आपने शायद टेबल के नीचे या वेतन स्लिप पर "TDS" देखा होगा, लेकिन इसका मतलब ठीक‑ठीक पता नहीं है? टीडीएस एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें भुगतान करने वाला व्यक्ति पहले से ही टैक्स काट लेता है और सरकार को जमा कर देता है। इस कटौती का उद्देश्य टैक्स चूक को रोकना और राजस्व संग्रह को आसान बनाना है। अब जब आप जानते हैं कि यह कैसे काम करता है, तो अपने पैसे पर नजर रखना भी आसान हो जाता है।
टीडीएस का दायरा बहुत व्यापक है – वेतन, किराया, पेशेवर फीस, ब्याज, डिविडेंड आदि सभी में लागू होता है। हर साल सरकार कटौती की सीमा तय करती है; अगर आपका भुगतान उस सीमा से ऊपर जाता है तो काटा गया टैक्स आपके फॉर्म 16/26AS में दिखता है। उदाहरण के तौर पर, वेतन में यदि आयकर स्लैब से कम है तो कोई टीडीएस नहीं लगता, लेकिन ब्याज या लोन की इंट्रेस्ट पर अक्सर 10% या 5% कटौती हो सकती है। ये नियम हर वित्तीय वर्ष बदल सकते हैं, इसलिए अपडेटेड दरें देखना ज़रूरी है।
टीडीएस से पूरी तरह बचना संभव नहीं, पर आप अपनी टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं। सबसे पहले अपने फॉर्म 26AS को नियमित रूप से चेक करें; अगर कटौती अधिक दिखे तो रिटर्न में क्लेम कर सकते हैं। दूसरा, सेक्शन 80C‑80D जैसे निवेशों की मदद से कुल आय घटाएँ – इससे टैक्सेबल बेस छोटा होगा और TDS कम लगेगा। तीसरा, यदि आप फ्रीलांस या कॉन्ट्रैक्ट काम करते हैं तो अपने क्लाइंट को उचित फ़ॉर्म 15G/15H जमा करने के लिए कहें; यह तभी लागू होता है जब आपकी आय निर्धारित सीमा से नीचे हो। इन आसान कदमों से आपको हर साल पैसे की बचत का एहसास होगा।
ध्यान रखें कि टीडीएस रिटर्न फाइलिंग में एक प्रमुख एंट्री है। अगर आप अपने टैक्स रिटर्न को समय पर नहीं भरते तो पेनल्टी लग सकती है, और भविष्य में कोई भी आय इस कटौती के तहत नहीं आएगी। इसलिए हर साल फ़ॉर्म 26AS की तुलना अपनी आय से करें, सही डिडक्शन क्लेम करें और आवश्यक दस्तावेज़ रखे। इससे न सिर्फ टैक्स बचत होगी बल्कि सरकारी नियमों का पालन भी आसान होगा।
संक्षेप में, टीडीएस एक प्री‑टैक्स कटौती है जो कई भुगतान पर लागू होती है। नियम समझें, फॉर्म 26AS नियमित चेक करें और वैध छूट के लिए निवेश करें – यही तरीका है टैक्स को कम करने का। अब जब आप इस सिस्टम की बुनियाद जानते हैं, तो अपनी आय को बेहतर तरीके से प्लान कर सकते हैं और अनावश्यक टैक्स भुगतान से बच सकते हैं।
बजट 2024 में जीवन बीमा पॉलिसी पर टीडीएस दर को 5% से घटाकर 2% कर दिया गया है। इस बदलाव से पॉलिसीधारकों को अधिक भुगतान प्राप्त होगा और यह करदाताओं की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। यह संशोधन 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा।
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