नदियों को जोड़ने का मतलब दो या अधिक नदियों के बीच जल प्रवाह बनाना है ताकि पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पूर्ति हो सके। ये योजना सिर्फ बड़े बाँध नहीं, बल्कि नहरें, टनल और जलाशयों का नेटवर्क है। अगर एक नदी ज्यादा पानी रखती है तो दूसरा उसका फायदा ले सकता है, इस तरह दोनों को लाभ होता है।
पहला लक्ष्य है सिंचाई के लिए अतिरिक्त जल उपलब्ध कराना। कई राज्यों में खेती की जरूरतें बढ़ रही हैं, लेकिन बरसात का पानी जल्दी खत्म हो जाता है। नदियों को जोड़ने से बाढ़ के समय जमा पानी को दूर के खेतों तक ले जाया जा सकता है। दूसरा उद्देश्य है पेयजल आपूर्ति सुधारना। कुछ शहरों में साफ़ पानी की कमी रहती है, तो नदी लिंकिंग से वे बड़े जल स्रोतों से जुड़ सकते हैं। तीसरा कारण है जल शक्ति का संतुलन – अधिक पानी वाले क्षेत्रों को कम पानी वाले क्षेत्रों से बाँटना ताकि बाढ़ और सूखे दोनों के नुकसान घटें।
अब तक भारत में कई बड़े लिंकिंग प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। कर्नाटक‑तेलगुंआ, महाराष्ट्र‑छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश‑तमिलनाडु के बीच की परियोजनाएं प्रमुख उदाहरण हैं। इनमें से कुछ को पहले ही मंजूरी मिल गई है और निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन जमीन का अधिग्रहण, पर्यावरणीय अनुमति और स्थानीय विरोध अक्सर काम को धीमा कर देते हैं। लोगों को यह डर रहता है कि नदियों के बदलाव से खेती या जीव-जंतुओं पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए सरकार ने सामाजिक प्रभाव आकलन और पुनर्वास योजना बनाई है, लेकिन इसे लागू करना अभी मुश्किल रहा है।
एक और बड़ी बाधा है वित्तीय लागत। बड़े टनल और नहर बनाना करोड़ों की बात है, और अक्सर बजट ओवररन हो जाता है। इस कारण कई बार परियोजनाओं को चरण‑बद्ध तरीके से पूरा किया जाता है। निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राजस्व मॉडल भी तैयार किए जा रहे हैं, जैसे जल बिक्री या हाइड्रोपावर उत्पादन से आय।
अगर हम देखे तो नदियों को जोड़ने का असर तुरंत नहीं दिखता, लेकिन लंबी अवधि में खेती की पैदावार बढ़ती है, पानी की कीमत घटती है और बाढ़‑से‑संबंधित नुकसान कम होते हैं। इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर योजना सही ढंग से लागू हो, तो यह देश के जल सुरक्षा को मजबूत कर सकता है।
आपके पास अगर नदियों के लिंकिंग पर कोई सवाल या सुझाव है, तो नीचे लिखें। स्थानीय लोगों की राय और वैज्ञानिक डेटा दोनों ही इस बड़े काम को सफल बनाते हैं। याद रखें, पानी का सही उपयोग ही भविष्य में हर घर तक साफ़ जल लाने का रास्ता है।
लोनावला में एक दुःखद घटना में एक परिवार के तीन सदस्य झील में डूब गए और दो बच्चे अभी भी लापता हैं। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने परबती-कलिसिन्ध-चंबल नदी जोड़ने के परियोजना पर समझौता किया है। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट स्वतंत्र सांसद राशिद इंजीनियर, मेधा पाटकर के केस में फैसला सुनाएगी। खेल में, टी20 विश्व कप की 'टीम ऑफ द टूर्नामेंट' में छह भारतीय खिलाड़ियों का चयन हुआ है।
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