भारत‑यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की आसान समझ

अगर आप भारत या यूके में व्यापार करते हैं तो यह समझौता आपके लिए बड़ा मौका हो सकता है. दो साल पहले दोनों देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए, और अब धीरे‑धीरे नियम लागू हो रहे हैं. यहाँ हम बतायेंगे कि कौन‑से सेक्टर सबसे ज्यादा फाइदा उठाएंगे और क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए.

मुख्य लाभ: टैरिफ़ में कटौती और बाजार पहुँच

समझौते के तहत लगभग 3,500 वस्तुओं पर टैरिफ़ घटाया गया है. इसका मतलब है कि भारतीय कपड़े, जूते या दवाइयाँ यूके में सस्ती होंगी, जबकि ब्रिटिश वाइन, मशीनरी और टेक्नोलॉजी भारत में कम कीमत पर आएँगी. छोटे व्यापारियों के लिए यह नई बाजार पहुँच खोलता है, जिससे निर्यात‑आय बढ़ सकती है.

उद्योग‑विशेष प्रभाव और चुनौतियां

कृषि उत्पादों को अभी भी कुछ सीमाएँ मिली हैं, इसलिए किसान तुरंत लाभ नहीं देखेंगे. लेकिन फॉर्मास्यूटिकल्स और ऑटो पार्ट्स जैसे हाई‑टेक सेक्टर को जल्दी से फायदा होगा. दूसरी तरफ, छोटे रिटेलर्स को नई प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, इसलिए उन्हें गुणवत्ता या निचे मार्केट में ढूँढना पड़ेगा.

समझौते की एक बड़ी बात यह है कि नियमों का पालन करने के लिए दो‑तरफा मानक बनेंगे. जैसे सर्टिफ़िकेशन प्रक्रिया आसान होगी, पर कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स को यूरोपीय मानकों के हिसाब से तैयार करना पड़ेगा. यही कारण है कि कई कंपनियां अभी प्रशिक्षण और अपग्रेड में निवेश कर रही हैं.

व्यापारियों को अब जल्दी‑जल्दी लाइसेंस और प्रमाणपत्र प्राप्त करने की जरूरत होगी, क्योंकि देर होने पर टैरिफ़ लाभ नहीं मिलेगा. सरकारी पोर्टल पर एक ही जगह सभी दस्तावेज़ जमा करके प्रक्रिया तेज की जा सकती है, इसलिए समय से पहले तैयारी करना फायदेमंद रहेगा.

यदि आप इस एग्रीमेंट का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं तो सबसे पहला कदम है अपने प्रोडक्ट को ‘सर्विस्ड’ बनाना. इसका मतलब है कि उत्पाद में कुछ वैल्यू‑एडेड सर्विसेज़ जोड़ें, जैसे इंस्टॉलेशन या वारंटी, जिससे ग्राहक की पसंद बढ़ेगी और आप प्रतिस्पर्धियों से अलग दिखेंगे.

एक और आसान तरीका है ‘सहयोगी नेटवर्क’ बनाना. यूके में स्थानीय एजेंट या डिस्ट्रिब्यूटर के साथ पार्टनरशिप करने से बाजार में प्रवेश तेज़ होगा, क्योंकि उनके पास पहले से ही लॉजिस्टिक्स और कस्टमर बेस मौजूद होता है.

आखिर में यह समझौता सिर्फ बड़े कंपनियों का नहीं, छोटे स्टार्ट‑अप्स का भी है. कई सरकारी योजनाएँ एग्रीमेंट के तहत नई एक्सपोर्ट फंडिंग प्रदान कर रही हैं. अगर आप इन स्कीमों को देखेंगे तो पूँजी की कमी नहीं रहेगा.

समझौता अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए बदलाव आते रहेंगे. लेकिन एक चीज़ तय है – भारत‑यूके के बीच व्यापार आसान और सस्ता होगा, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी. आप भी इस अवसर का इस्तेमाल करके अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं.

7

मई

2025

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