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एवरेस्ट – दुनिया की सबसे ऊँची चोटी

जब हम एवरेस्ट, हिमालय में स्थित, 8,848 मीटर (29,029 फीट) की ऊँचाई वाला सबसे ऊँचा शिखर. Also known as माउंट एवरेस्ट, यह पर्वत न केवल उंचाई का प्रतीक है, बल्कि साहस, विज्ञान और संस्कृति का मिलन भी है। इस शिखर को समझने के लिए हिमालय, एशिया में फैला सबसे बड़ा पर्वत श्रृंखला, जो भारतीय, नेपाली और तिब्बती सीमाओं को जोड़ता है का जिक्र जरूरी है, क्योंकि एवरेस्ट इन पर्वतों का अभिन्न हिस्सा है। हर साल, हजारों यात्रियों को इस चुनौती की ओर आकर्षित करती है, लेकिन साथ ही एवरेस्ट की कठिनाई और जोखिम का बोध भी कराती है।

शिखर तक पहुँचने के प्रमुख कारक

एवरेस्ट पर चढ़ाई आसान नहीं—यहाँ मुख्यता दो चीज़ें काम आती हैं: शेरपा, सिर के सबसे ऊँचे हिस्सों में गाइड और पोर्टर के रूप में कार्य करने वाले स्थानीय लोग, जिनके पास बारीक ज्ञान और अनुकूल शारीरिक क्षमता होती है और ऑक्सिजन, ऊँचाई पर उपलब्ध कम वायु का मिश्रण, जिसे बॉटल में ले जाना अनिवार्य हो जाता है। शेरपा का अनुभव क्लाइंबिंग को सुरक्षित बनाता है, जबकि अतिरिक्त ऑक्सीजन का प्रयोग हाई‑एल्यूसियस रोगों को कम करता है। साथ ही, शिखर की ऊँचाई, 8,848 मीटर (29,029 फीट) तक पहुँचने वाली पराबैठिक दूरी, जो श्वसन और रक्त परिसंचरण पर भारी असर डालती है की चुनौती को समझना ज़रूरी है। यही कारण है कि सही तैयारी, प्रशिक्षण और स्थानीय गाइड बिनाए नहीं जा सकते।

पर्यटन के लिहाज़ से भी एवरेस्ट एक बड़ा केंद्र है। हर मौसम में निरंतर बदलते मौसम पैटर्न, बर्फीले आँधियाँ और ग्लेशियल गति का असर शिखर की सुरक्षा और एसेसमेंट को प्रभावित करता है। हाल के सालों में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि जो हिम पिघलने और बर्फीले स्थायित्व को बदलती है ने मार्गों को अस्थिर किया है, जिससे नई टेक्नोलॉजी और रूट प्लानिंग का विकास हुआ। इसी कारण कई क्लाइंबिंग टीमें अब ड्रोन सर्वे, रिमोट सेंसिंग और रीयल‑टाइम मौसम मॉनिटरिंग का उपयोग करती हैं। इन प्रौद्योगिकियों से जोखिम घटता है, लेकिन मूलभूत सत्य—एवरेस्ट की चुनौती अभी भी अटल है।

अब आप इस पृष्ठ पर पाएँगे कि कैसे विभिन्न पहलुओं—इतिहास, सांस्कृतिक महत्व, सुरक्षा उपाय, पर्यावरणीय चिंताएँ—एवरेस्ट के साथ जुड़ी हैं। नीचे दी गई सूची में आप विभिन्न लेख पढ़ेंगे जो शेरपा की कहानियों से लेकर मौसम विज्ञान तक, ऊँचाई पर जीवन, और भविष्य की चढ़ाई तकनीकों तक का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। चलिए, इस अद्भुत शिखर के बारे में और गहराई से जानने के लिए तैयार हो जाइए।

7

अक्तू॰

2025

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