7:30 बजे रात को तमिलनाडु के महाबलीपुरम और पुडुचेरी के करैकल के बीच साइक्लोन फेंगल ने धमाकेदार लैंडफॉल किया। इसकी रफ्तार 70-90 किमी/घंटा थी, और जैसे ही ये तट पर टकराया, बाढ़ ने घरों, सड़कों और बस स्टेशनों को बहा दिया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि ये तूफान 29 नवंबर को दोपहर 2:30 बजे बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में एक गहरी अवनमन से बना था। लेकिन लैंडफॉल एक दिन देर से हुआ — और इस देरी ने कई लोगों की जान बचाई।
क्या हुआ था जब तूफान आया?
जब साइक्लोन फेंगल तट पर पहुँचा, तो उत्तरी तमिलनाडु और पुडुचेरी के कई हिस्सों में बारिश इतनी भारी हुई कि बसों और गाड़ियाँ बह गईं। उथांगिरी बस स्टेशन पर बाढ़ इतनी तेज थी कि बसों को बहाकर दूर ले गई। तिरुवन्नामलई में एक भूस्खलन ने एक परिवार के सात सदस्यों को गाद में दबा दिया। अाज तक की रिपोर्ट के अनुसार, बचाव टीमों ने दो दिन तक खुदाई की, लेकिन अभी तक चार लोगों के शव मिले हैं।
पुडुचेरी में तो पानी इतना भर गया कि लोग छतों पर चढ़ गए। भारतीय सेना ने शहरी क्षेत्रों में जाकर 200 लोगों को बचाया और 1,000 लोगों को आपातकालीन शिविरों में बसाया। नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की सात टीमें तुरंत तैनात कर दी गईं। राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया का ये तेज़ प्रतिक्रिया अक्सर बचाव का अंतर बन गया।
क्या तैयारियाँ हुईं?
पहले से ही तमिलनाडु के जिलाधिकारी कुलोथुंगन ने तटीय क्षेत्रों को बंद कर दिया था। बीचों, टूरिस्ट स्पॉट्स और तटीय सड़कों पर प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया गया। स्काईमेट वेदर एजेंसी ने बताया कि ये तूफान लैंडफॉल के बाद एक गहरी अवनमन में बदल गया, लेकिन बारिश बंद नहीं हुई।
चेन्नई में हवाई और रेल सेवाएँ लगभग 36 घंटे तक बंद रहीं। आंध्र प्रदेश ने अपने तटीय जिलों के लिए अलर्ट जारी किया, और उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने स्थिति की समीक्षा की। नाविकों को समुद्र में जाने से मना कर दिया गया। उन्हें अपनी नावें ऊँचाई पर ले जाने के लिए कहा गया। स्कूल और कॉलेज बंद हो गए — ये निर्णय बहुत जल्दी लिया गया था।
क्या अभी भी खतरा है?
2 दिसंबर को IMD ने 10 जिलों के लिए पीला अलर्ट जारी किया। लेकिन एरणाकुलम, इडुक्की, तृशूर और पलक्काड़ के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया — क्योंकि यहाँ बारिश इतनी भारी होने की उम्मीद थी कि नदियाँ बाढ़ को छू लेंगी।
फेंगल का अवशेष 3 दिसंबर तक केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा था। तमिलनाडु के उत्तरी आंतरिक क्षेत्रों में अब ये एक साधारण निम्न दबाव क्षेत्र बन चुका था, लेकिन बारिश अभी भी बहुत तेज थी। कर्नाटक के कुछ जिलों में जमीन भीग गई, और टेलंगाना में भी बारिश के कारण सड़कें बंद हो गईं।
बाढ़ के बाद क्या होगा?
बाढ़ के बाद स्वास्थ्य खतरे अधिक भयावह होते हैं। गंदे पानी में डायरिया, टाइफ़ॉइड और लेप्टोस्पाइरोसिस के मामले बढ़ने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत टीकाकरण अभियान शुरू कर दिए हैं। अस्पतालों में आपातकालीन बिस्तरों की संख्या बढ़ा दी गई है।
कृषि क्षेत्र भी भारी नुकसान का शिकार हुआ है। तमिलनाडु के कई जिलों में धान के खेत डूब गए। फसल बर्बाद होने के कारण किसानों की आय पर गहरा असर पड़ेगा। सरकार ने अभी तक किसी भी आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही एक निर्णय लिया जाएगा।
क्या ऐसा पहले भी हुआ था?
2018 में साइक्लोन टाइगर ने तमिलनाडु के तट पर लैंडफॉल किया था, लेकिन उसकी तीव्रता फेंगल से कम थी। 2023 में साइक्लोन दामान ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को प्रभावित किया था, लेकिन वहाँ बाढ़ का नुकसान कम था। फेंगल की विशेषता ये है कि यह लैंडफॉल के बाद भी बारिश के रूप में लंबे समय तक खतरा बना रहा।
इस बार, IMD की भविष्यवाणी अधिक सटीक रही। लेकिन अभी भी अनेक गाँवों में अलर्ट नहीं पहुँच पाए। कई लोगों ने बताया कि उन्हें कोई चेतावनी नहीं मिली — जब तक बारिश शुरू नहीं हो गई।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन फेंगल ने कितने लोगों को प्रभावित किया?
अधिकारियों के अनुसार, तमिलनाडु और पुडुचेरी में लगभग 2.3 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए। इनमें से 1,000 से अधिक लोगों को आपातकालीन शिविरों में बसाया गया। कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में भी लाखों लोगों को बारिश के कारण असुविधा का सामना करना पड़ा।
बाढ़ के बाद स्वास्थ्य जोखिम क्या हैं?
गंदे पानी, अनुपयुक्त स्वच्छता और जमा हुए जल के कारण टाइफ़ॉइड, डायरिया, हेपेटाइटिस और लेप्टोस्पाइरोसिस जैसी बीमारियाँ फैलने का खतरा है। तमिलनाडु सरकार ने 150 स्वास्थ्य टीमों को तैनात किया है और टीकाकरण अभियान शुरू किए हैं। अस्पतालों में एंटीबायोटिक्स और ऑरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन की आपूर्ति बढ़ा दी गई है।
क्या भविष्य में ऐसी बाढ़ रोकी जा सकती है?
नहीं, बाढ़ को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसके प्रभाव कम किए जा सकते हैं। तटीय क्षेत्रों में बेहतर ड्रेनेज सिस्टम, बाढ़ के लिए तैयार नियोजन और जल्दी चेतावनी प्रणाली जरूरी हैं। 2024 में IMD की भविष्यवाणी अच्छी रही, लेकिन गाँवों में चेतावनी पहुँचाने की व्यवस्था अभी भी कमजोर है।
साइक्लोन फेंगल के बाद आर्थिक नुकसान कितना हुआ?
प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, बाढ़ और बर्बादी के कारण कुल नुकसान 4,200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इसमें बिजली, सड़क, रेल, बस स्टेशन, कृषि और छोटे व्यवसायों का नुकसान शामिल है। तटीय क्षेत्रों में नौकरियाँ खत्म हो गई हैं — जैसे फिशिंग, टूरिज्म और छोटे दुकानदार।
क्या अभी भी बारिश जारी है?
हाँ, 3 दिसंबर तक केरल और कर्नाटक के कुछ जिलों में भारी बारिश जारी रही। IMD ने इन क्षेत्रों के लिए अभी भी ऑरेंज अलर्ट जारी रखा है। ये अवशेष तूफान अब अरब सागर की ओर बढ़ रहा है, लेकिन यहाँ भी बारिश के कारण स्थानीय बाढ़ का खतरा है।
सरकार ने क्या राहत घोषित की है?
अभी तक कोई आधिकारिक आर्थिक राहत पैकेज घोषित नहीं किया गया है। हालाँकि, तमिलनाडु सरकार ने प्रत्येक घर के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने की योजना बनाई है, जो अभी अनुमोदन के लिए प्रतीक्षाधीन है। खाद्य और पानी की आपूर्ति जारी है, और शिविरों में चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं।