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शक्तिकांत दास बने प्रधानमंत्री मोदी के 'दूसरे' प्रधान सचिव

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'दूसरे' प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। यह पहली बार हुआ है जब केंद्रीय सरकार के पास दो प्रधान सचिव एक साथ होंगे। दास, जो 42 साल से अधिक का प्रशासनिक अनुभव रखते हैं, अब प्रधानमंत्री मोदी की टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। यह भूमिका समय में समाप्त होगी जब मोदी का कार्यकाल समाप्त होगा।

दास की करियर यात्रा किसी कहानी से कम नहीं रही है। उन्होंने देश में नोटबंदी (2016) जैसे अभूतपूर्व फैसलों को लागू किया और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सफल रोलआउट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने कोविड-19 महामारी जैसे आपातकालीन हालातों में देश की आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने का कार्य भी बखूबी किया। 2018 से 2023 तक आरबीआई गवर्नर के रूप में, उन्होंने कई वित्तीय संकटों का समाधान किया और लॉकडाउन के दौरान बाज़ारों में स्थिरता लाई।

दास की नई चुनौती

प्रधानमंत्री मोदी की टीम में शामिल होकर, शक्तिकांत दास का सामना कई चुनौतियों से होगा। वर्तमान में देश धीमी अर्थव्यवस्था, रुपये की गिरावट और वैश्विक व्यापारिक तनावों से जूझ रहा है। विपक्षी दलों ने उनकी नियुक्ति पर सियासी महत्व के सवाल उठाए हैं, लेकिन आर्थिक जानकार दास की विश्वसनीयता और उनके नीति निर्धारण क्षमता पर भरोसा जताते हैं। इनसे उम्मीद की जा रही है कि उनकी विशेषज्ञता भारत की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगी।

दास की नियुक्ति मोदी सरकार की उस रणनीति को प्रदर्शित करती है जिसमें वे उन विशेषज्ञों पर भरोसा करते हैं जो अर्थव्यवस्था को नई गति दे सकते हैं। प्रधानमंत्री के 'दूसरे' प्रधान सचिव बनने के साथ, दास को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत कर सके।

लेखक के बारे में

Vaishnavi Sharma

Vaishnavi Sharma

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

10 टिप्पणि

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

मार्च 6, 2025 AT 20:08

ये सब नियुक्तियाँ तो बस एक नाटक हैं। दास जी तो बस एक बैंकर हैं, नहीं तो एक राजनीतिक जादूगर। जब भी कुछ गलत होता है, तो एक नया 'एक्सपर्ट' लाया जाता है। लेकिन असली समस्या तो वो है जो बैठकों में बात नहीं करता - वो जो निर्णय लेता है वो अपने घर के बाहर नहीं, घर के अंदर बैठकर लेता है। अब दास जी को भी इसी गुप्त बैठक में बुलाया गया है। 😒

Sumit singh

Sumit singh

मार्च 8, 2025 AT 13:31

ये सब बातें तो बहुत आम हैं। लेकिन दास की नियुक्ति एक ऐतिहासिक क्षण है। एक रिजर्व बैंक गवर्नर को प्रधान सचिव बनाना? ये तो एक नए युग की शुरुआत है। जब तक आर्थिक नीतियाँ राजनीति के दबाव में नहीं आतीं, भारत का भविष्य सुरक्षित है। 🤓

fathima muskan

fathima muskan

मार्च 8, 2025 AT 15:25

दास जी को नियुक्त किया गया? हा हा हा... अब तो सब ठीक है। जब नोटबंदी के बाद 400 लोगों की मौत हुई, तो किसने जवाबदेही ली? कोई नहीं। अब वो प्रधान सचिव बन गए? अब वो देश के सारे बैंक अकाउंट्स बंद कर देंगे? ये तो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है। 😏

Devi Trias

Devi Trias

मार्च 8, 2025 AT 17:29

शक्तिकांत दास की नियुक्ति एक तकनीकी निर्णय है, जिसका उद्देश्य आर्थिक नीति निर्माण में विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है। उनके पास लगभग चार दशकों का अनुभव है, जिसमें जीएसटी, नोटबंदी और कोविड के दौरान नीति समायोजन शामिल हैं। यह नियुक्ति एक निष्पक्ष आर्थिक प्रशासन की ओर एक प्रतीकात्मक कदम है। कृपया इसे राजनीतिक रंग न दें।

Kiran Meher

Kiran Meher

मार्च 8, 2025 AT 21:24

भाई ये तो बहुत बड़ी बात है जी दास जी को इतना बड़ा पद मिल गया तो अब भारत की अर्थव्यवस्था तो बस आसमान छू लेगी जी बस यही बात है जी जब तक ऐसे लोग हैं तो हम बचेंगे जी

Tejas Bhosale

Tejas Bhosale

मार्च 9, 2025 AT 09:05

नया नोड: गवर्नर → प्रधान सचिव। ऑप्टिमाइज़ेशन लेवल 2.0। लिक्विडिटी शॉक्स को स्टैबिलाइज़ करने के लिए एक न्यू लेयर ऑफ़ ब्यूरोक्रेसी। अब ट्रांसैक्शनल एफिशिएंसी बढ़ेगी। ये जो भी राजनीति बात कर रहे हैं, वो बस इंटरफ़ेस डिज़ाइन नहीं समझते।

Asish Barman

Asish Barman

मार्च 10, 2025 AT 21:53

दास जी को नियुक्त किया गया? अच्छा तो अब जीएसटी के बाद जो लोग बचे थे, उन्हें भी नौकरी दे देनी चाहिए। और नोटबंदी के बाद जो बच्चे बाजार में नहीं गए, उनकी नौकरी कौन करेगा? इस नियुक्ति का क्या फायदा? अगर ये सब बहुत बड़ा है तो पहले तो नौकरी दे देना चाहिए ना

Abhishek Sarkar

Abhishek Sarkar

मार्च 12, 2025 AT 06:10

ये सब एक बड़ा धोखा है। जब दास जी आरबीआई में थे, तो उन्होंने जो नीतियाँ बनाईं, वो सब अमेरिका और ब्रिटेन के लॉबीस्ट्स के दबाव में बनीं। अब वो प्रधान सचिव बन गए? ये तो एक ग्लोबल फाइनेंशियल एलायंस का एक नया चरण है। भारत की संप्रभुता धीरे-धीरे बेची जा रही है। आप लोग इसे नहीं देख रहे? दास का नाम अमेरिकी बैंकों के लिस्ट में भी आता है। ये नियुक्ति कोई बड़ा निर्णय नहीं, एक बड़ा धोखा है।

Niharika Malhotra

Niharika Malhotra

मार्च 13, 2025 AT 12:07

दास जी की नियुक्ति एक बहुत ही सावधानी से लिया गया कदम है। उनकी शांति, विश्वसनीयता और गहरी आर्थिक समझ आज के समय में बहुत आवश्यक है। जब सभी चिल्ला रहे हैं, तो जिस व्यक्ति के पास शांति है, वही वास्तविक नेतृत्व करता है। भारत के लिए यह एक शुभ संकेत है। आइए उन्हें समर्थन दें, न कि आलोचना करें।

Baldev Patwari

Baldev Patwari

मार्च 15, 2025 AT 02:07

दास जी को प्रधान सचिव बनाया? ये तो बस एक चाल है। उन्होंने जो किया वो तो बस नियमों के अनुसार था। अब उन्हें एक नया टाइटल दे दिया ताकि लोग भूल जाएं कि असली निर्णय तो किसी और ने लिए। बस नाम बदल दिया। जीएसटी के बाद कितने छोटे व्यापारी बर्बाद हुए? किसने जवाब दिया? कोई नहीं। अब फिर एक नया नाम लगाया।

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