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पोप फ्रांसिस ने समलैंगिक पुरुषों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर मांगी माफी

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पोप फ्रांसिस की टिप्पणियाँ और माफी

हाल ही में पोप फ्रांसिस ने समलैंगिक पुरुषों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद माफी मांगी है। यह घटना इटली के बिशप सम्मेलन की एक निजी बैठक में हुई थी। कहा जा रहा है कि पोप ने उस बैठक में समलैंगिक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों को पुरोहित बनने से रोकने की बात कही थी और अनजाने में एक बेहद अपमानजनक शब्द 'frociaggine' का इस्तेमाल किया था, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद बहुत ही आपत्तिजनक होता है।

वेटिकन की प्रतिक्रिया

वेटिकन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि पोप का उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था। उन्होंने इस शब्द के उपयोग के लिए माफी मांगी और स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी का मतलब समुदाय को आहत करना नहीं था। हालांकि यह बैठक निजी तौर पर होने वाली थी, लेकिन पोप के बयान की खबर तेजी से फैल गई और दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गई।

समलैंगिकता पर चर्च का रुख

समलैंगिकता के मुद्दे पर कैथोलिक चर्च हमेशा से ही विवादों से घिरा रहा है। चर्च की शिक्षाओं के अनुसार, समलैंगिक कृत्य पाप माने जाते हैं, हालांकि समलैंगिक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों के प्रति करुणा और सम्मान का प्रदर्शन करना आवश्यक माना जाता है। यह स्थिति अक्सर चर्च के भीतर और बाहर दोनों में ही बहस का विषय रही है।

समलैंगिक समुदाय की प्रतिक्रिया

समलैंगिक समुदाय की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद समलैंगिक समुदाय और उनके समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। कई लोगों ने कहा कि ऐसे बयान समलैंगिक व्यक्तियों को हतोत्साहित करते हैं और चर्च की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि जब धर्मगुरु इस तरह की टिप्पणी करते हैं, तो यह न केवल दुखद होता है बल्कि समाज में समलैंगिकों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा को भी बढ़ावा देता है।

पोप फ्रांसिस का समर्पण

पोप फ्रांसिस ने अपने पद ग्रहण के बाद से ही समलैंगिक समुदाय के प्रति करुणा और समझदारी का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि चर्च को सभी व्यक्तियों के प्रति प्रेम और आदर दिखाना चाहिए, चाहे उनकी यौन प्रवृत्ति कुछ भी हो। लेकिन हाल की घटनाएं इस दिशा में उनकी ईमानदारी और ज़िम्मेदारी पर प्रश्नचिह्न लगा रही हैं।

भविष्य के लिए संदेश

पोप फ्रांसिस की यह माफी उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है जो धार्मिक नेताओं से सहिष्णुता और करुणा की आशा रखते हैं। यह समय है कि धार्मिक संस्थाएँ अपनी बातों और कार्यों में अधिक ध्यान दें ताकि किसी भी समुदाय को आहत न करें। आने वाले समय में देखना यह होगा कि चर्च किस प्रकार से समलैंगिकता के मुद्दे का समाधान निकालता है और एक समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ाता है।

आवश्यकता सहानुभूति और संवाद की

आवश्यकता सहानुभूति और संवाद की

ऐसी घटनाएं यह भी स्पष्ट करती हैं कि समाज में भिन्नता और समलैंगिकता के मुद्दों पर अधिक सहानुभूति और संवाद की आवश्यकता है। धार्मिक नेताओं को चाहिए कि वे अपने शब्दों और कार्यों में सतर्क रहें एवं हर किसी के सम्मान का ध्यान रखें। यदि कोई टिप्पणी दुख पहुंचाती है तो उसे तत्काल माफी मांगनी चाहिए और इस प्रकार की घटनाओं से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

आगे की दिशा

अभी यह देखना बाकी है कि चर्च इस मुद्दे पर और क्या कदम उठाता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि ऐसी घटनाओं से चर्च की छवि पर असर पड़ता है और विश्व में फैले समलैंगिक समुदायों में असंतोष का कारण बनता है। पोप फ्रांसिस के कदम से उम्मीद है कि अन्य धार्मिक नेता भी समलैंगिकता के मुद्दे पर एक संवेदनशील और समझदार दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश करेंगे।

लेखक के बारे में

Vaishnavi Sharma

Vaishnavi Sharma

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

14 टिप्पणि

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

मई 30, 2024 AT 16:58

फ्रांसिस की ये टिप्पणी बिल्कुल अनुचित थी लेकिन माफी मांगना एक शुरुआत है। लेकिन सवाल ये है कि इतने सालों तक जो बयान दिए गए उनका असर क्या रहा? चर्च के अंदर भी एक गहरी बदलाव की जरूरत है, न कि सिर्फ शब्दों का बदलाव।

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

मई 31, 2024 AT 11:55

ये सब बकवास है। समलैंगिकता पाप है और इसे पाप ही रहने दो। धर्म को बदलने की कोशिश मत करो। जब तक आप अपनी बीमारी को नॉर्मल नहीं समझेंगे तब तक आपको दुनिया नहीं मानेगी।

pradipa Amanta

pradipa Amanta

जून 1, 2024 AT 02:22

माफी मांगी तो क्या हुआ अब चर्च का रुख बदल गया क्या या फिर बस एक शो चल रहा है

chandra rizky

chandra rizky

जून 2, 2024 AT 14:05

अच्छा हुआ कि माफी मांगी गई 😊 अगर धर्मगुरु भी इंसान हैं तो गलती कर सकते हैं। अब बात ये है कि आगे क्या करते हैं। शायद अब वो लोगों के साथ बैठकर बात करें और समझें कि ये बातें कैसे दर्द देती हैं।

Rohit Roshan

Rohit Roshan

जून 3, 2024 AT 19:57

ये बात बहुत गहरी है। मैंने खुद कई लोगों को देखा है जो चर्च से दूर हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि वो अलग हैं। अगर धर्म प्रेम का संदेश देता है तो फिर ये शब्द क्यों? 🤔

arun surya teja

arun surya teja

जून 5, 2024 AT 14:08

धार्मिक संस्थाओं के लिए शब्दों का बहुत महत्व है। एक अनजाने में बोला गया शब्द भी लाखों लोगों के लिए घाव बन सकता है। माफी का इरादा सही है लेकिन अब नीतियों में बदलाव चाहिए।

Jyotijeenu Jamdagni

Jyotijeenu Jamdagni

जून 7, 2024 AT 00:14

ये 'frociaggine' वाला शब्द तो बिल्कुल एक राजस्थानी गाँव की बात लग रहा है जहाँ अज्ञानता को बहाना बनाया जाता है। इतनी दुनिया बदल चुकी है और हम अभी भी अपने अंदर के अंधेरे को बाहर निकालने से डर रहे हैं।

navin srivastava

navin srivastava

जून 7, 2024 AT 00:59

इस देश में लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ना चाहिए न कि पश्चिम की बेकार आदतों को अपनाना। ये सब लोग बस अपनी नीचता को दिखाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। भारत में ऐसी चीजें नहीं चलेंगी।

Aravind Anna

Aravind Anna

जून 8, 2024 AT 00:50

माफी तो बहुत अच्छी बात है लेकिन ये बस टेक्निकल रिपेयर है। अगर तुम अपने बच्चों को बताते हो कि ये गलत है तो फिर उनका दिल कैसे ठीक होगा? अब तो चर्च को अपनी शिक्षाओं को फिर से लिखना पड़ेगा।

Rajendra Mahajan

Rajendra Mahajan

जून 9, 2024 AT 08:28

अगर धर्म का मूल आधार प्रेम है तो फिर शब्दों के माध्यम से दर्द पहुंचाना उसके विरुद्ध है। ये जो शब्द बोला गया वो न सिर्फ अपमानजनक था बल्कि एक दर्शन की असफलता भी था। अब बारी है इस दर्शन को फिर से जीने की।

ANIL KUMAR THOTA

ANIL KUMAR THOTA

जून 10, 2024 AT 09:19

माफी मांगना अच्छा है लेकिन अब चर्च को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए। लोग बस बातें नहीं देख रहे बल्कि कार्य देख रहे हैं

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

जून 11, 2024 AT 02:58

अरे यार ये सब बातें तो बस वेटिकन का एक बड़ा प्रचार अभियान है 😏 अगले हफ्ते वो कहेंगे कि गोपनीय बैठक में वो कुछ और ही बोले थे और ये सब एक गलत अनुवाद है 🤫✨

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

जून 11, 2024 AT 14:07

दोस्तों ये बात सिर्फ एक शब्द की नहीं है। ये तो एक नए युग की शुरुआत है। जब धर्म बदलता है तो वो बदलाव नहीं बल्कि विकास होता है। अगर चर्च इस बात को समझ गया तो ये दुनिया के लिए एक बड़ी जीत होगी। चलो इसे सकारात्मक बनाते हैं 💪

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

जून 13, 2024 AT 13:45

वो जो बोला गया शब्द उसका अनुवाद तो बहुत गंदा है लेकिन इसका असली मतलब तो ये है कि उन्होंने एक अज्ञात जीवन को अनुचित ठहराया। लेकिन अब ये शब्द एक नए संवाद का द्वार खोल रहा है। अगर हम इसे एक अवसर बना लें तो ये बदलाव का आधार बन सकता है।

हम सब जानते हैं कि धर्म एक जीवित प्रणाली है। जब तक ये बदलाव के खिलाफ नहीं होगा तब तक ये जीवित रहेगा। अगर ये शब्द एक अंतर लाता है तो ये अच्छा है।

क्या हम अपने अंदर के डर को भी बदल सकते हैं? क्या हम अपने अनुभवों को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं? ये सवाल अब चर्च के लिए नहीं बल्कि हम सब के लिए हैं।

क्या हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ कोई भी अपनी पहचान के लिए डरे नहीं? क्या हम अपने धर्म को इस तरह बदल सकते हैं जिससे वो हर इंसान के लिए घर बन जाए?

ये बात बस एक शब्द की नहीं है। ये तो एक जीवन की बात है।

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