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पेपर लीक विवाद के बीच प्रदीप सिंह खरोला बने NTA के नये महानिदेशक

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राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के नए महानिदेशक के रूप में प्रदीप सिंह खरोला की नियुक्ति की घोषणा शिक्षा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह निर्णय उस वक्त लिया गया है जब NTA कई विवादों और आरोपों के घेरे में है, खासकर पेपर लीक के मामले में। खरोला, जो वर्तमान में भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं, उन्हें यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रदीप सिंह खरोला कर्नाटक कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। खरोला ने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। नवंबर 2017 में वे एयर इंडिया के प्रमुख नियुक्त हुए थे, जहां पर सरकार का एयर इंडिया के निजीकरण का पहला प्रयास असफल रहा था। इसके बाद 2019 में खरोला को नागरिक उड्डयन सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी।

इस बीच, NTA के पूर्व महानिदेशक सुभोध कुमार सिंह को पद से हटाकर उन्हें कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) में अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखा गया है। उनके कार्यकाल के दौरान, NEET और UGC-NET जैसी प्रमुख परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। कई छात्र और अभिभावक इन अनुमानों के चलते परेशान थे और उन्होंने अनेक विरोध प्रदर्शन किए थे।

सरकार ने UGC-NET परीक्षा को इन आरोपों के चलते रद्द कर दिया है। वहीं, NEET-UG परीक्षा भी जांच के दायरे में है। CSIR-UGC NET परीक्षा, जो कि 25-27 जून के बीच आयोजित होने वाली थी, उसे भी टाल दिया गया है। इन परिस्थितियों को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय को ये कदम उठाने पड़े हैं।

शिक्षा मंत्री का बयान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के शीर्ष नेतृत्व पर गहन जांच हो रही है। हमें शिक्षा प्रणाली की साख और निष्पक्षता को बनाए रखना है, इसलिए हम किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि CSIR-UGC NET परीक्षा में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है।

इस बयान के बाद छात्रों और शिक्षाविदों के बीच एक मिश्रित प्रतिक्रिया देखी गई है। कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक पहल कहा है, जबकि कुछ अन्य ने इसे सिर्फ दबाव के चलते लिया गया निर्णय मानते हुए इसकी आलोचना की है।

NTA की भविष्य की जिम्मेदारियां

NTA की भूमिका और उसके द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। प्रदीप सिंह खरोला को इस बात का ध्यान रखना होगा कि सभी परीक्षाएं पूर्णतः पारदर्शी तरीके से आयोजित हों।

  • शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है।
  • प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने वाले सभी छात्रों को एक समान अवसर मिलना चाहिए।
  • परीक्षा प्रक्रियाओं की धांधली रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग अवश्य किया जाना चाहिए।
  • सरकार को शिक्षा प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

अंततः, NTA की जिम्मेदारी न केवल परीक्षाओं का संचालन करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि देश के युवा सही और निष्पक्ष तरीके से अपने भविष्य की दिशा तय कर सकें।

लेखक के बारे में

Vaishnavi Sharma

Vaishnavi Sharma

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

9 टिप्पणि

Ravi Kumar

Ravi Kumar

जून 24, 2024 AT 06:13

ये सब नियुक्तियाँ तो बस दिखावा है, जब तक लोगों के दिमाग में ये बात नहीं बैठ जाएगी कि परीक्षा एक धोखा है, तब तक कोई भी नया महानिदेशक बन जाए, सब बेकार है। हमारे यहाँ तो नियम बनाने वाले खुद नियम तोड़ते हैं।

Gowtham Smith

Gowtham Smith

जून 24, 2024 AT 16:26

ये खरोला तो एयर इंडिया के निजीकरण में असफल रहे, अब NTA का बोझ उन पर क्यों? ये सरकार की असमर्थता का एक और उदाहरण है। निजीकरण नहीं, नियंत्रण चाहिए। और जब तक हम अपनी शिक्षा व्यवस्था को बैरोक्रेटिक फ्रेमवर्क से बाहर नहीं निकालेंगे, तब तक ये गड़बड़ियाँ चलती रहेंगी।

pritish jain

pritish jain

जून 26, 2024 AT 04:03

प्रदीप सिंह खरोला की नियुक्ति एक तार्किक चयन है, क्योंकि उन्होंने एयर इंडिया में एक असफल प्रयास किया, जिसका मतलब है कि वे बड़े संगठनों के संचालन में अनुभवी हैं। निजीकरण के बारे में उनकी विफलता उनकी लचीलापन का संकेत है-उन्होंने अपनी नीतियों को विरोध के बीच भी जारी रखा।

यह एक ऐसा संगठन है जिसमें आंतरिक अनुशासन और पारदर्शिता की आवश्यकता है, और खरोला के पास वह अनुभव है जो केवल अधिकारी ही प्राप्त करते हैं। यह एक राष्ट्रीय आवश्यकता है, और उनकी नियुक्ति एक निर्णायक कदम है।

कोई भी नियुक्ति आदर्श नहीं होती, लेकिन यह एक उचित और विवेकपूर्ण चयन है। अगर हम अपनी आशाओं को वास्तविकता के साथ तुलना करें, तो हम देखेंगे कि यह एक बेहतर विकल्प है।

हमें इस तरह के नेतृत्व की आवश्यकता है, जो अपने कार्यकाल के दौरान निर्णय लेने में अपने आत्मविश्वास को बरकरार रखता है।

हमें अपने आलोचकों को भी अपने विचारों के साथ सम्मान देना चाहिए, न कि उन्हें अस्वीकार करना चाहिए।

प्रशासनिक निर्णयों का मूल्यांकन उनके परिणामों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि उनके पूर्व अनुभवों के आधार पर।

इस नियुक्ति को एक नए आरंभ के रूप में देखना चाहिए, और इसके लिए हमें समय देना चाहिए।

अगर हम इस बात पर जोर दें कि नियुक्ति के बाद भी निर्णय लेने की प्रक्रिया बदले, तो हम वास्तविक बदलाव ला सकते हैं।

हमें इस नियुक्ति को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, न कि एक विफलता के रूप में।

इस तरह के नेतृत्व की आवश्यकता है, जो निर्णय लेने में साहस रखता है, और इसलिए यह नियुक्ति उचित है।

Shivateja Telukuntla

Shivateja Telukuntla

जून 27, 2024 AT 02:00

देखो, बस एक नया नाम लगा दिया, लेकिन सवाल वही हैं। अगर जांच नहीं होगी, तो नियुक्ति का क्या फायदा? मैं तो बस ये चाहता हूँ कि कोई नया नियम बने, जिससे ये गड़बड़ियाँ दोबारा न हों।

Sharmila Majumdar

Sharmila Majumdar

जून 28, 2024 AT 16:24

आप सब भूल रहे हैं कि ये सब तो बस एक शो है। जब आप लोगों के बीच एक भ्रष्टाचार का जाल फैला होता है, तो एक नए आईएएस अधिकारी की नियुक्ति से कुछ नहीं बदलता। आपको नहीं पता, लेकिन मैंने इन परीक्षाओं के अंदर के तरीके देखे हैं। ये तो बस एक धोखा है।

amrit arora

amrit arora

जून 30, 2024 AT 03:24

एक बात जो मुझे लगती है, वो ये है कि हम इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि एक व्यक्ति के अनुभव का मूल्यांकन उसकी नियुक्ति के आधार पर नहीं, बल्कि उसके सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण के आधार पर किया जाना चाहिए।

प्रदीप सिंह खरोला के अनुभव उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बनाते हैं जो बड़े संगठनों को संचालित करने में सक्षम हैं।

उन्होंने एयर इंडिया में असफलता का सामना किया, लेकिन वह असफलता उनकी लचीलापन का प्रमाण है।

उन्होंने अपने दृष्टिकोण को बदलने की कोशिश की, और यह एक बहुत बड़ा गुण है।

हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि एक नियुक्ति का अर्थ यह नहीं है कि वह व्यक्ति सब कुछ ठीक कर देगा।

यह तो एक नए दृष्टिकोण की शुरुआत है, जिसे हमें समर्थन देना चाहिए।

हमें अपने आलोचकों के साथ बातचीत करनी चाहिए, न कि उन्हें अस्वीकार करना चाहिए।

हमें इस नियुक्ति को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, न कि एक विफलता के रूप में।

हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक नियुक्ति का मूल्य उसके परिणामों पर निर्भर करता है, न कि उसके पूर्व अनुभवों पर।

हमें इस नियुक्ति को एक नए आरंभ के रूप में देखना चाहिए, और इसके लिए हमें समय देना चाहिए।

हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि यह एक निर्णय है, जिसे लोगों के साथ साझा किया जाना चाहिए।

Ambica Sharma

Ambica Sharma

जून 30, 2024 AT 13:20

ये सब बस नाटक है... मैंने अपने भाई को देखा, जो NEET में फेल हो गया, और उसका दोस्त जो बिना किसी पढ़ाई के टॉप कर गया। ये जिंदगी का असली धोखा है।

Hitender Tanwar

Hitender Tanwar

जुलाई 1, 2024 AT 13:44

फिर से एक आईएएस बॉस? अरे भाई, ये तो पहले भी हुआ है। क्या आपको लगता है कि एक नया नाम बदल देने से जांच हो जाएगी? नहीं। ये सब बस नाटक है।

Shaik Rafi

Shaik Rafi

जुलाई 2, 2024 AT 08:42

एक अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति... यह एक अच्छा संकेत है। लेकिन यह बहुत कम है।

हमें एक ऐसी संस्था चाहिए जो आंतरिक रूप से स्वयं की जांच करे-एक निर्भरता रहित, स्वतंत्र निगरानी निकाय।

यह नियुक्ति एक शुरुआत है, लेकिन अंत नहीं।

हमें छात्रों को अपने अधिकारों के बारे में शिक्षित करना होगा-उन्हें यह जानना होगा कि वे किस प्रकार के अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

और इसके लिए, हमें शिक्षा के लिए एक नया नैतिक ढांचा बनाना होगा।

यह नियुक्ति एक आशा है... लेकिन आशा के बिना कार्रवाई, यह बस एक शब्द है।

हमें अपने आंदोलनों को एक नियमित, व्यवस्थित आधार पर बनाना होगा।

एक व्यक्ति के बदलाव के लिए, हमें समाज के स्तर पर बदलाव की आवश्यकता है।

इसलिए, यह नियुक्ति एक शुरुआत है-लेकिन हमें इसे एक लंबी यात्रा के रूप में देखना होगा।

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