड़ोसियों को भी समझाया। छोटी-छोटी चीजें बदलाव ला सकती हैं।
कुछ लोग बारिश को बर्बादी का कारण मानते हैं लेकिन मैं तो इसे शहर को रिसेट करने का मौका समझता हूँ। बस थोड़ी अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी।
Rohit Roshan
अक्तूबर 4, 2025 AT 09:25अगर आप देखें तो ये बारिश केवल एक मौसमी घटना नहीं, बल्कि शहरी नियोजन की असफलता का एक बड़ा संकेत है। नावी मुंबई में 161mm का रिकॉर्ड तो बहुत बड़ा है, लेकिन इसके पीछे जो असली सवाल है - क्या हमने अपनी निर्माण नीतियों को जलवायु विकास के साथ अपडेट किया है?
हमारे पास तो अभी भी बहुत सारी इमारतें जिनकी नींव नालियों के स्तर से ऊपर नहीं है। जल निकासी के लिए एक नई नीति बनाने की जरूरत है - जो सिर्फ बारिश के बाद नहीं, बल्कि बारिश से पहले तैयार हो।
हम लोग बारिश के बाद फोटो डालते हैं, लेकिन बारिश से पहले क्या करते हैं? क्या आपके इलाके में ड्रेनेज की नियमित सफाई होती है? अगर नहीं, तो ये अलर्ट बस एक रिमाइंडर है कि हमें अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी।
मैंने अपने बारे में सोचा - मैंने अपने बाहरी बरामदे में जल जमाव को रोकने के लिए एक छोटी ग्रेवल बेड लगा दी। छोटा कदम, लेकिन असरदार।
हम सब एक छोटा हिस्सा हैं, और अगर हम सब इतना कर दें तो शहर बदल सकता है। 😊
arun surya teja
अक्तूबर 5, 2025 AT 12:48इस घटना के आधार पर एक निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि शहरी नियोजन के लिए जलवायु समायोजन अब एक आवश्यकता बन गया है। जिला स्तरीय आपातकालीन योजनाओं को अपडेट करना और नागरिक भागीदारी को शामिल करना अनिवार्य है।
पुराने नियमों के आधार पर नए चुनौतियों का सामना करना असंभव है। इसलिए निर्माण कोड में जलवायु-अनुकूल नियमों को शामिल करने की आवश्यकता है।
स्थानीय स्तर पर नागरिक समितियों को बाढ़ जोखिम नक्शे तैयार करने के लिए तालीम दी जानी चाहिए।
इस तरह की घटनाओं के बाद तो अक्सर आर्थिक मदद पर चर्चा होती है, लेकिन रोकथाम पर नहीं।
यह अवसर हमें नीति निर्माण में एक नए दृष्टिकोण की ओर ले जाता है - एक ऐसा दृष्टिकोण जो जलवायु के साथ साथ बढ़े।