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जुपिटर: सौरमंडल का विशाल गैस दैत्य

जब हम जुपिटर, सौरमंडल का पाँचवाँ ग्रह, मुख्यतः हाइड्रोजन‑हीलियम से बना एक गैस दैत्य. Also known as बृहस्पति, it निश्चित रूप से सबसे बड़ा ग्रह है, जिसका व्यास पृथ्वी से 11 गुना और द्रव्यमान 318 गुना है, तो उसका आकार और प्रभाव खुद में एक कहानी है। इसी संदर्भ में सौरमंडल, सूर्य के चारों ओर घूमते सभी ग्रह, बड़ें और छोटे पिंडों का समूह का संतुलन जुपिटर की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से काफी प्रभावित होता है।

जुपिटर का घूर्णन सबसे तेज़ है – एक दिन सिर्फ 10 घंटे के भीतर पूरा हो जाता है। यही तेज़ घूर्णन उसके दिखावे में तेज़ बैंड और लहरों का कारण बनता है, जिन्हें ग्रेट रेड स्पॉट कहा जाता है। इस बिंदु के लगातार परिवर्तन हमें दिखाते हैं कि जुपिटर का मौसम अस्थिर और गतिशील है। इन बैंडों के बीच के अंतराल में ढेर सारा हाइड्रोजन‑हीलियम मिश्रण रहता है, जो पृथ्वी के स्तर से कई गुना अधिक दबाव बनाता है। यही कारण है कि जुपिटर का कोई ठोस सतह नहीं है – सिर्फ गहरी गैस की परतें और अंत में संभवतः एक ठोस कोर।

ग्रह का आकर्षण सिर्फ उसकी भौतिकी में नहीं, बल्कि उसके उपग्रहों में भी है। जुपिटर के प्रमुख चंद्रमा, गैनिमेड, यूरोपा, कैलिस्टो और आयो जैसे बड़े चंद्रमा, जो अपने-अपने आकार और विशेषताओं से अनूठे हैं में गैनिमेड सबसे बड़ा है – यह शुक्र ग्रह से भी बड़ा है और संभवतः बर्फ‑पानी की सतह रखता है। यूरोपा की बर्फ‑स्थर के नीचे एक तरल जल महासागर हो सकता है, जिससे वह संभावित जीवन के स्रोत बन जाता है। कैलिस्टो बहुत पुराना है और उसके बड़े धक्के वाले क्रेटर वैज्ञानिकों को ग्रह के इतिहास की कहानी बताते हैं। आयो की अत्यधिक ज्वालामुखीय गतिविधि जुपिटर के चुंबकीय क्षेत्र और गुरुत्वाकर्षण के असर को दर्शाती है। इन चंद्रमाओं के अध्ययन से हम न केवल जुपिटर को बल्कि हमारे अपने सौरमंडल के निर्माण को भी बेहतर समझ पाते हैं।

इन सबकी जाँच‑परख के लिए नासा जूनो मिशन, जुपिटर की कक्षा में भर्तीकृत अंतरिक्ष यान, जो ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र, वायुमंडलीय संरचना और ध्रुवीय बिंदुओं का विस्तृत अध्ययन करता है शुरू किया गया। जूनो ने जुपिटर के आंतरिक संरचना के बारे में नई जानकारी दी – जैसे उसका कोर संभवतः ठोस या अर्ध‑ठोस है, और उसके बिखरे हुए जलवाष्पीय बादल कितने ऊँचाई पर बनते हैं। इस मिशन ने ग्रह के असामान्य ध्रुवीय जेट्स को भी सटीक रूप से दर्ज किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जुपिटर की ऊर्जा वायुमंडल में कैसे वितरित होती है। वैज्ञानिक जुपिटर को पृथ्वी के मौसम मॉडल से तुलना करके समझते हैं कि किस तरह बड़े गैस दैत्यों में कार्बन‑सायक्लिंग और शॉक वेव्स काम करती हैं।

जुपिटर का प्रभाव केवल वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि आम जनता के मन में भी गूँजता है। एस्ट्रोनॉमी उत्साही अक्सर दिखते हैं कि वे रात के आसमान में इस चमकते हुए बिंदु को खोजते हैं, क्योंकि जुपिटर सबसे तेज़ी से निकटतम ग्रहों को पीछे धकेलता है। शौकिया दूरबीन और स्मार्टफोन ऐप्स के माध्यम से आप देख सकते हैं कि आज जुपिटर का चमक कितना है, कौन से वो रूप में दिख रहा है, और इसके साथ कौन से सितारे प्रत्यक्ष रूप से देखे जा सकते हैं। जब जुपिटर की प्रतिपक्षी स्थिती आती है, तो उसकी चमक और भी बढ़ जाती है, जिससे सर्दियों के रात में यह प्रमुख नज़र आता है।

जुपिटर के बारे में ये बुनियादी बातें समझने के बाद आप नीचे वाले सेक्शन में इसके संबंधित ताज़ा ख़बरें, विश्लेषण और रोचक तथ्य पाएँगे। चाहे आप एक अंतरिक्ष प्रेमी हों, छात्रों के लिए प्रोजेक्ट ढूँढ रहे हों, या सिर्फ जिज्ञासु मन से ग्रहों के बारे में सीखना चाहें – इस संग्रह में आपको सब मिलेगा। चलिए, अब आगे बढ़ते हैं और देखें कि जुपिटर से जुड़ी नवीनतम समाचार और गहराई वाले लेख क्या कहते हैं।

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