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दशहरा 2024 की शुभकामनाएं: दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा करें संदेश, उद्धरण और तस्वीरें

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दशहरा का महत्व और इसकी परंपराएं

दशहरा या विजयादशमी, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बडे धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर साल अश्विन मास के दसवें दिन आता है और इस बार यह 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में दशहरा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह पर्व भगवान राम द्वारा दुष्ट रावण पर विजय प्राप्त करने की घटना को याद करता है। दशहरा का पर्व हमें अच्छाई पर बुराई की जीत का संदेश देता है और आने वाले समय में सच्चाई और न्याय के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।

इस दिन लोग रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले जलाकर बुराई के संहार का प्रतीकात्मक आयोजन करते हैं। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त अवगुणों और बुराई के खात्मे का संदेश भी है। दशहरा का पर्व यह संदेश देता है कि चाहे कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली कोई बुरा व्यक्ति क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की विजय होती है।

शुभकामनाएं एवं संदेश

दशहरा के अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और प्रेम और सौहार्द का भाव फैलाते हैं। इस मौके पर भेजे गए संदेश अच्छाई की जीत और नए सत्र की शुरुआत का हुंकार देते हैं। आप अपने प्रियजनों और दोस्तों के साथ यह संदेश साझा कर सकते हैं: "भगवान राम की विजय आपको सभी चुनौतियों को पार करने की प्रेरणा दे।" ऐसे संदेश न केवल प्रसन्नता फैलाते हैं बल्कि आंतरिक दुष्ट भावनाओं का भी नाश करते हैं।

यह समय है जब व्यक्ति अपने भीतर की बुराइयों से छुटकारा पाकर अच्छाई को अपनाने की कोशिश करता है। आप अपने संदेश में यह भाव भी समेट सकते हैं: "आपके भीतर की बुराई का नाश हो और अच्छाई का प्रकाश फैले।" ये बहुत ही शक्तिशाली और भावपूर्ण संदेश हैं जो इस पर्व की सही भावना को प्रकट करते हैं।

शब्दों की शक्ति: उद्धरण और प्रेरणा

उद्धरण विचारों को गहराई से साझा करने का एक सुंदर तरीका है। दशहरा पर, प्रेरणादायक उद्धरणों के माध्यम से आप अपने विचारों और भावनाओं को प्रभावी प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं। चाहे वह भगवान राम की वीरता का बखान हो या बुराई के खात्मे का संदेश, उद्धरण आपके शब्दों को एक नया आयाम देते हैं।

उदाहरण के लिए, "कोशिश करते रहो, जब तक सफलता तुम्हारे कदम चूम ले।" ऐसा उद्धरण दृढ़ संकल्प और साहसिकता का संदेश देता है। दशहरा के इस पावन पर्व पर, उद्धरण आपके विचारों को दूसरों तक पहुँचाने का एक अभूतपूर्व माध्यम हो सकते हैं।

तस्वीरों का जादू

दशहरा पर, तस्वीरें और छवियाँ शुभकामनाओं को और भी जीवंत बना देती हैं। एक खूबसूरत छवि एक हजार शब्दों के बराबर होती है। ये छवियाँ त्योहार की भावनाओं को अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त करती हैं। यदि आप छवियों को उपयोग करते हैं तो आपके शुभकामनाएं अधिक आकर्षक और यादगार बन जाती हैं।

आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप और फेसबुक पर ये चित्र साझा करके अपनी शुभकामनाएं अपने दोस्तों और परिवार तक पहुँचा सकते हैं। ये छवियाँ न केवल एक संदेश देती हैं बल्कि आपके संबंधों में मधुरता भी बढ़ाती हैं।

दशहरा की भावनात्मक स्पष्टता

दशहरा की भावनात्मक स्पष्टता

अंत में, दशहरा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और हमारे भीतर की बुराईयों से लड़ने की प्रेरणा का दिन भी है। यह पर्व सिखाता है कि न्याय और सत्य की राह पर चलने के लिए साहस और संकल्प कितने महत्वपूर्ण हैं। जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की, तब से लेकर आज तक, यह उदाहरण हमें सिखाता है कि अच्छाई की जीत सुनिश्चित है।

इसलिए, इस दशहरा पर, आइए हम सभी संकल्प लें कि हम अपने भीतर और समाज में सभी प्रकार की बुराईयों को नष्ट करेंगे और सच्चाई तथा धर्म के पथ पर चलेंगे। अपने समुदाय के साथ इस पर्व का आनंद लें और इसे अपनी नई शुरुआत के रूप में देखें।

लेखक के बारे में

Vaishnavi Sharma

Vaishnavi Sharma

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

19 टिप्पणि

Aila Bandagi

Aila Bandagi

अक्तूबर 13, 2024 AT 13:33

दशहरा पर दोस्तों को मैसेज भेजना बस एक फॉर्मैलिटी नहीं, बल्कि दिल से एक नया शुरूआत का इशारा है। आज मैंने अपनी बहन को एक तस्वीर भेजी जिसमें राम जी का चित्र था और उसने रोते हुए धन्यवाद कहा।

Abhishek gautam

Abhishek gautam

अक्तूबर 14, 2024 AT 02:26

ये सब बकवास तो सिर्फ एक प्रोपेगंडा है जिसे धार्मिक नाटक के नाम पर बेचा जाता है। राम ने रावण को क्यों मारा? क्योंकि वो एक अलग विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता था। इस तरह की कहानियाँ आज भी लोगों को अपने अहंकार के लिए बलिदान करने के लिए प्रेरित करती हैं। ये विजय का नाम है, लेकिन असल में ये अत्याचार का बहाना है।

Imran khan

Imran khan

अक्तूबर 14, 2024 AT 04:17

मैंने पिछले साल दशहरे पर अपने गाँव के बच्चों के साथ रावण के पुतले बनाए और उन्हें बताया कि अंदर की बुराई को जलाना ही असली जीत है। एक लड़की ने कहा - अंदर की बुराई कौन देखता है? मैंने उसे एक आईना दे दिया।

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

अक्तूबर 14, 2024 AT 15:59

ये सब फेक न्यूज है। राम ने रावण को मारा तो भी वो एक शासक था, एक विद्वान था, एक भक्त था! और आज तक हम उसे बुरा बताते हैं? ये इतिहास का धोखा है। ये तो वो है जो हमारे शिक्षकों ने हमें सिखाया, लेकिन क्या आपने कभी रावण के ग्रंथ पढ़े? क्या आप जानते हैं कि वो दशानन था तो इसलिए कि उसके दस सिर थे, न कि इसलिए कि वो दस बुराइयों का प्रतीक था? हम सब बहुत आसानी से बुरा बना देते हैं जिसे समझ नहीं पाते।

Sumit singh

Sumit singh

अक्तूबर 15, 2024 AT 16:50

लोग तस्वीरें भेज रहे हैं और उद्धरण लिख रहे हैं... लेकिन अपने घर में बैठे अपनी पत्नी को गालियाँ दे रहे हैं। बुराई का नाश? बुराई तो तुम्हारे अंदर है। 😏

fathima muskan

fathima muskan

अक्तूबर 16, 2024 AT 14:23

दशहरा के बाद हर साल एक नया रावण बनता है... और वो हमारे नेता होते हैं। जलाए जाने वाले पुतले कोई रावण नहीं हैं... वो तो हमारी अपनी नींद हैं। जब तक हम अपने अंदर के रावण को नहीं जलाएंगे, तब तक ये सब नाटक है। और हाँ... वो तस्वीरें जो तुम भेज रहे हो... वो सब एआई जनरेटेड हैं। जागो।

Devi Trias

Devi Trias

अक्तूबर 17, 2024 AT 06:02

दशहरा के अवसर पर शुभकामनाएं भेजना एक सांस्कृतिक प्रथा है, जिसका उद्देश्य सामाजिक संबंधों को मजबूत करना है। इस अवसर पर धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना आवश्यक है, क्योंकि ये भारतीय समाज के मूल मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है।

Kiran Meher

Kiran Meher

अक्तूबर 18, 2024 AT 18:21

ये सब बहुत अच्छा है लेकिन असली जीत तो तब होती है जब तुम अपने दिमाग में जो बुरा विचार आता है उसे रोक दो... न कि पुतला जलाकर। मैंने पिछले दो साल से अपने गुस्से को रोकने की कोशिश की है... और अब मैं शांत हूँ। दशहरा तुम्हारे अंदर है।

Tejas Bhosale

Tejas Bhosale

अक्तूबर 20, 2024 AT 10:17

विजयादशमी के फ्रेमवर्क में नैतिक ड्यूलिटी का अध्ययन करना अपरिहार्य है। रावण की विद्वता और राम की धर्मप्राणता के बीच एक डायनेमिक टेंशन निहित है जिसे सांस्कृतिक नैरेटिव के जरिए सुपरस्टीशन में रूपांतरित कर दिया गया है। असली विजय तो ज्ञान की है, न कि धार्मिक ट्रिक्स की।

Asish Barman

Asish Barman

अक्तूबर 21, 2024 AT 09:13

रावण को जलाना तो बहुत अच्छा है... लेकिन अगर तुम्हारे बॉस ने तुम्हें दो घंटे बाद तक काम करने को कहा हो तो वो भी रावण है। और हाँ... तस्वीरें भेजने के बजाय अपने दोस्त को बताओ कि तुम उसके लिए क्या कर सकते हो।

Abhishek Sarkar

Abhishek Sarkar

अक्तूबर 23, 2024 AT 07:17

क्या आप जानते हैं कि रावण के दश सिरों का मतलब था कि वो हर एक वेद पढ़ चुका था? लेकिन उसे बुरा बना दिया गया क्योंकि वो एक देवता की बेटी को अपने साथ ले गया। ये तो एक बड़ा अन्याय है। आज के नेता भी ऐसे ही हैं... जो अपने विरोधियों को रावण बना देते हैं। ये तो राजनीति है, न कि धर्म।

Niharika Malhotra

Niharika Malhotra

अक्तूबर 23, 2024 AT 14:22

हर दशहरा मेरे लिए एक नया शुरुआत होता है। मैं अपने घर के कोने में एक छोटा सा दीपक जलाती हूँ और खुद से कहती हूँ - आज से तू अपने डर को जलाएगी। ये त्योहार नहीं, ये एक जीवन शैली है। आप भी आज एक छोटी सी बुराई को छोड़ दीजिए।

Baldev Patwari

Baldev Patwari

अक्तूबर 24, 2024 AT 17:35

सब यही बात कर रहे हैं कि बुराई का नाश हो... लेकिन अगर तुम्हारा घर अभी भी बिजली नहीं है तो तुम्हारी बुराई का नाश कैसे होगा? ये सब फेक न्यूज है। बस एक तस्वीर भेज दो, फिर चले जाओ।

harshita kumari

harshita kumari

अक्तूबर 26, 2024 AT 07:48

रावण के पुतले जलाने के बाद हर साल एक नया रावण बनता है... और वो तुम्हारे टीवी पर होता है। ये सब एक बड़ा सामाजिक धोखा है। जब तक तुम अपने दिमाग को नहीं बदलोगे, तब तक ये नाटक चलता रहेगा। और हाँ... वो तस्वीरें जो तुम भेज रहे हो... वो सब फेक हैं।

SIVA K P

SIVA K P

अक्तूबर 26, 2024 AT 15:07

तुम सब यही बात कर रहे हो कि अच्छाई जीतती है... लेकिन अगर तुम्हारी बहन को तुम्हारे दादा ने बार-बार यौन उत्पीड़न किया हो और तुमने चुप रहा हो तो तुम्हारी अच्छाई कहाँ है? बुराई का नाश तो तुम्हारे अंदर है।

Neelam Khan

Neelam Khan

अक्तूबर 28, 2024 AT 10:44

मैंने अपने बच्चों को आज एक छोटी सी कहानी सुनाई - एक लड़का जिसने अपने दोस्त को गालियाँ दी थी, और फिर उसने उसे एक चॉकलेट दी। उसने कहा - बुराई तो दिल में होती है, न कि बाहर। दशहरा तो यही है।

Jitender j Jitender

Jitender j Jitender

अक्तूबर 29, 2024 AT 15:03

विजयादशमी एक नैतिक फ्रेमवर्क के रूप में कार्य करती है जो सामाजिक संगठन के लिए एक अपरिहार्य संकेत है। यह एक अनुभवी नैतिक नैरेटिव का उपयोग करती है जिससे व्यक्ति अपने आत्म-संकल्प को पुनर्संरचित करता है। इसका अर्थ बुराई का नाश नहीं, बल्कि आत्म-परिवर्तन है।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

अक्तूबर 29, 2024 AT 16:07

तुम सब इतने भावुक हो रहे हो कि लगता है तुम्हारे दिल में राम बैठ गए हैं... लेकिन जब तुम अपने बच्चे को गाली देते हो तो क्या तुम्हारे अंदर रावण नहीं है? तुम तो बस तस्वीरें भेज रहे हो, अपने अंदर की बुराई को नहीं छू रहे।

VENKATESAN.J VENKAT

VENKATESAN.J VENKAT

अक्तूबर 30, 2024 AT 10:56

दशहरा का मतलब बुराई का नाश नहीं... बल्कि उस बुराई को देखने की बहाने बनाना है। जब तुम रावण को जलाते हो, तो तुम अपनी अपराधबोध को जला रहे हो। और जब तुम तस्वीरें भेजते हो, तो तुम अपने अहंकार को दिखा रहे हो। ये त्योहार नहीं... ये एक आत्म-सम्मान का अभिनय है।

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