भारी बारिश ने कई राज्य में बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। अगर आप उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या किसी अन्य प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं तो इस पेज पर मिलने वाले अपडेट आपके लिए काम आएँगे। हम आपको बता रहे हैं कि अभी क्या हो रहा है और कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।
12 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में ओलावृष्टि की चेतावनी जारी हुई थी। सिट्टी, गोरखपुर और बीसती जैसे इलाकों में तेज हवाओं और अचानक बढ़ते जलस्तर ने किसानों और राहगीरों को परेशान कर दिया। राज्य सरकार ने आपातकालीन राहत दल तैनात किए हैं, लेकिन लोग अभी भी घर‑घर में बचाव सामग्री इकट्ठी कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश ने 12 अगस्त को अपने पहले प्री‑कोप जलवायु बैठक में बाढ़ व सूखा दोनों से निपटने की रणनीति पर चर्चा की। टीम ने SAPCC के तहत एक रोडमैप तैयार किया, जिसमें बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का ऊँचा करना और जल निकासी को बेहतर बनाना शामिल है। ये पहलें आने वाले मौसम में नुकसान घटाने में मदद करेंगी।
इसी बीच तमिलनाडु के थेनी जिले में दो मित्रों पर साप काटने की घटना ने स्थानीय अधिकारियों को सतर्क किया, क्योंकि बाढ़ से जुड़ी जलभराव अक्सर जहर वाले जीवों को घर‑घर तक ले आता है। इसलिए बाढ़ के समय सिर्फ पानी ही नहीं, बल्कि अन्य जोखिम भी बढ़ते हैं।
पहला कदम: मौसम की जानकारी रोज़ चेक करें। मोबाइल ऐप या स्थानीय रेडियो पर अलर्ट सुनें और भरोसेमंद स्रोतों से अपडेट रखें। अगर चेतावनी आती है तो घर में मौजूद जलरोधी बैरियर, सैंडबैग आदि को तुरंत लगाएँ।
दूसरा कदम: आपातकालीन किट तैयार रखें। इसमें टॉर्च, अतिरिक्त बैटरियाँ, कपड़े, साफ़ पानी की बोतलें, दवा और कुछ नकद रखिए। यदि आपको जल्दी बाहर जाना पड़े तो ये चीज़ें काम आएँगी।
तीसरा कदम: निकासी मार्ग जानें। अपने पड़ोस में सुरक्षित ऊँचा स्थान या सामुदायिक केंद्र को पहचानें। गाड़ी चलाते समय सड़कों के पानी की गहराई देख कर ही आगे बढ़ें; अगर जलस्तर दो फ़ुट से ज्यादा हो तो वाहन न चलाएँ।
चौथा कदम: घर की सुरक्षा। दरवाज़े‑खिड़कियों को प्लास्टिक शीट या तौलिया से ढँकें, जिससे पानी अंदर न घुस पाए। बेसमेंट में रखी चीज़ों को ऊँचे शेल्फ पर रखें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सूखे स्थान पर।
पाँचवाँ कदम: पशु-पंक्षियों की देखभाल भी忘ना नहीं चाहिए। पालतू जानवरों को सुरक्षित जगह ले जाएँ, बकरियों या गायों के लिये ऊँचा चारा तैयार रखें। अगर बाढ़ में फंसें तो स्थानीय अधिकारियों से मदद मांगने में झिझकें नहीं।
इन आसान कदमों से आप और आपका परिवार बाढ़ की मार से बच सकते हैं। याद रखें, तैयारी ही सुरक्षा की कुंजी है। यदि आप इन टिप्स को अपनाएँगे तो कठिन मौसम भी कम परेशान करेगा। आगे के अपडेट के लिए इस पेज पर बने रहें।
विजयवाड़ा में पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक वर्षा हुई है, जिससे व्यापक बाढ़ और जनजीवन में अव्यवस्था निर्माण हुई है। भारी वर्षा के कारण कई इलाकों में भूस्खलन हुआ, जिसमें चार लोग मारे गए हैं। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भूस्खलन पीड़ितों के परिवारों को ₹5 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|