जब बात छठ पूजा, एक प्रमुख हिन्दू सूर्य उपासना त्यौहार है, जो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है की आती है, तो सबसे पहले मन में सवाल आता है – इसका वास्तविक अर्थ क्या है? सरल शब्दों में कहें तो छठ पूजा सूर्य देव की शक्ति और जीवनदायिनी ऊर्जा को सम्मानित करने का एक सामाजिक-धार्मिक समारोह है। इस त्यौहार में सूर्य के साथ माँ छठी (छठी माता) की भी पूजा की जाती है, जिससे जीवन के हर पहलू में सुख‑समृद्धि की कामना की जाती है। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य के दो प्रमुख क्षणों – उगते समय (उषा) और अस्त होते समय (संध्या) – पर अर्घ्य देना है, जो स्वास्थ्य, फसल‑उपज और परिवार की बंधन को सुदृढ़ करता है।
छठ पूजा सूर्य देव, प्रकाश और जीवन के स्रोत माने जाने वाले प्रमुख देवता की आराधना पर केंद्रित है। यह परंपरा प्राचीन वैदिक संस्कारों से जुड़ी है, जहाँ सूर्य को ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना गया है। हर साल साक्षी होते हैं कि श्रद्धालु नदी या तालाब में संध्या स्नान, सूर्यास्त के समय किया जाने वाला पवित्र स्नान, जो शुद्धि और आत्मा को शान्ति प्रदान करता है करते हैं, फिर जल में अर्घ्य देते हैं। यह अनुष्ठान न केवल व्यक्तिगत शारीरिक शुद्धि करता है, बल्कि सामुदायिक एकता को भी मजबूत करता है।
भोग की तैयारी भी छठ पूजा का अभिन्न हिस्सा है। खास कर के 'केसरिया अण्डा', 'साबूदाना लड्डू', 'सिंगारा' और 'कुशकुशा' जैसे पारम्परिक पदार्थ, जल में भंग करने से पहले इकट्ठे किए जाते हैं। इनमें से प्रत्येक सामग्री का अपना आध्यात्मिक महत्व है: केसरिया अण्डा ऊर्जा का प्रतीक, लड्डू में मिठास जीवन की मधुरता को दर्शाती है, और कुशकुशा से परिवार में शांति और समृद्धि की祈願 होती है। जब श्रद्धालु इन भोगों को सूर्य को अर्पित करते हैं, तो यह कर्म‑रूप में भी माना जाता है जो सकारात्मक फल लाता है।
छठ पूजा को तीन मुख्य चरणों में बाँटा जाता है: नहाय खाय (सफाई और भोजन), कर्क का दान (पर्यटन स्थल पर दान देना) और फिर अर्घ्यदान। इस क्रम में प्रत्येक चरण का अपना नियम और समय‑निर्धारण है। स्थानीय महापौर, शिविरकर्ता और धार्मिक संस्थान मिलकर इस त्यौहार को व्यवस्थित करते हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोग समुचित रूप से भाग ले सकें। सामाजिक रूप से, यह त्योहार गाँव‑गाँव में भाई‑बहन, पड़ोसियों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देता है। कई बार, छोटे‑बड़े कार्यशालाओं या सामुदायिक खेलों का आयोजन भी किया जाता है, जिससे युवा वर्ग को यह परम्परा नई पीढ़ी में पहुँचती है।
आजकल, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और समाचार साइटें जैसे देशीआर्ट समाचार भी छठ पूजा से जुड़ी ताज़ा तिथियों, मौसम पूर्वानुमान और विशेष साक्षात्कार को रीयल‑टाइम में प्रकाशित करती हैं। इससे दूर‑दराज़ क्षेत्रों के लोग भी इस महापर्व के समय‑सारणी और अनुष्ठानिक नियमों से अपडेट रह पाते हैं। आप नीचे दी गई लेख सूची में छठ पूजा से जुड़े विभिन्न पहलुओं, जैसे तिथियां, तैयारी टिप्स, स्थानीय आयोजन और विशेषज्ञों के विचार पढ़ सकते हैं।
अब आप इस शानदार संग्रह में डूबें और छठ पूजा की हर ख़ास बात को समझें – चाहे आप पहले बार भाग ले रहे हों या बार-बार इस पावन पर्व को मनाते हों। आगे के लेख आपके लिए विस्तृत मार्गदर्शन, स्थानीय खबरें और उपयोगी सुझाव लेकर आएंगे, जो इस त्यौहार को और भी यादगार बनाएँगे।
RBI ने अक्टूबर 2025 में 21 बैंक छुट्टियों की घोषणा की, जिसमें दिवाली, छठ पूजा और पटेल जी की जयंती शामिल हैं। ग्राहक अब अपने लेन‑देनों की योजना पहले से बना सकते हैं।
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