जब आप सड़क पर या खेत में चल रहे होते हैं, तो अचानक से बकरिद (साप) दिखना डरावना लग सकता है. बकरिद भारत के कई हिस्सों में मिलते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहाँ घास‑घोड़े और पतले रास्ते होते हैं. उनका शरीर लंबा, दाँत तेज़ और विषभरा हो सकता है, इसलिए उनके पास आने से पहले ही सतर्क रहना ज़रूरी है.
अभी हाल ही में तमिलनाडु के थेनि जिले में दो दोस्त बाइक पर सवारी कर रहे थे, जब अचानक एक बकरिद उनका रास्ता काट गया. दोनों ने घबराहट में ब्रेक लगाया और साप को धकेल दिया, लेकिन साप ने फिर भी उनका पैर पकड़ लिया. यह घटना स्थानीय समाचारों में बड़ी चर्चा बनी क्योंकि ऐसी स्थितियों में लोग अक्सर नहीं जानते कि क्या करना चाहिए.
इसी तरह पिछले साल उत्तर प्रदेश के एक गांव में 5 लाख यात्रियों की उड़ान रद्द हो गई थी जब एयर कनाडा की हड़ताल ने कई लोगों को फँसा दिया. यह घटना बकरिद से जुड़ी नहीं है, पर इससे पता चलता है कि अप्रत्याशित समस्याओं के लिए तैयार रहना कितना जरूरी है – चाहे वह साप हो या कोई अन्य आपदा.
1. कभी भी घास‑भरे रास्ते पर बिना देखे न चलें। अगर आपको पता है कि उस इलाके में बकरिद आते हैं, तो जूते या लंबी पैंट पहनें.
2. साप दिखने पर दूर से ही देखें और धीरे‑धीरे हटें। तेज़ कदमों से साप डर सकता है और हमला कर सकता है.
3. अगर बकरिद ने काट लिया, तो तुरंत एंटीवेनम सेंटर या अस्पताल जाएँ. पहले मदद लेने की कोशिश न करें; दबाव डालना या चीर देना अक्सर नुकसान बढ़ा देता है.
4. अपने घर के आसपास साफ‑सफ़ाई रखें. घास और ढीली मिट्टी को हटाएँ, क्योंकि बकरिद इन्हीं में छिपते हैं.
5. बच्चों को सापों से दूर रहने की सलाह दें और उन्हें दिखा‑दिखा कर बताएं कि कब रुकना है, कब भागना है.
इन टिप्स को याद रखकर आप बकरिद के साथ एक सुरक्षित दूरी बना सकते हैं। अगर कभी कोई घटना हो भी जाए, तो त्वरित मेडिकल मदद लेना सबसे बेहतर विकल्प है. इस तरह छोटी‑छोटी सावधानियों से बड़ी चोटों और जीवन की हानि से बचा जा सकता है.
ईद उल अदहा, जिसे बकरिद भी कहा जाता है, 17 जून सोमवार को जयपुर में मनाया जाएगा। इस दिन की शुरुआत विभिन्न मस्जिदों में सुबह की प्रार्थनाओं से होगी। जयपुर की जामा मस्जिद में प्रार्थना सुबह 6:15 बजे होगी। शिया समुदाय की प्रार्थना 9:00 बजे बडा बानपुरा के शिया ईदगाह में मौलाना सैयद अली इमाम नकवी के नेतृत्व में होगी।
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