वीडियो में दिखा अना लुच्किना और ओवेटिंग डाना
क्रीमिया के टाइगन सफारी पार्क में 24 साल की रूसी बॉक्सर अना लुच्किना की एक वीडियो वायरल हो गई, जिसमें वह सुमात्रन ऑरंगुटन डाना को वीप देता दिखती है। कैमरा में वह पहले खुद एक ड्रैग लेती है, फिर फेंस के माध्यम से डाना को डिवाइस पास करती है। डाना कई बार पफ लेता है, धुएँ के बाद उसकी सांसें उलझी हुई दिखती हैं।
डाना, जो 2018 से इस पार्क में रहता है, इस क्षेत्र का एकमात्र ऑरंगुटन है और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा संकटग्रस्त मान्यता प्राप्त प्रजाति है। इस क्लिप के बाद सोशल मीडिया पर असहायता और दिमागी उलझन की लहर दौड़ गई।
डाना की स्वास्थ्य स्थिति और विशेषज्ञों की चिंता
वीडियो के बाद पार्क के कर्मचारियों ने बताया कि डाना ने अचानक खाने से इनकार कर दिया, अन्य ऑरंगुटनों से दूर रहने लगा और कई घंटे तक निष्क्रिय रहा। वेटरिनर अब परीक्षण किट के माध्यम से डिवाइस के निकोटिन, प्रोपलीन ग्लाइकोल या अन्य रासायनिक पदार्थों के स्तर को जांच रहे हैं।
डिपीटए यूके की उपाध्यक्ष मिमी बेखेची ने कहा, "ऐसी बेतुकी हरकतें न केवल व्यक्तिगत जानवर को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पूरी प्रजाति के संरक्षण प्रयास को भी दुरुस्त करती हैं।" वे आगे कहती हैं कि अगर जाँच में विषाक्तता सिद्ध हुई तो कड़ी सजा की माँग की जानी चाहिए।
एक पशु चिकित्सा विशेषज्ञ ने बताया कि निकोटिन की छोटी मात्रा भी जंगली प्राइमेट्स में हृदय गति, रक्तचाप और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकती है। यदि डाना ने डिवाइस का कार्ट्रिज निगल लिया हो तो यह श्वसन या आंतरिक मार्ग में रुकावट का कारण बन सकता है।
पार्क प्रबंधन ने कहा कि डाना को तुरंत एक अलग इन्क्यूबेटर में रखा गया है और उसे मध्यस्थता दवा तथा ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा है, जबकि वेटरिनरी लैब से परिणाम आने की प्रतीक्षा है।
सामाजिक मंचों पर उपयोगकर्ता इस घटना को "जन्तु दुरुपयोग" की कड़ी शब्दों में कहते हुए लुच्किना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ ने बॉक्सिंग लाइसेंस रद्द करने, तोड़ने और यहाँ तक कि जेल की सजा की भी अपील की है।
क़ानूनी दृष्टि से कई देशों में जंगली जानवरों को पीड़ित करने की सज़ा अधिकतम कई साल की जेल या जुर्माने से तय होती है। हालांकि, क्रीमिया में इस तरह की कार्रवाई कितनी कठोर होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
कुच्छन, यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रुटि को दिखाता है, बल्कि सफारी पार्क, चिड़ियाघर और वन्यजीव पर्यटन स्थलों में दर्शकों के व्यवहार पर भी सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ऐसी घटनाएँ भविष्य में नहीं होनी चाहिए, इसके लिए आगंतुकों को स्पष्ट नियम, कड़े निरीक्षण और शैक्षिक सत्रों की जरूरत है।
8 टिप्पणि
Aditi Dhekle
सितंबर 25, 2025 AT 22:47ये वीडियो देखकर मुझे लगा जैसे कोई जीव विज्ञान का अध्ययन नहीं किया हो। ऑरंगुटन के श्वसन तंत्र में निकोटिन का प्रभाव अत्यंत गंभीर होता है। विशेषकर जब वो एक अत्यंत संवेदनशील प्रजाति हो। ये बस एक अज्ञानता का उदाहरण नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक असंवेदनशीलता है।
क्या हम वन्यजीवों को बस एक एंटरटेनमेंट आइटम समझते हैं?
Oviyaa Ilango
सितंबर 26, 2025 AT 04:41असहमति नहीं बल्कि निराशा है। ये बात सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं बल्कि पूरे प्रणाली की विफलता है।
pradipa Amanta
सितंबर 26, 2025 AT 17:07ये सब बकवास है लोगों को ध्यान दिलाने के लिए बनाया गया है। बॉक्सर भी इंसान है और ऑरंगुटन भी जानवर। दोनों के बीच अंतर क्या है?
Aditya Tyagi
सितंबर 28, 2025 AT 12:13अरे भाई ये तो बस एक ड्रैग है जिसे एक जानवर ने ले लिया। क्या ये अपराध है? इंसान तो बच्चों को भी धुएं देते हैं बाजार में। ये सब फेक न्यूज है। अगर डाना ठीक नहीं हुआ तो वो उसकी बुरी आदतों का नतीजा है।
Jyotijeenu Jamdagni
सितंबर 28, 2025 AT 12:55मुझे लगता है ये सब एक बहुत बड़ी बात है जिसका जवाब हम अपनी सोच में ढूंढना चाहिए। ये वीडियो बस एक बॉक्सर और एक ऑरंगुटन की कहानी नहीं है। ये हमारे बीच के बैरियर की कहानी है।
हम जानवरों को अपनी अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल करते हैं। हम उनकी भावनाओं को नज़रअंदाज़ करते हैं।
और फिर जब वो बीमार हो जाते हैं तो हम उनके लिए रोने लगते हैं।
क्या हम उनके लिए जिंदगी भर जिम्मेदार बन सकते हैं?
या फिर बस एक वायरल वीडियो के लिए बहुत ज्यादा भावनाएं दिखाने के लिए तैयार हैं?
ये सवाल सिर्फ इस घटना के बारे में नहीं है। ये हमारे सारे पशु अधिकारों के बारे में है।
हम अपने जीवन में जानवरों को कितनी बार बेकार बताते हैं?
हम उन्हें फोटो खींचने के लिए बांधते हैं।
हम उनके लिए फैशन बनाते हैं।
हम उन्हें अपने बच्चों के लिए खिलौना बना देते हैं।
और फिर जब वो जीवन बर्बाद हो जाता है तो हम उसे एक ट्रैजेडी बता देते हैं।
क्या ये न्याय है?
chandra rizky
सितंबर 30, 2025 AT 05:11इतना गुस्सा करने की जरूरत नहीं है 😔 लेकिन ये जरूर सही है कि हमें ऐसी चीज़ों के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए। शायद इस घटना से हम सबको एक सबक मिले।
जानवरों के साथ सम्मान से व्यवहार करना ही असली सभ्यता है 🙏
arun surya teja
सितंबर 30, 2025 AT 14:17इस घटना के माध्यम से हमें यह समझना चाहिए कि वन्यजीवों के साथ व्यवहार के लिए एक स्पष्ट नैतिक ढांचा आवश्यक है। यह केवल कानूनी दंड तक सीमित नहीं होना चाहिए। शिक्षा, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का विकास इस तरह की घटनाओं को रोकने का स्थायी समाधान है।
Rohit Roshan
अक्तूबर 1, 2025 AT 10:29मुझे लगता है कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब तक हम अपने आप को वन्यजीवों के ऊपर नहीं समझेंगे, तब तक ऐसी घटनाएँ दोहराई जाएँगी। एक अच्छी बात ये है कि अब लोग बात कर रहे हैं।
शायद ये बदलाव की शुरुआत है 😊