NASSCOM द्वारा कर्नाटक के स्थानीय नौकरियाँ आरक्षण विधेयक का विरोध, कंपनियों के स्थानांतरण की चेतावनी

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18

जुल॰

2024

NASSCOM द्वारा कर्नाटक के स्थानीय नौकरियाँ आरक्षण विधेयक का विरोध

नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (NASSCOM) ने कर्नाटक राज्य में प्रस्तावित स्थानीय नौकरियाँ आरक्षण विधेयक, 2024 पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कर्नाटक राज्य उद्योग, फैक्ट्रियाँ और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार पर बल देने वाले इस विधेयक ने तकनीकी उद्योग में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

यह विधेयक, जिसे 15 जुलाई 2024 को कर्नाटक कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई, निजी कंपनियों को ग्रुप सी और डी श्रेणी के कर्मचारियों में 50% प्रबंधकीय और 75% गैर-प्रबंधकीय पदों के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।

NASSCOM की चिंता

NASSCOM ने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने का आग्रह किया है। संगठन का मानना है कि यह न केवल उद्योग के विकास को बाधित करेगा बल्कि स्थानीय और बाहरी प्रतिभाओं के बीच असंतुलन पैदा करेगा। NASSCOM का यह भी तर्क है कि ज्ञान-आधारित व्यवसाय उन स्थानों पर स्थापित होते हैं जहाँ पर कुशल कार्यकर्ता उपलब्ध होते हैं। ऐसे में कर्नाटक जैसे वैश्विक प्रतिभा आकर्षण केंद्र में इस प्रकार का विधेयक लागू करना अनुचित है।

विधेयक पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

कई उद्योग प्रतिनिधियों ने इस विधेयक के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ और मैनेट्रीज समूह के मुख्य निदेशक मोहनदास पाई ने इसे भेदभावपूर्ण और पिछड़ा करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के द्वेषपूर्ण कानूनों से व्यवसायों को अन्य राज्यों में स्थानांतरित होने की संभावना बढ़ जाती है।

स्थानीय और वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने की दिशा

NASSCOM ने सरकार को सुझाव दिया है कि व्यापारिक क्षेत्रों में स्थानीय और वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए दोहरी रणनीति अपनानी चाहिए। इसके अंतर्गत न केवल वैश्विक स्तर की नीतियाँ बनाने बल्कि शिक्षा के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाओं का विकास करना भी शामिल है।

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उद्योग जगत के विरोध के बाद इस विधेयक की सार्वजनिक घोषणा को वापस लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने ट्वीट किया था जिसमें इस विधेयक के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसे बाद में हटा लिया गया। इसके बावजूद, इसको लेकर उद्योग जगत में अभी भी चिंता बनी हुई है।

तकनीकी उद्योग पर प्रभाव

तकनीकी उद्योग पर प्रभाव

यह विधेयक यदि लागू होता है तो तकनीकी उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। तकनीकी कंपनियाँ अपने कार्यों के लिए कुशल और सक्षम कार्यबल पर निर्भर करती हैं। इस परिस्थिति में, यदि कंपनियों को स्थानीय स्तर पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते, तो वे अपने व्यवसाय को अन्यत्र स्थानांतरित करने पर विचार करेंगी। इससे न केवल रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि कर्नाटक के आर्थिक परिदृश्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

उद्योग संघों का यह भी कहना है कि ऐसे कानून से नवोन्मेषण और प्रतिस्पर्धा पर भी प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय प्रतिभाओं को भी बेहतर अवसर प्राप्त होंगे यदि वे अत्यधिक वैश्विक मानकों पर खरे उतरें, न कि मात्र कानून के आधार पर।

सरकार की जिम्मेदारी

सरकार की जिम्मेदारी

इस प्रकार की परिस्थितियों में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाए। स्थानीय रोजगार को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही उद्योग के विकास और प्रतिस्पर्धा को भी बनाए रखना आवश्यक है। शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में निवेश करके ही दीर्घकालिक समाधान संभव है।

अंतिम सुझाव

अंतिम सुझाव

कर्नाटक सरकार को चाहिए कि वह इस विधेयक पर पुनर्विचार करे और उद्योग और शिक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक सर्वसमावेशी नीतिगत ढांचा तैयार करे। इससे न केवल स्थानीय प्रतिभाओं का विकास होगा बल्कि कर्नाटक तकनीकी उद्योग में एक अग्रणी राज्य के रूप में अपनी जगह भी बनाए रख सकेगा।

लेखक के बारे में

स्नेहा वर्मा

स्नेहा वर्मा

मैं एक अनुभवी समाचार लेखिका हूँ और मुझे भारत से संबंधित दैनिक समाचारों पर लिखना बहुत पसंद है। मुझे अपनी लेखन शैली के माध्यम से लोगों तक जरूरी सूचनाएं और खबरें पहुँचाना अच्छा लगता है।

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