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मॉनसून – भारत के जीवन में बरसाती रिदम

जब मॉनसून, भौगोलिक तापमान अंतर और समुद्री हवाओं के कारण उत्पन्न होने वाला वार्षिक बरसाती मौसम है. Also known as वर्षा ऋतु, यह भारत के अधिकांश हिस्सों में जून से सितम्बर तक प्रमुख भूमिका निभाता है। मॉनसून सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि कृषि, जलभंडारण और सामाजिक‑आर्थिक पैटर्न को आकार देता है।

इस मौसम के मूल में भारतीय मानसून, उत्तरी गोलार्ध के बड़े भाग को प्रभावित करने वाला मौसमी वायुमंडलीय घटना है, जो घनी हवाओं और समुंदर के तापीय अंतर से बनती है। भारतीय मानसून के दो मुख्य भाग – दक्षिण‑पश्चिमी और उत्तर‑पूर्वी – अलग‑अलग समय और तीव्रता लाते हैं। दक्षिण‑पश्चिमी मानसून भारत के अधिकांश क्षेत्रों में भारी बारिश लाता है, जबकि उत्तर‑पूर्वी मानसून सीमित, बौछार‑समान जल देती है। ये दो भाग मिलकर देश के जलस्रोतों को भरते हैं और कृषि के लिए आवश्यक नमी प्रदान करते हैं।

बारिश के पैटर्न को देखते हुए, भारी बारिश, सभी प्रकार की जलवायु परिस्थितियों में निरंतर 10 mm/घंटा से अधिक वर्षा मॉनसून का मुख्य परिणाम है। भारी बारिश के दौरान नद्यें ऊँचा जल स्तर दिखाती हैं, जलभंडारण की क्षमता बढ़ती है और जल टैंकों में पानी की कमी नहीं रहती। लेकिन यह अत्यधिक बहाव और बाढ़ की स्थिति भी पैदा कर सकता है, जिससे सड़कें, घर और फसलें प्रभावित हो सकती हैं। इस प्रकार, मॉनसून के लाभ और जोखिम दोनों को संभालने के लिए सटीक मौसम भविष्यवाणी और तत्काल आपातकालीन उपाय अनिवार्य होते हैं।

कृषि के दृष्टिकोण से, मॉनसून कृषि, खेतों में फसल उगाने की बुनियादी प्रक्रिया की रीढ़ है। अधिकांश भारतीय धान, जौ और मक्का की फसलें मॉनसून पर निर्भर करती हैं। जब मोसम ठीक समय पर आता है, तो फसल की पैदावार में 30‑40% तक सुधार हो सकता है। लेकिन देर से या असंतुलित बारिश जलभरण को बाधित कर सकती है, जिससे फसल क्षरण और आर्थिक नुकसान हो जाता है। इसलिए, किसानों को सिंचाई के वैकल्पिक तरीकों जैसे तालाब, जलाशय और ड्रिप इरिगेशन पर ध्यान देना चाहिए, ताकि कम बरसात के भीषण प्रभाव को कम किया जा सके।

मॉनसून के सामाजिक पहलू भी कम नहीं हैं। भारी वर्षा के बाद राज्य जल विभाग अक्सर जलभंडारण, तालाब, बांध और धारणीय जल संरचनाओं द्वारा पानी का संग्रहण को बढ़ावा देता है। इससे जल की किफायती उपलब्धता होती है और जल संकट का समाधान भी मिल सकता है। साथ ही, सटीक मौसम संकेतकों के आधार पर स्कूल, परिवहन और सार्वजनिक कार्यक्रमों में बदलाव किया जाता है, जैसे मुंबई में लाल‑संतरी अलर्ट के बाद स्कूल बंद करना। यह सब दर्शाता है कि मॉनसून सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में गहरा प्रभाव डालने वाला प्रणालीगत कारक है।

इन सभी पहलुओं को समझने के बाद, आप नीचे दी गई लेख सूची में मॉनसून से जुड़े विभिन्न पहलुओं – जैसे मौसम चेतावनी, कृषि रणनीति, जलभंडारण उपाय और हाल ही में हुई बाढ़‑संबंधी घटनाओं – के विस्तृत विश्लेषण पाएंगे। यह संग्रह आपको मॉनसून के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने और प्रत्यक्ष रूप से उपयोगी जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

28

सित॰

2025

IMD ने जारी किया राजस्थान में मॉनसून का अंतिम बरसात अलर्ट: 3 अक्टूबर तक जारी

IMD ने जारी किया राजस्थान में मॉनसून का अंतिम बरसात अलर्ट: 3 अक्टूबर तक जारी

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने राजस्थान के कई जिलों में 3 अक्टूबर तक जारी रहने वाले अंतिम मॉनसून बरसात के लिए रैन अलर्ट जारी किया है। बंगाल की खाड़ी से उठी वायुमंडलीय सायक्लोन ने पूर्व, दक्षिण‑पूर्व और दक्षिणी हिस्सों में तेज़ बारिश, गरज‑बिजली और तेज़ हवाएँ लाई हैं। जयपुर में अधिकतम तापमान 31 °C, जोड़पुर 27.8 °C, उदयपुर 25.6 °C और कोटा 29.4 °C अनुमानित है। इस साल बारिश की मात्रा 125 साल में केवल दो बार 65 % से अधिक औसत से ऊपर रही है, जिससे यह सीजन विशेष महत्व का बन गया है।