आपने शायद हाल ही में न्यूज फ़ीड में जेस्टरन ट्रूडो का नाम देखा होगा, चाहे वो विदेश नीति की बात हो या घरेलू राजनीति. इस लेख में हम उनके काम‑काज को आसान भाषा में समझेंगे और साथ ही एयर कॅनडा हड़ताल जैसी ताज़ा घटनाओं पर नजर डालेंगे.
ट्रूडो सरकार ने पिछले साल दो‑तीन बार भारत‑कनाडा आर्थिक समझौते को तेज़ किया है. उनका मानना है कि युवा, टेक्नोलॉजी और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहेगा. अगर आप विदेश यात्रा या पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन नए स्कीम्स से वीज़ा प्रोसेसिंग समय कम हो सकता है.
एक खास बात यह है कि ट्रूडो ने पर्यावरण‑सुरक्षा पर भी भारत के साथ मिलकर काम करने का इरादा जताया. जलवायु परिवर्तन की मीटिंग में उन्होंने कहा था, "हमें हर देश को साथ लेकर चलना होगा". इससे दोनों देशों में साफ़ ऊर्जा प्रोजेक्ट्स बढ़ेंगे और भारतीय स्टार्ट‑अप्स को फंड मिलने की संभावना भी बनी रहती है.
अभी-अभी एयर कॅनडा और उसके फ़्लाइट अटेंडेंट यूनियन के बीच मतभेद ने 5 लाख से अधिक यात्रियों को चार दिन तक रोक दिया. ट्रूडो सरकार ने इस विवाद पर तुरंत हस्तक्षेप किया, लेकिन उन्होंने कहा कि यह श्रमिक अधिकारों की रक्षा का मामला है, न कि राजनैतिक मुद्दा.
अगर आप भारत में हैं और कैनेडा के लिए उड़ान बुक करने वाले थे तो अब रिफंड या नई टिकेट की संभावना पर गौर करें. सरकार ने एक अस्थायी समझौता किया जिससे एक्सप्रेस सर्विस अभी भी चल रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को फिर से शुरू होने में कुछ समय लग सकता है.
ट्रूडो का कहना है कि ऐसी हड़तालें आर्थिक विकास को ठप्प नहीं कर सकती. उन्होंने एयर कॅनडा को कहा कि वे जल्द‑से‑जल्द समझौता करें, क्योंकि भारतीय यात्रियों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है और इस पर असर पड़ रहा है.
सारांश में, ट्रूडो के तहत भारत‑कनाडा सहयोग मजबूत हो रहा है, लेकिन घरेलू मुद्दे जैसे एयर कॅनडा हड़ताल कभी‑कभी सैर नहीं छोड़ते. अगर आप इन दोनों देशों से जुड़ी खबरों को फॉलो करना चाहते हैं तो इस टैग पेज पर नियमित रूप से अपडेट चेक करते रहें.
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो संसद और सोशल मीडिया पर तब हंसी का पात्र बने जब उन्होंने 'ब्रोकनिस्ट' शब्द का उपयोग किया, जो वास्तव में शब्दकोश में नहीं है। यह वाकया उस समय हुआ, जब ट्रूडो ने अपनी सरकार की आव्रजन नीतियों को बचाने का प्रयास किया। इस घटना से सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई और उनके इस्तीफे की मांगें उठ रही हैं। 24 लिबरल सांसदों ने ट्रूडो को चौथी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर किया है।
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