जब सरकार या कोई सार्वजनिक संस्था अपने कर्तव्य को ठीक से नहीं निभाती, तो उसे प्रशासनिक लापरवाही कहते हैं। अक्सर इसका असर आम लोगों की ज़िन्दगी पर पड़ता है – चाहे वह सेवा में देरी हो या नियमों का उल्लंघन। इस टैग पेज में हम ऐसी खबरें इकट्ठा किए हैं जिनमें स्पष्ट रूप से प्रशासन की कमियां दिखती हैं। पढ़ते रहिए, समझेंगे कि कब और क्यों गलती होती है।
1. समय पर कार्रवाई न होना – जैसे वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद में गर्मागर्म बहस हुई, लेकिन स्पष्ट दिशा‑निर्देश नहीं मिल पाए। 2. नियमों का टूटना या असंगत लागू करना – जमे-कश्मीर के राज्य दर्जा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी पड़ी क्योंकि सरकार ने कई सालों तक देरी कर दी थी। 3. जनता को सही जानकारी न देना – उत्तर प्रदेश में 12 अप्रैल को बाढ़ चेतावनी जारी हुई, लेकिन स्थानीय प्रशासन से सूचना बहुत देर से मिली, जिससे नुकसान बढ़ा।
Air Canada हड़ताल और उड़ानों का रुकना: एयरलाइन के साथ कर्मचारियों के समझौते में देरी ने 5 लाख यात्रियों को फंसा दिया। यहाँ प्रशासनिक भागीदार (सरकारी नियामक) की तेज़ कार्रवाई न होने से समस्या बढ़ी।
जम्मू‑कश्मीर राज्य दर्जा याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई का आदेश दिया क्योंकि लगातार देरी और सरकारी अनियमितता ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित किया था। यह केस लापरवाही के सीधे उदाहरण में से एक है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: संसद में बहस के दौरान विपक्ष ने कहा कि इस विधेयक से मुसलमानों के अधिकारों पर हमला हो रहा है, जबकि सरकार ने पारदर्शिता नहीं दिखायी। ऐसे मामलों में प्रशासन को अधिक खुले तौर पर काम करना चाहिए था।
उत्तरी प्रदेश की बाढ़ चेतावनी: 12 अप्रैल को 38 जिलों में बाढ़ का खतरा घोषित किया गया, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने पर्याप्त तैयारी नहीं की। परिणामस्वरूप कई घर और फसलों को नुकसान हुआ। यह दिखाता है कि आपातकालीन योजना में लापरवाही कितनी गंभीर हो सकती है।
इन उदाहरणों से साफ़ लगता है कि जब भी प्रशासनिक लापरवाही होती है, उसका असर आम जनता पर पड़ता है। इसलिए हर खबर को पढ़ते समय हमें यह देखना चाहिए कि कौन‑से कदम उठाए गए और कहाँ कमी रही। यही समझ हमें भविष्य में बेहतर नीति बनाने में मदद करती है।
देशीआर्ट समाचार इस टैग के तहत सभी ऐसी खबरों को एक जगह लाता है, ताकि आप जल्दी से देख सकें कि कौन‑सी सरकार या संस्था अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रही। अगर आप भी किसी मामले में लापरवाही देखते हैं तो टिप्पणी करिए और चर्चा में भाग लीजिए – इससे सुधार की संभावना बढ़ती है।
झांसी के सरकारी अस्पताल में हालिया अग्निकांड, जिसमें 10 नवजात की मौत हो गई थी, ने विवेक विहार घटना की दुःखद यादें ताज़ा कर दी हैं, जहां मई 25 को सात नवजात जलकर मरे थे। इन घटनाओं ने अस्पताल सुरक्षा में कमी और प्रशासनिक लापरवाही की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
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