छठ पूजा 2025 का शुभारंभ 25 अक्टूबर को शाम 5:00 बजे (UTC) के साथ नहय खाय के साथ हुआ, जिससे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में सूर्य और छठ माईया के प्रति भक्ति का चार दिवसीय उत्सव शुरू हुआ। ये त्योहार सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संगीतमय अनुभव है — जहां नदी किनारे बहते गीत, भक्ति के साथ जुड़े हुए हैं। इस साल, गीतों की धुन ने त्योहार को एक नया आयाम दिया है, जहां पुराने क्लासिक्स और नए निर्माण एक साथ बह रहे हैं।
छठ के गीत: सदियों की धुन, आज की आवाज़
छठ पूजा के गीतों की जड़ें इतनी गहरी हैं कि ये बस धुन नहीं, बल्कि विश्वास की भाषा हैं। शरदा सिन्हा, जिन्हें 'बिहार की नाइटिंगेल' कहा जाता है, ने 1986 में रिलीज़ किए गए ‘केलवा के पात पर’ और ‘हो दीननाथ’ जैसे गीतों ने छठ के गीतों का एक अटूट मानक तैयार कर दिया। ये गीत आज भी टीवी चैनलों पर, घरों में और घाटों पर बजते हैं — जैसे कोई पुराना दोस्त जो हर साल आता है।
इसी तरह, अनुराधा पौडवाल और कल्पना पटोवरी के गीत भी छठ के लिए अनिवार्य हैं। ‘उगा है सूरज देव’, ‘चाननी ताने चलले’ और ‘चार पहार हम जल थल सेविला’ जैसे गीतों की संगीत निर्देशन सुरिंदर कोहली ने किया, और गीतकार विनय बिहारी ने उन्हें शब्दों में जीवन दिया। ये गीत न केवल भक्ति को व्यक्त करते हैं, बल्कि भाषा, संस्कृति और अनुष्ठान को भी जोड़ते हैं।
युवा पीढ़ी के लिए नया संगीत: उदित नारायण का चौमुख दियारी
2025 का सबसे बड़ा संगीत आश्चर्य था — उदित नारायण का ‘चौमुख दियारी (छठ गीत)’। यह गीत सिर्फ एक नया ट्रैक नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक सेटिंग है। इसकी रचना कशि कश्यप ने की, गीत दीपिका झा ने लिखे, और इसका निर्माण MJRK Events PVT LTD ने किया, जिसमें शुभ सीता फाउंडेशन और सुलभ इंटरनेशनल भी शामिल हैं।
इस गीत की विशेषता है इसका संगीत विविधता — वायलिन, शहनाई, बांसुरी, गिटार और सारंगी के साथ एक ऐसा संगम जो गाँव के घाटों से लेकर शहर के स्टूडियो तक जाता है। यह गीत युवाओं के लिए छठ को एक नया रूप दे रहा है — न केवल भक्ति का, बल्कि कला का भी।
प्रसिद्ध गीतों का संग्रह: टी-सीरीज़ और यूट्यूब पर बहती धुन
यूट्यूब पर T-Series का ‘Chhath Pooja Special’ कॉम्पिलेशन (27 अक्टूबर, 2025 को अपलोड किया गया) अब छठ के लिए सबसे ज्यादा देखा जाने वाला वीडियो बन गया है। इसमें 14:25 मिनट पर ‘हो दीननाथ’ आता है — जैसे कोई अनुष्ठान का सबसे शुद्ध तात्विक बिंदु।
इसके अलावा, ‘जोड़े जोड़े फलवा’ जैसे गीत जिनमें पवन सिंह और पालक मुखल हैं, बॉलीवुड की धुन को बिहारी भाषा और छठ के अनुष्ठानों से जोड़ते हैं। ये गीत अब न सिर्फ घरों में, बल्कि शहरों के रेडियो और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर भी ट्रेंड कर रहे हैं।
छठ के गीत: सिर्फ संगीत नहीं, जीवन की कहानी
‘मुख मिटाय छ मैया’ में एक माँ की प्रार्थना है — उसके बच्चों के स्वास्थ्य और शांति के लिए। ‘अहिलेहिलहथिया’ में एक नवविवाहिता लड़की अपनी पहली छठ पूजा का अनुभव बताती है। और ‘चल भौजी हली हली’ का ताल इतना जीवंत है कि घाट पर जाने के लिए लोग इसके साथ नाचते हैं।
ये गीत सिर्फ आवाज़ नहीं, बल्कि विरासत हैं। जिन लोगों ने इन्हें गाया, उनमें से कई अब नहीं हैं — शरदा सिन्हा का निधन 2021 में हुआ था — लेकिन उनकी आवाज़ अभी भी गंगा के तट पर बह रही है।
छठ के गीतों का भविष्य: क्या होगा अगले साल?
अगले साल शायद और युवा कलाकार छठ के गीतों में आएंगे — शायद राजस्थान या उत्तर प्रदेश के लोक गायक। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने इन गीतों को एक नई जिंदगी दी है। अब ये गीत न सिर्फ बिहार या झारखंड में नहीं, बल्कि अमेरिका, यूके और दुबई के नेपाली और बिहारी परिवारों में भी बज रहे हैं।
एक वृद्धा महिला ने गंगा के घाट पर कहा, “हमारे बच्चे आज टिकटॉक पर नाचते हैं, लेकिन छठ के गीत सुनकर वो रुक जाते हैं। वो जानते हैं — ये धुन हमारी जड़ें हैं।”
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
छठ पूजा के गीतों का संगीत निर्देशन कौन करता है?
छठ के गीतों का संगीत निर्देशन मुख्य रूप से सुरिंदर कोहली, शरदा सिन्हा और कशि कश्यप जैसे कलाकारों ने किया है। शरदा सिन्हा ने अपने गीतों में बिहारी लोक संगीत के तत्वों को शामिल किया, जबकि सुरिंदर कोहली ने बॉलीवुड शैली को भक्ति गीतों में जोड़ा।
‘केलवा के पात पर’ क्यों आज भी इतना लोकप्रिय है?
इस गीत की लय और शब्द छठ के अनुष्ठानों के साथ बिल्कुल मेल खाते हैं — जैसे नदी के किनारे चलना या घर में भोग लगाना। शरदा सिन्हा की आवाज़ में भावनाओं की गहराई है, जो नए पीढ़ी को भी छू जाती है। इसे 1986 में बनाया गया था, लेकिन आज भी यह टीवी और यूट्यूब पर सबसे ज्यादा बजने वाला गीत है।
उदित नारायण का ‘चौमुख दियारी’ किस तरह नवीनता लाता है?
‘चौमुख दियारी’ छठ के गीतों में पहली बार एक बॉलीवुड लेजेंड के साथ शास्त्रीय और लोक संगीत का संगम है। इसमें शहनाई, सारंगी और गिटार के साथ एक नया ऑर्केस्ट्रेशन है, जो युवाओं को आध्यात्मिक अनुभव के साथ संगीत का आनंद लेने का मौका देता है।
क्या छठ के गीत सिर्फ हिंदी और बिहारी में ही हैं?
नहीं। इन गीतों के बहुत सारे संस्करण बंगाली, नेपाली और मैथिली में भी उपलब्ध हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र में छठ के दौरान बंगाली और मैथिली गीत भी बहुत लोकप्रिय हैं। इसका मतलब है कि ये संगीत सीमाओं से परे जाते हैं — भाषा की नहीं, भावना की ओर।
छठ पूजा के गीतों का रिकॉर्डिंग कहाँ होता है?
पारंपरिक गीतों का रिकॉर्डिंग बिहार के बिहारी गाँवों में घरों या मंदिरों के पास होता है, जहाँ लोग भक्ति के साथ गाते हैं। आधुनिक गीतों का रिकॉर्डिंग दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के स्टूडियो में होता है, लेकिन लय और शब्द अभी भी गंगा के तट की धुन को दर्शाते हैं।
क्या छठ के गीतों के लिए कोई विशेष उपकरण इस्तेमाल होते हैं?
हाँ। शहनाई, सारंगी, बांसुरी, ढोलक और मन्जीरा जैसे लोक वाद्य इन गीतों की पहचान हैं। आधुनिक संस्करणों में गिटार और वायलिन भी शामिल हैं, लेकिन मूल रूप से ये गीत बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के, घरों और घाटों पर गाए जाते हैं।
1 टिप्पणि
Vitthal Sharma
अक्तूबर 28, 2025 AT 19:42ये गीत सुनकर आँखें भर आती हैं।