7
मई
2025

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट : व्यापार के नए दौर की शुरुआत
6 मई 2025 ने इतिहास बना दिया। लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीअर स्टारमर ने भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) और डबल कांट्रीब्यूशन कन्वेंशन (DCC) पर अंतिम मुहर लगा दी। दो साल तक चली 14 दौर की बारीक बातचीत के बाद ये समझौता हुआ है, जो अब केवल दो देशों के रिश्तों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी खास भूमिका निभाएगा।
समझौतों का दायरा बहुत बड़ा है। अब कारोबारियों के लिए व्यापार पर भारी शुल्क या कागजी कार्रवाई जैसी अड़चनें कम होंगी। माल—चाहे आईटी सर्विसेज हों या टेक्सटाइल—दोनों देशों में ज्यादा आसानी से बगैर बड़ी टैक्स बाधाओं के पहुंच सकेगा।
मूल्यांकन करें तो, इस डील से ब्रिटेन की जीडीपी सालाना £4.8 बिलियन तक बढ़ सकती है। वहीं, मजदूरों की आमदनी में £2.2 बिलियन का इजाफा और दोनों देशों के बीच व्यापर £25.5 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य है। अभी भारत और ब्रिटेन का द्विपक्षीय सामानों का व्यापार $21.34 बिलियन (वित्त वर्ष 2023-24) है, जिसे अगले दस सालों में दोगुना करने का इरादा है।

सामाजिक सुरक्षा और प्रोफेशनल्स का फायदा
इस समझौते के साथ सबसे बड़ी राहत उन भारतीय प्रोफेशनल्स को मिली है जो अस्थायी रूप से ब्रिटेन में काम करने जाते हैं। सामाजिक सुरक्षा समझौता यानी DCC के बाद अब वे दोहरा टैक्स यानी भारत और यूके दोनों को सामाजिक सुरक्षा योगदान नहीं देंगे। इससे भारतीय कामगारों का काफी पैसा बचेगा और कंपनियों की प्रक्रिया भी सुगम होगी।
इस साझेदारी ने दोनों देशों के लिए न केवल टैरिफ्स और व्यापार सीमाएं घटाई हैं, बल्कि शिक्षा, विज्ञान, इन्नोवेशन और हेल्थ जैसे नए क्षेत्रों में मिलकर आगे बढ़ने की राह भी खोली है। निवेश, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, क्वालिटी स्टैंडर्ड्स पर सहयोग—इन सब मोर्चों पर भारत और ब्रिटेन लगातार नया करने को तैयार हैं।
- व्यापार की लागत घटेगी
- नई नौकरियां पैदा होंगी
- नए स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी में सहयोग मिलेगा
- ऊँची गुणवत्तावाले उत्पाद बिना तकलीफ के पहुंच सकेंगे
एक दिलचस्प डिटेल यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश समकक्ष को भारत आने का न्योता दिया है जिससे यह साझेदारी केवल कागजों पर ही नहीं, वास्तविक प्रोजेक्ट्स और कंपनियों के साझा कार्यक्रम तक पहुंचेगी।
अगर आप आईटी, फिनटेक, मेडिकल या एजुकेशन से जुड़े हैं तो ये एग्रीमेंट आपके लिए नए दरवाजे खोल सकता है। वही भारतीय कंपनियों के लिए ब्रिटेन अब अधिक ओपन हैं और अंग्रेज कंपनियों को भारत के बड़े डोमेस्टिक बाजार का फायदा मिलेगा।
भारत-यूके रणनीतिक साझेदारी का यह नया अध्याय न सिर्फ व्यापार में बल्कि जॉब्स, इनोवेशन और क्वालिटी लाइफ में महसूस किया जाएगा।
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