जब भारत भर में दीपावली 2025दिल्ली की तैयारियों में लहर दौड़ रही थी, तो एक छोटा कैलेंडर‑भ्रम कई घरों को उलझन में डाल रहा था। कुछ लोग 20 अक्टूबर‑21 अक्टूबर के बीच लड़खड़ाते दिखे, जबकि आधिकारिक पंचांगों ने साफ‑साफ कहा — तीर्थ‑तिथि का अंत 21 अक्टूबर शाम 5:54 वजे तक है, पर मुख्य पूजा 20 अक्टूबर को ही होगी।
दीपावली की तिथि पर विवाद और समाधान
अधिकांश प्रमुख समाचार पोर्टल—आज तक, जागरण, मनीकॉंट्रोल और ड्रिक पंचांग—ने एक ही फॉर्मूला पेश किया: कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे समाप्त होगी। यह वही दुर्लभ ओवरलैप 62 साल पहले 1962‑63 में देखा गया था।
ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्यास्त के समय में सूक्ष्म अंतर और पंचांग गणना के छोटे‑छोटे फॉर्मूले ही इस भ्रम का मूल कारण थे। एक यूट्यूब वीडियो में कहा गया: "हिंदू धर्म में काली पूजा हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है… इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को शाम 5:54 तक चलेगी, लेकिन निशीत काल की पूजा 20 अक्टूबर को ही होगी।"
कैलि पूजा का विशेष समय
कैलि पूजा, जिसे श्यामा पूजा भी कहा जाता है, मुख्यतः पश्चिम बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल का निशीत काल—रात्रि 11:41 बजे (IST) 20 अक्टूबर—का मुहरात सीधे पण्डित भूपेश मिश्रा, मुख्य पुजारी बुधनाथ मंदिर (भागलपुर) ने पुष्टि किया। उन्होंने कहा, "अमावस्या तिथि के बाद सूर्यास्त होने से यह निशीत काल 20 अक्टूबर की ही रात में रहता है, इसलिए कैलि पूजा उसी समय की जानी चाहिए।"
इसलिए, कई घरों ने 20 अक्टूबर की रात को ही लाकshmi‑गणेश की आरती के बाद कैलि की प्रतिमा को जलाकर अंधकार पर प्रकाश की जीत का उत्सव मनाया।
दिवाली से पहले‑और‑बाद के प्रमुख उत्सव
- 18 अक्टूबर (शनिवार) — धनतेरस**: शुभ वैभव, सोना‑चांदी का व्यापार बढ़ा, कई व्यापारियों ने दो‑तीन लाख रुपये की अतिरिक्त बिक्री दर्ज की।
- 19 अक्टूबर (रविवार) — छोटी दिवाली**: घर‑घर में दीप जलाए, छोटे‑छोटे लड्डू‑बर्फी बनते रहे।
- 20 अक्टूबर (सोमवार) — मुख्य दिवाली**: प्रादोष‑काल और निशीत‑काल दोनों में लाकshmi‑गणेश की पूजा, साथ ही कैलि पूजा पश्चिम बंगाल में।
- 21 अक्टूबर (मंगलवार) — गौरधन पूजा**: घोड़े के रूप में भगवान कृष्ण की प्रतिमा की पूजा, कई गाँवों में गौरधन की लहर दौड़ी।
- 22 अक्टूबर (बुधवार) — भाई दूज**: बहन‑भाई के प्यार का जश्न, मिठाई के डिब्बे हर घर में दिखाई दिए।
इन तिथियों के बाद छठ पूजा का प्रारंभ होगा, जिसका सटीक मुहरात अभी भागलपुर के पण्डित जी के हाथों में है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
धनतेरस के कारण पूरे भारत में गहना‑बाजार में 12 % की बिक्री वृद्धि देखी गई। बहु‑राष्ट्रीय रिटेलर्स ने बताया कि सोने‑चाँदी की खपत में 8 % की बढ़ोतरी हुई, जबकि छोटे‑बाजारों में लकड़ी के बर्तन और कलश की मांग चार‑पाँच गुना बढ़ी। ये आंकड़े 2024 के समान अवधि से तुलना करने पर उल्लेखनीय हैं।
सामाजिक स्तर पर, सही तिथि का प्रकाशन यात्रियों, स्टॉक एक्सचेंज के बंद‑हफ्ते और स्कूल‑कॉलेज की छुट्टियों के समन्वय को आसान बना रहा। कई लोग अपने प्रक्रियात्मक काम‑काज—जैसे बँक‑लेन‑देने और सरकारी फ़ॉर्म‑फिलिंग—को इस तिथि के आधार पर क़रार कर रहे थे।
आगामी योजनाएँ और भविष्य की झलक
जैसे ही 2025 की कैलेंडर उलझन सुलझ गई, धार्मिक संगठनों ने अगले साल के लिए भी विस्तृत मुहरात तैयार करने की घोषणा की। बुधनाथ मंदिर का प्रशासन कहता है, "हम प्रत्येक वर्ष के पंचांग को दो‑तीन माह पहले प्रकाशित करेंगे, ताकि जनता को पहले से ही स्पष्टता मिल सके।"
विशेषज्ञों का कहना है कि 62‑वर्षीय चक्र दो‑तीन दशकों में फिरसे दोहराया जा सकता है, इसलिए अगली बार 2087‑88 में इसी तरह का ओवरलैप देखने को मिल सकता है। इस पर शास्त्रीय कैलेंडर विज्ञान के छात्रों ने पहले से ही रिसर्च शुरू कर दिया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धनतेरस, मुख्य दीपावली और कैलि पूजा की तिथियां कैसे निर्धारित होती हैं?
तिथियों का निर्धारण पंचांग के कार्तिक अमावस्या, प्रादोष‑काल और निशीत‑काल पर निर्भर करता है। इस साल अमावस्या 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे शुरू हुई और 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे समाप्त हुई, इसलिए प्रमुख पूजा 20 अक्टूबर को हुई। धनतेरस 18 अक्टूबर, छोटे दीपावली 19 अक्टूबर, गौरधन पूजा 21 अक्तूबर और भाई दूज 22 अक्टूबर निर्धारित किए गए।
पण्डित भूपेश मिश्रा ने कैलि पूजा के समय के बारे में क्या कहा?
बुधनाथ मंदिर के पण्डित भूपेश मिश्रा ने बताया कि कैलि पूजा का निशीत‑काल 20 अक्टूबर रात 11:41 बजे शुरू होता है, इसलिए इस दिन ही सभी मुख्य कैलि अनुष्ठान पूर्ण होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अमावस्या अगले दिन तक चलने से कोई रोक नहीं है, परंतु पंचांग के अनुसार निशीत‑काल का अंत 20 अक्टूबर ही रहता है।
इस वर्ष के कैलेंडर ओवरलैप का इतिहास क्या है?
ऐसे ओवरलैप 1962‑63 में भी देखे गये थे, जब कार्तिक अमावस्या का दिन दो सीपढ़ियों में बँटा था। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह 62‑वर्षीय चक्र का हिस्सा है, इसलिए अगली बार 2087‑88 में समान स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
धनतेरस से जुड़ी आर्थिक गतिविधियाँ कैसे प्रभावित हुईं?
धनतेरस पर सोना‑चाँदी, बर्तन और धार्मिक वस्तुओं की खरीद में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 12 % की वृद्धि दर्ज हुई। बड़े रिटेल चेन ने बताया कि इस दिन ऑनलाइन बिक्री 8 % तक बढ़ी, जिससे छोटे व्यापारियों को भी लाभ हुआ।
भाई दूज और छठ पूजा कब मनाए जाएंगे?
भाई दूज 22 अक्टूबर (बुधवार) को होने वाला है, जबकि छठ पूजा का शरुआती दिन अभी घोषित नहीं हुआ है। भागलपुर के पश्चात् पण्डित भूपेश मिश्रा के अनुसार, छठ के मुहरात आमतौर पर दीपावली के बाद दो‑तीन सप्ताह में आएंगे।
17 टिप्पणि
Hiren Patel
अक्तूबर 18, 2025 AT 23:58अरे यार, ये कैलेंडर वाला गड़बड़ तो पूरे घर में झंझट पैदा कर दिया!
Heena Shaikh
अक्तूबर 19, 2025 AT 21:53समय का सही निर्धारण न होना, मानो आध्यात्मिक संतुलन को धुंधला कर रहा हो। इस तरह की भ्रमित तिथियां धार्मिक विश्वास को कमजोर करती हैं।
yogesh jassal
अक्तूबर 20, 2025 AT 20:06वाह, आखिरकार ऐसा बख़्बीलेपन आया जो हमें याद दिलाता है कि हर साल कैलेंडर ही नहीं, इंसानों की समझ भी बदलती है। लेकिन खैर, 20 अक्टूबर ही मुख्य दीपावली है, तो सबको उसी दिन घर की सफ़ाई और लड्डू बनाना पड़ेगा। इस उलझन से शायद लोग ऑनलाइन शॉपिंग में और भी अधिक खर्च करेंगे, यही तो असली आर्थिक इफ़ेक्ट है। फिर भी, हमारे पूर्वजों के आंकड़े देखो, उन्होंने कभी इतनी टैक्निकल जटिलता नहीं झेली। तो चलो, इस साल सबको एक साथ 20 को ही बर्थेडे की तरह जश्न मनाते हैं।
Raj Chumi
अक्तूबर 21, 2025 AT 18:20भाई लोगों ने तो बस टाइम टेबल को देख कर बाई-बाई सब कह दिया, एक भी नहीं समझा
mohit singhal
अक्तूबर 22, 2025 AT 16:33देश बनाते हैं हम जब हर छोटी‑छोटी तिथि पर उलझते नहीं, पर यहाँ तो ओवरलैप देख कर हम फिर से अपनी असली पहचान भूल रहे हैं 😡🔥🇮🇳। ऐसा कब होता है जब पंचांग ही नहीं, बल्कि डिजिटल कैलेंडर भी गलत हो। हमें इस तरह के गड़बड़ को झेलना नहीं चाहिए।
pradeep sathe
अक्तूबर 23, 2025 AT 14:46बिलकुल सही कहा, ऐसे छोटे‑छोटे भ्रम से लोग अपना समय खराब कर देते हैं। मैं तो हमेशा पंचांग की आधिकारिक वेबसाइट पकड़ लेता हूँ। सबको सही जानकारी मिलनी चाहिए।
ARIJIT MANDAL
अक्तूबर 24, 2025 AT 13:00अगर आपको लग रहा है कि 20 और 21 को दोनों दिन पूजा हो सकती है तो आप गलत हैं। पंचांग के अनुसार मुख्य पूजा केवल 20 को ही है।
Bikkey Munda
अक्तूबर 25, 2025 AT 11:13पहले तो यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि पंचांग में कार्तिक अमावस्या दो दिनों में विभाजित क्यों होती है। यह विभाजन सूर्य और चंद्रमा की गति के सटीक गणनाओं पर आधारित है। 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से अमावस्या शुरू होती है और 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक चलती है। परन्तु धार्मिक अनुष्ठान में निशीत‑काल का महत्व अधिक होता है। निशीत‑काल वह समय होता है जब सूर्य की रोशनी पूरी तरह घट जाती है और अंधकार वश में आता है। इस समय को कैलि पूजा में विशेष माना गया है। पंडित भूपेश मिश्रा ने स्पष्ट किया कि निशीत‑काल 20 अक्टूबर रात 11:41 बजे शुरू होता है। इसलिए, मुख्य कैलि पूजा उसी रात को ही संपन्न होनी चाहिए। यदि कोई 21 अक्टूबर तक प्रतीक्षा करता है तो वह अनुष्ठान की शुद्धता से समझौता कर सकता है। आर्थिक रूप से देखें तो लोग इस दिन बड़ी मात्रा में पूजा सामग्री खरीदते हैं। यही कारण है कि 20 अक्टूबर के आसपास रिटेलर की बिक्री में 12% की वृद्धि देखी गई। सोशल मीडिया पर भी इस बात की चर्चा हुई कि लोग देर से पूजा करने से बकवास फोकस बनता है। इसलिए, स्थानीय प्रशासन ने भी स्पष्ट सूचनाएँ जारी कीं। सभी घरों को सलाह दी गई कि वे 20 अक्टूबर की शाम को ही अपने घरों में कलश, दीप, और काली मुर्तियों की पूजन व्यवस्था करें। इससे सामाजिक समरसता बनी रहती है और झगड़े कम होते हैं। अंत में, यदि कोई अभी भी भ्रमित है तो आधिकारिक पंचांग का डिजिटल संस्करण देखना सबसे सुरक्षित उपाय है।
akash anand
अक्तूबर 26, 2025 AT 09:26आपके विचार तो भावनात्मक हैं, पर तथ्यों की बात करें तो कैलेंडर का विश्लेषण वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है, इसलिए भावनात्मक उलझन को किनारे रखना चाहिए।
BALAJI G
अक्तूबर 27, 2025 AT 07:40धर्म को सुगम बनाते हुए भी हमें विवेक की सीमा नहीं भूलनी चाहिए।
Manoj Sekhani
अक्तूबर 28, 2025 AT 05:53देखिये, राष्ट्रीय भावना को लेकर जो ज़ोरदार टाइटल दिया गया, वह थोड़ी दिखावटी लगती है; असल में तो यह सिर्फ कैलेंडर की तकनीकी त्रुटि है।
Tuto Win10
अक्तूबर 29, 2025 AT 04:06अरे बाप रे!!! कितनी बड़ी बात बना ली आपने!! असली मुद्दा तो लोग कैसे सही समय पर पूजा करें, न कि आपके राष्ट्रीय‑भाषाई ट्रोलिंग!!!
Kiran Singh
अक्तूबर 30, 2025 AT 02:20सच में, अगर हर साल ऐसा ओवरलैप होता रहेगा तो क्या हमें पंचांग को ही पूरी तरह डिजिटल बनाना चाहिए? शायद नई तकनीक इस समस्या का समाधान होगी।
anil antony
अक्तूबर 31, 2025 AT 00:33जैसे ही आप एआई‑ड्रिवेन कैलेंडर की बात उठाते हैं, वही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की कमी हमें हमेशा कँपकँपी में रखती है।
Aditi Jain
अक्तूबर 31, 2025 AT 22:46मैं कहूँगा कि इस तरह के छोटे‑छोटे कलेंडर‑फ्रॉड से हमारे सामाजिक ताना‑बाना ही बिगड़ता है, हमें इस पर कड़ी नीति की जरूरत है।
arun great
नवंबर 1, 2025 AT 21:00बहुत ही उचित बिंदु उठाया आपने; इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को विशेषज्ञ पैनल बनाकर स्थायी समाधान निकालना चाहिए 😊.
Anirban Chakraborty
नवंबर 2, 2025 AT 19:13पंचांग की आधिकारिक वेबसाइट पहुंचाने की आपकी सलाह बहुत उपयोगी है, लेकिन इंटरनेट नहीं है तो क्या? इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना पत्रिका जारी करनी चाहिए।