दुष्प्रचार – समझें, पहचानेँ और बचें

हम सबने कभी न तो सोशल मीडिया या समाचार साइट पर झूठी खबर देखी होगी। यही दुष्प्रचार है – ऐसी जानकारी जो सच नहीं होती लेकिन जल्दी‑जल्दी फेल जाती है। जब कई लोग इसे सच्चाई समझ लेते हैं, तब उसका असर गहरा हो जाता है: लोगों की राय बदलती है, कभी‑कभी तो हिंसा तक बढ़ सकती है।

दुष्प्रचार के आम रूप

सबसे पहले जानिए कि दुष्प्रचार किन‑किन तरीकों से फैलता है। अक्सर यह दो स्वरूप में आता है – फोटो या वीडियो का झूठा कैप्शन, और लेख जो आधे सच को तोड़‑मरोड़ कर पेश करता है। उदाहरण के तौर पर कुछ सोशल पोस्ट ‘Air Canada हड़ताल’ या ‘Vivo V60 लॉन्च’ जैसी खबरों को लेकर बहुत चर्चा करती हैं, लेकिन अक्सर उनमें तथ्य कम होते हैं। इसी तरह राजनैतिक मुद्दों में भी दुष्प्रचार तेजी से फैलता है; जैसे किसी विधायक की बयानबाजी को अलग‑अलग तौर पर प्रस्तुत कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाता है।

दूसरा रूप होता है ‘समीक्षात्मक’ या ‘भ्रमित करने वाला’ लेख, जहाँ शीर्षक बड़ी दंग कर देने वाली होती है लेकिन असली सामग्री में कोई नया नहीं होता। कभी‑कभी ये लेख सरकारी आदेशों या न्यायिक फैसलों को ग़लत ढंग से पेश करते हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर के दरजे पर चल रहे मामले की कवरेज में अक्सर अधूरी जानकारी दी जाती है।

कैसे बचें और सही सूचना कैसे पहचानें?

पहला कदम – स्रोत देखें। अगर खबर किसी विश्वसनीय समाचार एजेंसी या आधिकारिक वेबसाइट से नहीं आई, तो उसकी सच्चाई पर सवाल उठाना चाहिए। दूसरे, तिथि और लेखक की जाँच करें; बहुत नई जानकारी अक्सर बिना प्रमाण के आती है। तीसरा तरीका – कई जगहों से तुलना करना। यदि एक ही खबर को दो‑तीन अलग-अलग भरोसेमंद साइट्स ने बताया है, तो उसका विश्वास स्तर बढ़ता है।

समय-समय पर तथ्य‑जाँच करने वाले टूल भी मददगार होते हैं। कुछ वेबसाइटें दावे को ‘सत्यापित’ या ‘भ्रामक’ टैग लगाकर दर्शाती हैं। आप खुद भी छोटे‑छोटे सवाल पूछ सकते हैं: क्या इस खबर में कोई आंकड़ा है? वह कहाँ से आया? क्या यह सरकारी रिपोर्ट के साथ मेल खाता है?

यदि किसी पोस्ट में बहुत भावनात्मक भाषा या अत्यधिक नकारात्मक/सकारात्मक टोन हो, तो अक्सर दुष्प्रचार का संकेत मिलता है। ऐसी स्थिति में थोडा रुककर सोचें और फिर शेयर करें। याद रखें, एक क्लिक भी बड़ी गड़बड़ी को रोक सकता है।

आखिर में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ‘रिपोर्ट’ बटन का सही उपयोग करना न भूलें। जब आप दुष्प्रचार वाले कंटेंट की रिपोर्ट करते हैं, तो प्लेटफ़ॉर्म उस पोस्ट को हटाने या कम करने के लिए कदम उठाता है। इस छोटे‑से कार्य से सामूहिक रूप से झूठी खबरों को रोकने में मदद मिलती है।

दुष्प्रचार हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है, पर सही जागरूकता और थोड़ी सी सतर्कता से हम इसे सीमित कर सकते हैं। अगले बार जब कोई अजीब‑सी खबर आए, तो ऊपर बताए गये कदमों को याद रखें – इससे न केवल आप खुद बचेंगे, बल्कि आपके दोस्त‑परिचित भी सुरक्षित रहेंगे।

9

जुल॰

2025

चीन की दुष्प्रचार मुहिम: राफेल की छवि खराब करने के लिए सोशल मीडिया और AI का सहारा

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फ्रांसीसी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने भारत-पाक संघर्ष के बाद राफेल जेट्स की छवि बिगाड़ने के लिए व्यापक दुष्प्रचार अभियान चलाया। सोशल मीडिया और AI की मदद से झूठी खबरें फैलाई गईं ताकि अन्य देशों को चीनी लड़ाकू विमानों की ओर मोड़ा जा सके।