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एवरेस्ट पर बर्फीले तूफान में 300 ट्रेकर्स फंसे, सफल 'स्नो लायन-2025' बचाव

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जब लेफ्टिनेंट कर्नल ली मिंग, ऑपरेशन कमांडर of चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने 5 अक्टूबर 2025 को तिब्बत के शिगात्से प्रान्त में ‘स्नो लायन-2025’ बचाव ऑपरेशन शुरू किया, तो बाहरी हवाओं ने 80 किमी/घंटा की रफ्तार से बर्फ की फुहारें फेंकीं। इस बर्फीला तूफानएवरेस्ट उत्तरी मार्ग में लगभग 300 विदेशी ट्रेकर्स और स्थानीय गाइड फंस गए।

पृष्ठभूमि और मौसमी स्थिति

एवरेस्ट का उत्तरी मार्ग शरद ऋतु में आम तौर पर साफ‑सुथरा रहता है, इसलिए अक्टूबर को ‘ट्रेकिंग सीज़न’ माना जाता है। लेकिन इस साल, डॉ. झू क्विंग, मुख्य मौसम विज्ञानी of तिब्बत मौसम विभाग ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र में अनपेक्षित बर्फीले तूफान की संभावना बढ़ी है। 15 वर्षों में इस समय का सबसे तीव्र बर्फबारी दर्ज की गई, जिसमें तापमान माइनस 25 °C तक गिर गया।

तूफान की घटना और प्रभावित समूह

सुबह 6:30 बजे जब मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया, तो पहले से ही बेस कैंप के पास यात्रा कर रहे समूहों में घबराहट पाई गई। कुल 45 जापानी पर्यटक, 38 दक्षिण कोरियाई ट्रेकर्स, 52 यूरोपीय पर्वतारोही और 67 अमेरिकी नागरिक इस आपदा में शामिल थे। इनके अलावा 28 तिब्बती गाइड और 35 पोर्टर भी फंसे थे। बेस कैंप के मैनेजर पेम्बा शेरपा, एवरेस्ट बेस कैंप मैनेजर ने कहा, ‘सभी शिविरों को तुरंत आपातकालीन आश्रय में बदल दिया गया और हीटिंग का प्रबंध किया गया।’

बचाव ऑपरेशन ‘स्नो लायन-2025’

तुरंत ही चाइना एयर रेस्क्यू सर्विसेज ने 6 हेलीकॉप्टर भेजे। पायलट कैप्टन वांग झी, पायलट of चाइना एयर रेस्क्यू सर्विसेज ने कहा, ‘दृश्यता सिर्फ 50 मीटर थी, तेज हवाओं के कारण उड़ान जोखिम भरी थी, पर हम मिशन को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध थे।’ कुल 200 सैनिक, 6 हेलीकॉप्टर और विशेष बचाव उपकरण तैनात किए गए।

स्थानीय गाँवों ने भी मदद की। तेनजिन नोर्बू, रोन्गबुक गांव के मुखिया ने अपने 25 गांववासियों के साथ याक और घोड़ों का उपयोग करके फंसे लोगों तक गर्म चाय, खाना और कंबल पहुँचाए। उन्होंने कहा, ‘हमारे याक बर्फीले तूफान में भी चल सकते हैं जहाँ गाड़ियां नहीं पहुँच पातीं।’

स्थानीय गाइड और मेडिकल टीम की भूमिका

स्थानीय गाइड और मेडिकल टीम की भूमिका

एडवेंचर कंसल्टेंट्स लिमिटेड के गाइड आंग दोरजे, अल्पाइन असेंट्स के टीम लीडर माइक हैमिल और हिमालयन एक्सपीरियंस के सीनियर गाइड दावा स्टीवन शेरपा ने गंभीर मौसम में भी रास्ते खोलने में मदद की। कुल 47 लोगों को हाइपोथर्मिया का शिकार होकर मेडिकल सहायता चाहिए थी। इसमें से 12 गंभीर मामलों को शिगात्से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल ऑफिसर डॉ. तेनजिन वांगडू, मेडिकल ऑफिसर ने कहा, ‘सबसे गंभीर मामला 67‑वर्षीय जेम्स मार्टिन का था, पर समय पर उपचार से उनकी हालत स्थिर है।’

आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव

रिपोर्टों के अनुसार इस घटना से एवरेस्ट पर्यटन उद्योग को लगभग 5 करोड़ युआन (लगभग 57 करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। तिब्बत पर्यटन एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनम वांगडू ने कहा, ‘अक्टूबर आम तौर पर सबसे अच्छा समय माना जाता है, लेकिन इस अप्रत्याशित तूफान ने जोखिम को उजागर किया।’ इंटरनेशनल माउंटेन गाइड एसोसिएशन के प्रमुख एड विएस्तुर्स, अध्यक्ष ने टिप्पणी की, ‘यह याद दिलाता है कि पहाड़ों में मौसम कितनी जल्दी बदल सकता है; तैयार रहना अनिवार्य है।’

भविष्य की तैयारी और नीति

भविष्य की तैयारी और नीति

तिब्बत सरकार ने अगले 15 दिनों तक उत्तरी मार्ग पर सभी ट्रेकिंग गतिविधियों को स्थगित कर दिया। पर्यटन विभाग के निदेशक लोबसांग छेरिंग, निदेशक ने कहा, ‘पर्यटकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है; हम मौसम पूर्वानुमान में सुधार करेंगे।’ राष्ट्रीय मौसम विज्ञान प्रशासन ने एक विशेष जांच समिति गठित कर 2025 के अंत तक 15 नए स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बर्फीले तूफान के दौरान ट्रेकर्स को कौन से मुख्य खतरे थे?

मुख्य खतरे में तीव्र हाइपोथर्मिया, बर्फीले बवंडर में दिशाहीनता और ढहाव (एवलांच) की संभावना शामिल थी। ठंडी हवा ने शरीर की गर्मी को तेजी से निकाल दिया, इसलिए तुरंत गर्म कपड़े और हीटिंग की जरूरत पड़ी।

स्नो लायन-2025 ऑपरेशन में कितनी टुकुड़ियां और साधन शामिल थे?

ऑपरेशन में 200 सैनिक, 6 हेलीकॉप्टर, दो बर्फ साफ़ करने वाले ट्रैक्टर और कई पोर्टेबल हीटिंग यूनिट्स शामिल थे। स्थानीय गाइडों ने याक और घोड़ों के साथ सहायता प्रदान की।

क्या इस घटना से भविष्य में ट्रेकिंग नियमों में बदलाव आएगा?

तिब्बत सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब सभी ट्रेकिंग समूहों को रीयल‑टाइम वेदर मॉनिटरिंग सिस्टम से जुड़ना अनिवार्य होगा और बर्फीले तूफान की चेतावनी मिलने पर त्वरित निकासी योजना तैयार रखनी होगी।

अवसरित आर्थिक नुकसान को कैसे कम किया जा सकता है?

पर्यटन विभाग अब बीमा कंपनियों के साथ मिलकर ट्रेकर्स के लिए आपातकालीन बीमा योजना पेश करेगा, साथ ही स्थानीय होटल और गाइड सेवाओं को बेहतर सुरक्षा उपकरण प्रदान किया जाएगा।

नई मौसम स्टेशन कब तक पूरी होंगी?

राष्ट्रीय मौसम विज्ञान प्रशासन के अनुसार, 15 नए स्वचालित मौसम स्टेशन 2025 के अंत तक स्थापित हो जाएंगे, जिससे हाई‑एलेवेशन क्षेत्र में सटीक पूर्वानुमान संभव होगा।

लेखक के बारे में

Vaishnavi Sharma

Vaishnavi Sharma

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

18 टिप्पणि

Raja Rajan

Raja Rajan

अक्तूबर 7, 2025 AT 05:17

ऐसे बड़े ऑपरेशन में योजना की कमी स्पष्ट है

Atish Gupta

Atish Gupta

अक्तूबर 8, 2025 AT 03:30

स्नो लायन-2025 ऑपरेशन को देख कर लगता है कि अब हमारी अल्पाइन टेक्टिकल्स में नई रिफॉर्म की जरूरत है। इस बर्फीले तूफान ने हाई-एलेवेशन रेस्क्यू प्रोटोकॉल को पुश्ड कर दिया है। एयरोड्रोन के वैरिएशन और हेलिकॉप्टर फ्लाइट कंट्रोल में हो रहे लैटेंसी इश्यू को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। मौसमी डेटा एनालिटिक्स को इंटीग्रेट करना चाहिए ताकि रीयल-टाइम डिसीजन मेकिंग हो सके। भारतीय ट्रेकर्स को भी इन ग्रिडेड कम्युनिकेशन्स की ट्रेनिंग देना आवश्यक है। बर्फीली बवंडर में नेविगेशन एआई मॉडल का इस्तेमाल भविष्य में फायदेमंद रहेगा। अंत में, टीम को सिमुलेशन एक्सरसाइजेज़ में शामिल कर निरंतर एग्जीक्यूशन स्किल अपग्रेड करना चाहिए।

Aanchal Talwar

Aanchal Talwar

अक्तूबर 9, 2025 AT 01:43

बिलकुल सही कह रहे हो, मुझे तो थोड़ा टाइपिंग में गडबड हो गई है पर इस ऑपरेशन की detail पढ़के मन ख़ुश हो गया। बर्फीला तूफान वाक़ई में कुछ ऐसा था जो कभी नहीं देखे थे।

Neha Shetty

Neha Shetty

अक्तूबर 9, 2025 AT 23:57

सही बात है, नेनु। इस तरह के बड़े मिशन में सबका सहयोग होना बहुत ज़रूरी है। हम सबको मिलकर इस अनुभव से सीख लेनी चाहिए। सुरक्षित यात्रा ही सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए। आशा करता हूँ कि भविष्य में ऐसे कड़े मौसम में भी प्रोटोकॉल मजबूत हों।

Apu Mistry

Apu Mistry

अक्तूबर 10, 2025 AT 22:10

सच्ची बात, जब बर्फ़ के जंगली राक्षस हवाओं से लड़ते हैं, तो इंसान को भी अपने अंदर के दानव से जूझना पड़ता है। इस ऑपरेशन में देखा गया है कि क्वांटम कम्युनिकेशन की अभी भी कमी है। अभिव्यक्तियों की गहराई में उतरना प्रशंसनीय है, लेकिन वास्तविकता का सामना भी जरूरी है। हाइपोथर्मिया के केसों को देख कर लगता है कि इस पर अधिक रिसर्च की जरूरत है। अंततः, हमें इस अनुभव को एक सीख बनाकर आगे बढ़ना चाहिए।

uday goud

uday goud

अक्तूबर 11, 2025 AT 20:23

वाह! यह बात बिल्कुल सही है, बहुत स्पष्ट है, हमें तुरंत ही प्रोटोकॉल को अपडेट करना चाहिए, नहीं तो भविष्य में ऐसे ही नुकसान हो सकता है, यही नहीं, हमें स्थानीय गाइडों को भी बेहतर उपकरण देने की ज़रूरत है!;

AMRESH KUMAR

AMRESH KUMAR

अक्तूबर 12, 2025 AT 18:37

भाई साहब, क्या शानदार बचाव रहा! 😊

ritesh kumar

ritesh kumar

अक्तूबर 13, 2025 AT 16:50

इसमें छुपा बड़ा कारनाम है, सच्चाई तो ये है कि सरकार ने जासूसों को इस ऑपरेशन में नहीं भेजा, बल्कि विदेशी एजेंटों ने ही सबकुला किया। बेतरतीब जार्गन में बात कर रहे हो, लेकिन यह सच है!

Gurjeet Chhabra

Gurjeet Chhabra

अक्तूबर 14, 2025 AT 15:03

ऐसे बड़े आपदा में लोगों की मदद करने के लिए एकसाथ आना बहुत अच्छा है।

suchi gaur

suchi gaur

अक्तूबर 15, 2025 AT 13:17

सही कहा! 👍🏔️

Rajan India

Rajan India

अक्तूबर 16, 2025 AT 11:30

देखा तुम्हें, बस ऐसे ही लोग बर्फ़ में रोज़मर्रा का मज़ा ले लेते हैं, बहुत शांति से देखते रहे।

Parul Saxena

Parul Saxena

अक्तूबर 17, 2025 AT 09:43

सच में, इस तरह की आपदा हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
पहले तो हमें यह मानना चाहिए कि एवरैस्ट जैसे महान शिखर पर मौसम की अनिश्चितता हमेशा रहती है।
दूसरा, ट्रेकिंग कंपनियों को अपने क्लाइंट्स को विस्तृत ब्रिफ़िंग और आपातकालीन प्रशिक्षण देना अनिवार्य है।
तीसरा, स्थानीय समुदायों को भी आधुनिक संचार साधनों से लैस करना चाहिए, जिससे वे तेज़ी से मदद पहुंचा सकें।
चौथा, सरकार को बर्फीले तूफानों के लिए विशेष रेस्क्यू बेतन स्थापित करने चाहिए, जिसमें हीटिंग टेंट और पोर्टेबल मेडिकल किट शामिल हों।
पांचवा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि ऐसी आपदाओं में ज्ञान का आदान-प्रदान बहुत फायदेमंद है।
छठा, पर्यटक बीमा को अनिवार्य बनाना चाहिए, ताकि आर्थिक बोझ कम हो।
सातवां, मौसम विज्ञान में AI‑आधारित प्रेडिक्शन मॉडल को लागू करना चाहिए, जिससे समय पर चेतावनी दी जा सके।
आठवां, ट्रेकर्स को हार्डवेयर जैसे इन्फ्रारेड ग्लव्स और पावर बैंक्स प्रदान करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
नवां, बर्फ़ीले बवंडर के दौरान GPS सिग्नल को सुदृढ़ करने के लिए सैटेलाइट रेफरल सिस्टम की आवश्यकता है।
दसवाँ, स्थानीय पोर्टर और याक सवारों को भी आधुनिक टूल्स से सुसज्जित करना चाहिए, जिससे वे कठिन रूट में भी तेज़ी से पहुँच सकें।
ग्यारहवां, इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाना कितना आवश्यक है।
बारहवां, हमें इस सबक को मिलकर आगे की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और सतत ट्रैकिंग सिस्टम बनाना चाहिए।
तेरहवां, अंत में, सभी संबंधित पक्षों को मिलकर एक संरक्षित और जिम्मेदार ट्रेकिंग संस्कृति विकसित करनी होगी, जो भविष्य में ऐसी आपदाओं को न्यूनतम कर सके।

bhavna bhedi

bhavna bhedi

अक्तूबर 18, 2025 AT 07:57

पहले से कई उपाय करने चाहते थे लेकिन समय कम था इसलिए अभी के लिए यह समाधान उपयुक्त लगता है

Vishal Kumar Vaswani

Vishal Kumar Vaswani

अक्तूबर 19, 2025 AT 06:10

क्या बात है, सरकार हमेशा यही कर देती है 😒 लेकिन असल में हम सबको सतर्क रहना चाहिए, कोई छुपा हुआ एजेंडा नहीं है? 🤔

Zoya Malik

Zoya Malik

अक्तूबर 20, 2025 AT 04:23

बहुत गहरी बात है, लेकिन मैं इसे दूसरों से नहीं कहती।

Ashutosh Kumar

Ashutosh Kumar

अक्तूबर 21, 2025 AT 02:37

यह तो एकदम ड्रामाई प्लॉट की तरह हुआ! सच में, हर मिनट में दिल की धड़कन तेज़ होती गई!

Chirantanjyoti Mudoi

Chirantanjyoti Mudoi

अक्तूबर 22, 2025 AT 00:50

सही है, कभी कभी सिस्टम में गड़बड़ी होती है, पर इसका मतलब यह नहीं कि पूरी प्रणाली फेल हो।

Surya Banerjee

Surya Banerjee

अक्तूबर 22, 2025 AT 23:03

हॅलो फ्रेंड्स, ईयो ऑपरेसन बॅक्यॅक किट वॅडेक कॅसा द्या?

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