चीन की दुष्प्रचार मुहिम: राफेल की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया और AI का सहारा

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चीन की नई चाल: राफेल जेट्स के खिलाफ गहरी साजिश

सोचिए, जब किसी जंग के मैदान में एक देश के बनाए हथियारों की असलियत सामने आ जाती है, तो क्या किया जाता है? चीन ने इस सवाल का जवाब अपने खास अंदाज में दिया है। फ्रांस की खुफिया एजेंसियां खुलासा कर रही हैं कि भारत-पाकिस्तान के संघर्ष में भारतीय राफेल जेट्स की कामयाबी से चीन बौखला गया। यहीं से शुरू हुआ सोशल मीडिया पर राफेल विमान के खिलाफ नकली खबरों और फर्जी दावों का वह सिलसिला, जिसकी झलक पूरी दुनिया को दिखी।

फ्रांस की रिपोर्ट्स बताती हैं - चीन ने अपने दूतावासों व रक्षा अधिकारियों के जरिए उन देशों को निशाना बनाया, जो राफेल खरीदने की सोच रहे थे, खासकर इंडोनेशिया जैसे। चीन की सबसे बड़ी रणनीति यह रही कि सोशल मीडिया पर हजारों नए अकाउंट बनाए गए, जिनका एक ही मकसद था: राफेल की छवि खराब करना और चीन के हथियारों को बेहतर बताना। इन फर्जी अकाउंट्स से वीडियो-गेम युद्ध सिमुलेशन, एडिट की गई फोटोज और AI से तैयार की गई कहानियों की बाढ़ ला दी गई। इससे राफेल जेट्स को कमजोर, पुराने और चीन से तकनीकी रूप से पिछड़ा दिखाने की कोशिश हुई।

यह सब अचानक नहीं हुआ। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत ने अपने राफेल जेट्स की दमदार ताकत दिखा दी थी। जबकि चीन के बनाए हथियार, जो पाकिस्तान ने इस्तेमाल किए, वे पस्त नजर आए। चीन ने अपनी कमजोरी छुपाने और झटका झेल रहे रक्षा बाजार को दोबारा खड़ा करने के लिए प्रोपेगैंडा तंत्र का खुलकर इस्तेमाल किया। इसी दौरान यह अफवाह फैलने लगी कि पाकिस्तानी सेना ने राफेल को एडवांस चीनी मिसाइलों से बेअसर कर दिया। असली सबूत कभी दिखाए नहीं गए, मगर सोशल मीडिया पर नकली मलबे की फोटो, काल्पनिक कहानियां और AI ब्रांडेड आर्टिकल्स खूब शेयर किए गए।

रक्षा बाजार में चीन की चालबाजियां और फ्रांस की प्रतिक्रिया

रिटायर्ड भारतीय डिफेंस एजेंसी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों का मानना है, इस कैंपेन के पीछे दो मकसद थे—फ्रांस के बढ़ते हथियार बाजार का तोड़ ढूंढना और चीन की सैन्य असफलताओं पर पर्दा डालना। इस बीच इंडोनेशिया समेत कई एशियाई देशों को चीन की ओर से 'घरेलू विमान खरीदो' का सीधा संदेश दिया गया। रोचक यह भी है कि इसी अभियान के तहत वायरल पोस्ट्स में दावा हुआ, पश्चिमी रक्षा तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और चीन का भविष्य चमकदार है।

फ्रांसीसी अधिकारियों ने इस दुष्प्रचार को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि राफेल की वास्तविक युद्ध क्षमता इन झूठी खबरों से कम नहीं होती। हाल की सैन्य कार्रवाइयों और राफेल के प्रदर्शन ने इसकी साख और मजबूत की है। फेक न्यूज, एडिटेड तस्वीरें और AI जेनरेटेड वीडियोज का यह खेल सिर्फ सोशल मीडिया तक नहीं रुका, बल्कि रक्षा खरीदारों के इर्द-गिर्द एक दबाव का माहौल भी बनाया गया।

हाथ में मोबाइल लेकर दिनभर हर खबर पढ़ने वाले आम लोगों के लिए यह फर्क समझना मुश्किल होता है कि कौन-सी तस्वीर असली है, कौन सी बनाई गई। मगर रक्षा क्षेत्र में चीन का यह दुष्प्रचार अभियान दिखाता है कि हथियारों की होड़ अब सिर्फ युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं रही—अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्रोपेगैंडा भी एक बड़ा हथियार बन गया है।

लेखक के बारे में

स्नेहा वर्मा

स्नेहा वर्मा

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।