25
अक्तू॰
2024
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनका 'ब्रोकनिस्ट' भाषण
कनाडा के वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो हाल ही में एक खास तरह की भाषायी गफ़ के चलते सुर्खियों में आ गए हैं। उतनी ही तेजी से सोशल मीडिया पर उनका नाम गूंज उठा जितनी तेजी से ये नया शब्द 'ब्रोकनिस्ट' वायरल हो गया। संसद में दिए गए भाषण के दौरान ट्रूडो ने यह शब्द अपनी सरकार की आव्रजन नीतियों की वकालत करते हुए इस्तेमाल किया। उन्होंने ऐसा एक ऐसे समय में किया जब उनसे विपक्षी नेता पीयर पोइलिवरे आवास संकट की समस्या के लिए जवाबतलबी कर रहे थे। पोइलिवरे ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी, बता कर कि 'ब्रोकनिस्ट' एक असली शब्द नहीं है, और वहां मौजूद लोगों के बीच हंसी का माहौल बन गया।
इस घटना को लेकर ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कई मीम्स बनाए गए, जिनमें ट्रूडो के शब्दकोश पर ही सवाल उठाए गए। इस गफ़ ने लोगों के मन में यह धारणा बनाई कि ट्रूडो न केवल सरकार की नीतियों को, बल्कि अँग्रेजी भाषा को भी 'ब्रोकन' यानी कि तोड़-मरोड़ रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'अगर भाषा तोड़ना एक कला होती, तो ट्रूडो को एवार्ड मिलना चाहिए।'
राजनीतिक संकट: लिबरल पार्टी और ट्रूडो के बीच का अंतर
यह घटना तब हुई है जब ट्रूडो की अपनी लिबरल पार्टी के भीतर से आवाज उठने लगी है कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कुल 24 लिबरल सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किया है जिसमें ट्रूडो से मांग की गई है कि वे चौथी बार प्रधानमंत्री पद पर न आएं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें 28 अक्टूबर तक का समय दिया है कि वे स्वयं पद त्याग दें, अन्यथा उन्हें संजीदगी से नतीजों का सामना करना पड़ेगा। पार्टी के इस कदम से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आंतरिक तनाव बढ़ चुका है और ट्रूडो की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
इस घटनाक्रम का एक बड़ा कारण कनाडा में लिबरल पार्टी के गिरते हुए समर्थन को माना जा रहा है। ताजे जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक, लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से लगभग 13 प्रतिशत अंक पीछे चल रही है। ऐसे में पार्टी के भीतर से नेतृत्व परिवर्तन की मांग स्वाभाविक है।
आगे की रणनीति
समस्याएं केवल एक भाषायी गफ़ तक सीमित नहीं हैं। इसके अलावा, आव्रजन नीतियों की आलोचना और कनाडा में आवास संकट जैसे मुद्दे भी जस्टिन ट्रूडो के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। अगर ट्रूडो मज़बूती से रणनीति नहीं अपनाते हैं, तो उनकी राजनीतिक गाड़ी में सही मायने में 'ब्रोकन गैप' आ जाएगा।
इसके बावजूद, इस सब के बीच, ट्रूडो के लिए यह सोचना भी जरूरी है कि भाषा की गलती चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, लेकिन वह उनकी राजनीतिक स्थिति को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। अनिश्चितता के इस दौर में, क्या वह अपनी नेतृत्व क्षमता को पुनः स्थापित कर सकते हैं या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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