क्या आप हर साल अपने कर बिल को लेकर परेशान होते हैं? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। कई लोग यह नहीं जानते कि कौन‑से खर्चे उनके आयकर में सीधे घटते हैं और कैसे उन्हें सही ढंग से दावा किया जाए। इस लेख में हम सरल भाषा में बताएँगे कि कर कटौती क्या है, किन चीज़ों पर आपको बचत मिल सकती है और इनको कब तथा कैसे क्लेम करना चाहिए.
आयकर अधिनियम में कई ऐसी धारा हैं जो व्यक्तिगत या व्यापारिक खर्चों को आय से घटाने की अनुमति देती हैं। सबसे लोकप्रिय कटौतियों में शामिल हैं:
इनमें से प्रत्येक खर्चे को सही दस्तावेज़ीकरण चाहिए, जैसे किराए की रसीद, बीमा पॉलिसी की प्रिंटआउट या निवेश प्रमाणपत्र। बिना दस्तावेज़ के क्लेम नहीं हो पाएगा।
कटौती का दावा करने के दो मुख्य चरण होते हैं: पहले, साल भर में सभी खर्चों का रिकॉर्ड रखें; दूसरा, आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय सही सेक्शन को चुनें। अधिकांश लोग ITR‑1 या ITR‑2 फ़ॉर्म का उपयोग करते हैं क्योंकि इनमें कटौती की विस्तृत लिस्ट होती है.
अगर आप पहली बार कर रिटर्न भर रहे हैं, तो टैक्स फाइलिंग पोर्टल पर ‘डिस्क्लोजर’ सेक्शन में जाकर अपने सभी दस्तावेज़ अपलोड करें। यदि किसी भी खर्चे के बारे में संदेह है, तो आयकर हेल्पलाइन या एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह ले सकते हैं।
ध्यान रखें कि फॉर्म भरते समय ‘सेक्शन कोड’ और ‘रक्कम’ दोनों सही ढंग से लिखें। छोटी‑सी गलती भी रिफंड में देरी कर सकती है या कटौती नहीं मिलने का कारण बन सकती है।
एक और उपयोगी टिप: हर वित्तीय साल के अंत में अपने सभी निवेश और खर्चों को एक बार फिर जाँच लें। कई लोग साल भर छोटे‑छोटे निवेश करते हैं, लेकिन रिटर्न फाइल करने से पहले उनका योग नहीं निकाल पाते। इस कारण वे बड़ी बचत खो देते हैं।
अंत में यह कहना सही होगा कि कर कटौती सिर्फ धन की बचत नहीं, बल्कि वित्तीय योजना का एक अहम हिस्सा है। जब आप अपने खर्चों को समझदारी से व्यवस्थित करेंगे और वैध छूटों को पूरी तरह से उपयोग करेंगे, तो आपका टैक्स बोझ काफी हल्का हो जाएगा।
तो अब देर किस बात की? आज ही अपनी रसीदें इकट्ठी करें, ऑनलाइन टूल्स या एक प्रोफेशनल की मदद लेकर अपने आयकर रिटर्न में सभी उपलब्ध कटौतियों को शामिल करें और अगले साल के टैक्स बिल से राहत पाएं।
बजट 2024 में जीवन बीमा पॉलिसी पर टीडीएस दर को 5% से घटाकर 2% कर दिया गया है। इस बदलाव से पॉलिसीधारकों को अधिक भुगतान प्राप्त होगा और यह करदाताओं की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। यह संशोधन 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा।
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