17
नव॰
2024
झांसी की त्रासदी में छिपी विवेक विहार की कड़वी यादें
हाल ही में झांसी, उत्तर प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में लगी आग ने 10 नवजात बच्चों की जान ले ली और इस घटना ने एक बार फिर से दिल्ली के विवेक विहार की दुःखद यादों को ताज़ा कर दिया है। 25 मई को, विवेक विहार के नवजात देखभाल अस्पताल में एक भीषण आग लगी थी, जहां सात नवजात बालकों की मौत हो गई थी जबकि पाँच अन्य घायल हुए थे। यह खबर लोगों के दिलों में गहरे छाप छोड़ चुकी है और इसकी घटनाएं अब झांसी के हाल के अग्निकांड के बाद फिर से खासी चर्चा में हैं।
अस्पतालों की सुरक्षा चिंता में अशक्त प्रशासन
विवेक विहार मामले की भांति, झांसी का यह अस्पताल भी कई सुरक्षात्मक दोषों से ग्रस्त था। कहा जाता है कि अस्पताल का लाइसेंस अवैध हो गया था और उसके पास उचित अग्निशमन उपाय नहीं थे, जिसमें निष्क्रिय अग्निशामक यंत्र और आपातकालीन निकासी के रास्ते शामिल नहीं थे। अस्पताल के मालिक, नवीन चीचि, को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ आई.पी.सी की धारा 336 और 304ए के तहत आरोप दर्ज किए गए थे।
पीड़ितों का दर्द और चेतावनी
विवेक विहार की त्रासदी के पीड़ितों में से, सीमा ने, जिनके जुड़वां बच्चों की इस घटना में मौत हो गई थी, बताया कि प्रशासनिक उदासीनता के चलते ही यह दुखद घटना हुई। साथ ही, उन्हों ने चिंता जताई कि अगर प्रशासन ने जल्द से जल्द इन अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों पर प्रभावी कार्यवाही नहीं की तो ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
मधुराज, जिनके बच्चे इस घटना में बच गए थे, ने जोर देकर कहा कि जिन अस्पतालों में उचित दस्तावेज नहीं हैं या जो अवैध रूप से चल रहे हैं, उन पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए। दीपक गौतम के बच्चे भी इस घटना में बच गए थे और उन्होंने यह कहा कि तब तक ये घटनाएं नहीं रुकेंगी जब तक प्रशासन संजीदा हो कर अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करता।
सरकार की प्रतिक्रिया और अग्निकांड की चर्चाएँ
विवेक विहार की घटना ने सरकार को सख्त स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की थी और दिल्ली सरकार ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्यवाही करने का वचन दिया था।
इस बीच, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने जांच में पाया कि चिकित्सा अधीक्षकों ने नर्सिंग होम मालिकों से साठगांठ की थी और स्थल जांच नहीं की थी, जिसे लेकर सख्त कार्यवाही की सिफारिश की गई थी। इस घटना के बाद अस्पतालों की नियमित जांच और अग्निसुरक्षा मानकों के अनुपालन की आवश्यकता पर फिर से बहस छिड़ गई है।
झांसी का यह अग्निकांड केवल विवेक विहार की त्रासदी के बाद एक अत्यंत आवश्यक चेतावनी है कि ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए अस्पतालों की सख्त जांच होनी चाहिए और सुरक्षा उपायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। प्रशासन, डॉक्टरों, और अस्पताल मालिकों के बीच एक ठोस निकाय की स्थापना जरूरी है जो समय-समय पर अस्पतालों के चालान और निरीक्षण के लिए काम करे। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमें यह सिखा सकती है कि मानव जीवन की सुरक्षा को कभी भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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