अलका याज्ञनिक को सुनाई देने में आई समस्या
बॉलीवुड की मशहूर पार्श्व गायिका अलका याज्ञनिक, जिन्होंने अपनी सुरीली आवाज से सदियों तक लोगों को मंत्रमुग्ध किया है, को एक दुर्लभ न्यूरो बीमारी का पता चला है। 58 वर्षीय याज्ञनिक ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस खबर को साझा करते हुए अपने प्रशंसकों और दोस्तों को बताया कि वह अब सुन नहीं पा रही हैं। यह समस्या उनसे तब शुरू हुई जब वह हाल ही में एक फ्लाइट से उतरीं।
याज्ञनिक के डॉक्टरों ने उनका परीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला कि उन्हें एक दुर्लभ प्रकार की सेंसरी नर्व सुनने की क्षमता में कमी का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या एक वायरल अटैक के कारण उत्पन्न हुई है। इतने महत्वपूर्ण समय में बीमारी के अचानक onset से अलका याज्ञनिक और उनके प्रशंसक दोनों हैरत में हैं।
प्रशंसकों और साथी कलाकारों की प्रतिक्रिया
अलका याज्ञनिक की इस घोषणा पर संगीत जगत के अन्य नामी कलाकारों ने अपने समर्थन और शुभकामनाएं व्यक्त की हैं। प्रसिद्ध गायक सोनू निगम और इला अरुण ने उनकी पोस्ट पर टिप्पणियाँ करते हुए उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। याज्ञनिक के प्रशंसकों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी चिंताओं और प्यार का इजहार किया है।
अलका याज्ञनिक का योगदान और करियर
अलका याज्ञनिक का करियर बेहद चमचमाता हुआ रहा है। उन्होंने धाराप्रवाह शैली में 25 से अधिक भाषाओं में 21,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए हैं। 1980 में फ़िल्म 'पयाल की झंकार' से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार और कई फिल्मफेयर अवार्ड्स भी प्राप्त हुए हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए अलका याज्ञनिक ने उम्मीद जताई है कि वह जल्द ही स्वस्थ होकर वापसी करेंगी। उनकी इस सकारात्मक सोच और इच्छाशक्ति को देखते हुए उनके प्रशंसक और साथी कलाकार भी उनके साथ खड़े हैं। याज्ञनिक ने अपने प्रशंसकों से आग्रह किया है कि तेज संगीत से बचें और हेडफोन का उपयोग समझदारी से करें।
अलका याज्ञनिक की बेमिसाल आवाज
अलका याज्ञनिक का नाम सुनते ही कानों में उनकी मधुर आवाज गूंज उठती है।
12 टिप्पणि
Ravi Kumar
जून 19, 2024 AT 13:39अलका दीदी की आवाज़ सुनकर मैंने अपनी बचपन की यादें जीवित कर लीं। जब घर में रेडियो चलता था, तो सब रुक जाते थे। अब जब वो खुद सुन नहीं पा रहीं, तो दिल टूट गया। लेकिन उनकी आवाज़ तो हम सबके दिलों में हमेशा गूंजती रहेगी।
pritish jain
जून 20, 2024 AT 20:42यह न्यूरोलॉजिकल सेंसरी नर्व डिजेनरेशन एक अत्यंत दुर्लभ अवस्था है, जिसमें कोच्लियर न्यूरॉन्स की अपर्याप्त संक्रमण क्षमता के कारण सेंसरी हीयरिंग लॉस होता है। वायरल इन्फेक्शन के बाद यह अक्सर आयरनिक डिफिसिट या ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स के कारण होता है। इसका इलाज अभी तक असंभव है, लेकिन कॉक्चिल इम्प्लांट या न्यूरोस्टिमुलेशन के माध्यम से लक्षणों को कम किया जा सकता है।
Gowtham Smith
जून 21, 2024 AT 07:21हमारे देश में ये बातें तो बस ट्रेंड बन जाती हैं। एक गायिका की सुनने की क्षमता खो गई, तो पूरा देश रो पड़ा। लेकिन जब बच्चे गाँव में बीमार होते हैं तो कोई नहीं देखता। ये सिर्फ बॉलीवुड का भावुकता का खेल है।
Shivateja Telukuntla
जून 21, 2024 AT 08:18मैं इस खबर को सुनकर बहुत दुखी हुआ। अलका याज्ञनिक ने हम सबके लिए इतना कुछ दिया है। अब उनके लिए शांति और आराम की कामना है। बस इतना ही चाहिए।
Ashmeet Kaur
जून 22, 2024 AT 02:35मैंने उनके गाने से सीखा है कि आवाज़ का मतलब सिर्फ ध्वनि नहीं, बल्कि भावनाएँ होती हैं। उन्होंने अपनी आवाज़ से हर भाषा को जोड़ दिया। अब वो जब गाएँगी, तो उनकी आत्मा सुनाई देगी।
Nirmal Kumar
जून 22, 2024 AT 11:52अलका दीदी के गाने में वो अद्भुत भावना है जो आजकल के ऑटो-ट्यून वाले गानों में गायब है। उनकी आवाज़ में दर्द, खुशी, उम्मीद सब कुछ था। अब जब वो सुन नहीं पा रहीं, तो लगता है जैसे भारतीय संगीत का एक अंग खो गया है।
Sharmila Majumdar
जून 22, 2024 AT 16:00ये तो बस एक बीमारी है, लेकिन उन्होंने तो इतने गाने गाए हैं कि अब उनकी आवाज़ इतिहास बन चुकी है। अगर वो अब गाना नहीं गा सकतीं, तो भी कोई बात नहीं। उनके गाने तो हमेशा के लिए रहेंगे।
amrit arora
जून 23, 2024 AT 22:40यह एक ऐसा विषय है जो मानवता के गहरे आयामों को छूता है - जब आप अपनी आवाज़ के माध्यम से दुनिया को छूते हैं, और फिर अचानक वह आवाज़ खो जाती है। यह एक विरोधाभास है: जो दूसरों को सुनाती थीं, वह अब सुन नहीं पा रहीं। लेकिन यही तो जीवन की सच्चाई है - जो देते हैं, वे अक्सर खुद कम पाते हैं।
Ambica Sharma
जून 24, 2024 AT 15:18मैं रो रही हूँ। अलका दीदी के गाने में मेरी शादी की शुरुआत थी, मेरे बच्चे का पहला गाना था, मेरी माँ की आखिरी सांस तक वो गाए जा रहे थे। अब ये बीमारी? ये बहुत बुरा है।
Hitender Tanwar
जून 26, 2024 AT 13:54ये सब बकवास है। आवाज़ खो गई तो क्या हुआ? अभी भी गाने बन रहे हैं। बॉलीवुड तो अब टेक्नोलॉजी से चलता है।
rashmi kothalikar
जून 28, 2024 AT 05:09अलका याज्ञनिक ने तो हमारे संगीत को बचाया था। आज के बच्चे तो फोन पर गाने सुनते हैं, लेकिन उन्होंने हमें सच्ची आवाज़ दी। अगर उन्हें इलाज नहीं मिला, तो ये देश का अपराध है।
vinoba prinson
जून 29, 2024 AT 23:58यह एक विशिष्ट न्यूरोसेंसरी डिसऑर्डर है जिसे आमतौर पर 'अक्यूट न्यूरोसेंसरी हीयरिंग लॉस' कहा जाता है। इसका अध्ययन केवल अमेरिका और जापान में ही होता है। भारत में इसके लिए कोई शोध संस्थान नहीं है। अलका याज्ञनिक के लिए ये एक अवसर है - भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था को निर्माण करने का।