NASSCOM द्वारा कर्नाटक के स्थानीय नौकरियाँ आरक्षण विधेयक का विरोध
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (NASSCOM) ने कर्नाटक राज्य में प्रस्तावित स्थानीय नौकरियाँ आरक्षण विधेयक, 2024 पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कर्नाटक राज्य उद्योग, फैक्ट्रियाँ और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार पर बल देने वाले इस विधेयक ने तकनीकी उद्योग में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
यह विधेयक, जिसे 15 जुलाई 2024 को कर्नाटक कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई, निजी कंपनियों को ग्रुप सी और डी श्रेणी के कर्मचारियों में 50% प्रबंधकीय और 75% गैर-प्रबंधकीय पदों के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।
NASSCOM की चिंता
NASSCOM ने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने का आग्रह किया है। संगठन का मानना है कि यह न केवल उद्योग के विकास को बाधित करेगा बल्कि स्थानीय और बाहरी प्रतिभाओं के बीच असंतुलन पैदा करेगा। NASSCOM का यह भी तर्क है कि ज्ञान-आधारित व्यवसाय उन स्थानों पर स्थापित होते हैं जहाँ पर कुशल कार्यकर्ता उपलब्ध होते हैं। ऐसे में कर्नाटक जैसे वैश्विक प्रतिभा आकर्षण केंद्र में इस प्रकार का विधेयक लागू करना अनुचित है।
विधेयक पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
कई उद्योग प्रतिनिधियों ने इस विधेयक के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ और मैनेट्रीज समूह के मुख्य निदेशक मोहनदास पाई ने इसे भेदभावपूर्ण और पिछड़ा करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के द्वेषपूर्ण कानूनों से व्यवसायों को अन्य राज्यों में स्थानांतरित होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्थानीय और वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने की दिशा
NASSCOM ने सरकार को सुझाव दिया है कि व्यापारिक क्षेत्रों में स्थानीय और वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए दोहरी रणनीति अपनानी चाहिए। इसके अंतर्गत न केवल वैश्विक स्तर की नीतियाँ बनाने बल्कि शिक्षा के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाओं का विकास करना भी शामिल है।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उद्योग जगत के विरोध के बाद इस विधेयक की सार्वजनिक घोषणा को वापस लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने ट्वीट किया था जिसमें इस विधेयक के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसे बाद में हटा लिया गया। इसके बावजूद, इसको लेकर उद्योग जगत में अभी भी चिंता बनी हुई है।
तकनीकी उद्योग पर प्रभाव
यह विधेयक यदि लागू होता है तो तकनीकी उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। तकनीकी कंपनियाँ अपने कार्यों के लिए कुशल और सक्षम कार्यबल पर निर्भर करती हैं। इस परिस्थिति में, यदि कंपनियों को स्थानीय स्तर पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते, तो वे अपने व्यवसाय को अन्यत्र स्थानांतरित करने पर विचार करेंगी। इससे न केवल रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि कर्नाटक के आर्थिक परिदृश्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उद्योग संघों का यह भी कहना है कि ऐसे कानून से नवोन्मेषण और प्रतिस्पर्धा पर भी प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय प्रतिभाओं को भी बेहतर अवसर प्राप्त होंगे यदि वे अत्यधिक वैश्विक मानकों पर खरे उतरें, न कि मात्र कानून के आधार पर।
सरकार की जिम्मेदारी
इस प्रकार की परिस्थितियों में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाए। स्थानीय रोजगार को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही उद्योग के विकास और प्रतिस्पर्धा को भी बनाए रखना आवश्यक है। शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में निवेश करके ही दीर्घकालिक समाधान संभव है।
अंतिम सुझाव
कर्नाटक सरकार को चाहिए कि वह इस विधेयक पर पुनर्विचार करे और उद्योग और शिक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक सर्वसमावेशी नीतिगत ढांचा तैयार करे। इससे न केवल स्थानीय प्रतिभाओं का विकास होगा बल्कि कर्नाटक तकनीकी उद्योग में एक अग्रणी राज्य के रूप में अपनी जगह भी बनाए रख सकेगा।
12 टिप्पणि
Tejas Bhosale
जुलाई 19, 2024 AT 14:29ये आरक्षण विधेयक तो सिर्फ एक लोकप्रियता गेम है। टेक इंडस्ट्री में कौशल की बात करो, न कि जन्मस्थान की। अगर तुम्हारे पास नहीं है तो तैयार हो जा, न कि कानून बना के दूसरों को बाधित कर।
ग्लोबल कॉम्पिटिशन में ड्रॉप आउट हो जाओगे।
Asish Barman
जुलाई 20, 2024 AT 00:06कर्नाटक में जो लोग नौकरी चाहते हैं वो तो बस एक चांस चाहते हैं। अगर कंपनियां बाहर जा रही हैं तो ये भी एक तरह का सबक है।
Abhishek Sarkar
जुलाई 20, 2024 AT 11:07ये सब एक बड़ी साजिश है। NASSCOM और मल्टीनेशनल्स एक साथ मिलकर देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ये विधेयक लागू होता तो देश के अंदर ही लोगों को नौकरी मिलती, अब वो बाहर जाकर अमेरिका में रहने लगेंगे।
क्या तुम्हें पता है कि अमेरिका के टेक कंपनियां भारतीयों को अपने देश में नहीं रखतीं? वो बस इसलिए यहां आती हैं क्योंकि वो जानते हैं कि यहां के लोग ज्यादा लचीले हैं।
ये विधेयक तो सिर्फ एक शुरुआत है। अगला कदम होगा - बैंकों में आरक्षण, अस्पतालों में आरक्षण, फिर आएगा रेलवे।
इन लोगों का मकसद है भारत को एक बाहरी लेबर फोर्स बना देना। तुम सब इसे नजरअंदाज कर रहे हो।
Niharika Malhotra
जुलाई 21, 2024 AT 09:46सरकार को ये समझना चाहिए कि नौकरियां देना और नौकरियां बनाना दो अलग चीजें हैं।
अगर हम युवाओं को डिजिटल स्किल्स, AI, क्लाउड कंप्यूटिंग सिखाएं, तो वो खुद ही बाजार में टॉप पर आ जाएंगे।
आरक्षण की जगह ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश करें।
कर्नाटक के युवा बहुत तेज हैं, बस उन्हें सही दिशा चाहिए।
हम अपने बच्चों को बाहर की ओर भागने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।
सरकार के पास संसाधन हैं, बस उन्हें सही जगह लगाना होगा।
Baldev Patwari
जुलाई 22, 2024 AT 18:50ये विधेयक तो बेवकूफों के लिए है। तुम्हारे घर का बेटा बीटीसी नहीं कर पाया तो बाकी सब को बाधित कर देना? तुम नौकरी नहीं चाहते, तुम चाहते हो कि दूसरे तुम्हारे लिए बैठ जाएं।
कंपनियां चली जाएंगी और तुम रोएगा। और फिर भी कहोगा - देश का नियम है।
harshita kumari
जुलाई 24, 2024 AT 05:48ये सब एक बड़ा लोकप्रियता फेक है। निजी कंपनियों को आरक्षण देने का निर्णय तो बिना किसी डेटा के लिया गया।
पहले डेटा दिखाओ कि कितने स्थानीय उम्मीदवार असली तकनीकी कौशल रखते हैं।
अगर नहीं हैं तो तुम लोग जानते हो कि ये विधेयक बनाने का मकसद क्या है।
ये सब बस एक धोखा है। तुम लोग जानते हो कि ये नहीं चलेगा। फिर भी बना रहे हो।
इसके बाद क्या होगा? निजी अस्पतालों में आरक्षण? निजी स्कूलों में आरक्षण? ये जानबूझकर बनाया गया है।
इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक एजेंडा है।
SIVA K P
जुलाई 24, 2024 AT 14:25तुम लोग NASSCOM को भी नहीं समझते। ये लोग तो अपनी नौकरियों के लिए बाहरी लोगों को चाहते हैं।
अगर तुम्हारे बेटे को नौकरी नहीं मिल रही तो तुम इसे आरक्षण का नाम दे देते हो।
मैंने देखा है यहां के युवा बस फेसबुक पर बैठे हैं, अपने घर के बाहर निकलने की हिम्मत नहीं।
ये विधेयक तो बस उनकी आलसी आत्मा को बचाने के लिए बनाया गया है।
Neelam Khan
जुलाई 26, 2024 AT 10:38हर एक युवा के पास एक अवसर होना चाहिए।
लेकिन ये अवसर तभी मिलेगा जब हम उन्हें सिखाएंगे।
कर्नाटक में बहुत सारे गांव हैं जहां बच्चे इंटरनेट तक नहीं पहुंच पाते।
हमें इन जगहों पर डिजिटल क्लासेस, लैब, ट्रेनिंग सेंटर बनाने की जरूरत है।
आरक्षण नहीं, अवसर चाहिए।
हम अपने युवाओं को अपनी ताकत बना सकते हैं, बस हमें उन्हें विश्वास देना होगा।
Jitender j Jitender
जुलाई 26, 2024 AT 21:51इस विधेयक का असली टारगेट नहीं है आरक्षण।
ये एक डायनामिक इकोसिस्टम के लिए एक रिस्क अनालिसिस है।
कर्नाटक के टेक हब में टैलेंट फ्लो एक फ्लेक्सिबल सिस्टम है।
अगर इसे रिजिड बना दिया जाए तो इन्वेस्टर्स डिस्काउंट कर देंगे।
हमें एक डेटा-ड्रिवन एप्रोच चाहिए।
कौशल डेवलपमेंट के साथ लोकल इंक्लूजन का बैलेंस बनाना होगा।
ये नहीं कि तुम लोग एक बार बना दो और भूल जाओ।
इसके लिए एक स्टीयरिंग कमिटी चाहिए जिसमें इंडस्ट्री, एकेडमिया और सरकार हो।
Jitendra Singh
जुलाई 27, 2024 AT 07:45ये विधेयक एक अपराध है।
एक ऐसा कानून जो ज्ञान के आधार पर नहीं, बल्कि जाति के आधार पर नौकरियां देने की बात करता है।
मैंने देखा है कि जिन लोगों ने इस विधेयक का समर्थन किया, वो खुद तो कभी कोड नहीं लिखे।
ये लोग तो बस अपनी राजनीति के लिए इसे बना रहे हैं।
इस तरह के कानूनों से भारत का भविष्य नहीं बनता।
इससे बस एक जनता बनती है जो अपनी आलसी आत्मा को बचाने के लिए दूसरों को दोष देती है।
VENKATESAN.J VENKAT
जुलाई 29, 2024 AT 01:16ये विधेयक एक देश के लिए अपमान है।
हम तो दुनिया के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर हैं।
अब हम अपने युवाओं को रोक रहे हैं? क्या ये बुद्धिमानी है?
मैंने अमेरिका में भी काम किया है। वहां तो तुम्हारी क्षमता ही तुम्हारी पहचान है।
यहां तो तुम अपने बेटे को नौकरी दिलाने के लिए एक कानून बनाना चाहते हो।
ये नहीं कि तुम उसे बेहतर बनाओ।
ये तो देश की आत्मा को मार रहा है।
हम इसे रोकेंगे। नहीं तो अगला कदम होगा - आरक्षण बाहरी राज्यों के लिए।
और फिर आरक्षण आदिवासी के लिए, फिर मुस्लिम के लिए।
ये तो एक अनंत श्रृंखला है।
Amiya Ranjan
जुलाई 30, 2024 AT 04:51क्या तुमने कभी सोचा कि जो लोग इस विधेयक के खिलाफ हैं, वो अपने बच्चों को बाहर भेज रहे हैं? वो खुद तो अपने घर के बाहर नौकरी चाहते हैं।
अब तुम दूसरों के लिए नौकरी रोकना चाहते हो।
ये न्याय नहीं, ये द्वेष है।