जब हम ‘व्यापार’ या ‘अन्तरराष्ट्रीय ट्रेड’ की बात करते हैं तो अक्सर दिमाग में बड़े सामान, निर्यात‑आयात और बाजारों की तस्वीर आती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसी व्यापार के कुछ हिस्से से आतंकवादी फंडिंग भी चलती है? यह जुड़ाव छिपा‑छुपाकर चलता है, इसलिए इसे समझना बहुत जरूरी है।
आतंकवादियों को पैसे चाहिए होते हैं – चाहे वह हथियार खरीदने के लिए हो या नेटवर्क बनाए रखने के लिये। कई बार वे वैध कंपनियों, शिपमेंट और लेन‑देनों का उपयोग करके अपना पैसा छुपाते हैं। उदाहरण के तौर पर एक छोटा निर्यात कंपनी जो कच्चे माल भेजती है, उसे ‘फ़ॉर्मल इनवॉइस’ बनाकर बड़ी रकम को आधी-आधी बाँट दिया जाता है। इससे धन की वास्तविक दिशा सरकारी जांच से बच जाती है।
ऐसे ही कई बार नकली बिल या ओवर‑इंवॉइसिंग के ज़रिये भी फंडिंग होती है। एक और तरीका ‘हाउसिंग ट्रस्ट’ बनाकर पैसा को विदेशी खातों में रख देना, फिर उसे स्थानीय व्यापारियों को कर्ज़ की तरह दिखाना। जब तक इस लेन‑देन का पैटर्न नहीं देखा जाता, तो ये सब सामान्य ट्रेड जैसा ही लगता है।
सरकार ने कई कदम उठाए हैं – कस्टम डिटेक्शन सॉफ़्टवेयर, लेन‑देनों की रीयल‑टाइम मॉनीटरिंग और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस युनिट का विस्तार। लेकिन सबसे असरदार सुरक्षा तब होती है जब छोटे व्यापारी भी सतर्क रहें। अगर कोई ग्राहक आपको असामान्य बड़ी रकम या बार‑बार अंतरराष्ट्रीय ट्रांज़ैक्शन के लिए कहता है, तो तुरंत अपना रजिस्टर कराएं और रिपोर्ट करें।
व्यापारियों को अपने अकाउंटिंग प्रॉसेस में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। सभी इनवॉइस, पेमेंट स्लिप और शिपमेंट डिटेल्स को डिजिटल रूप में रखिए और नियमित ऑडिट करवाइए। इससे न केवल आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि संभावित फंडिंग चैनलों को भी तोड़ा जा सकेगा।अंत में यह कहना सही रहेगा कि व्यापार और आतंकवाद के बीच का रिश्ता जटिल है, लेकिन समझदारी और सख्त निगरानी से इसे घटाया जा सकता है। अगर आप एक व्यापारी या आम नागरिक हैं, तो हर छोटी‑सी‑छोटी लापरवाही को रोकें – यही कदम हमारे देश की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
एससीओ शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन, विदेश मंत्री एस जयशंकर व्यापार और आतंकवाद पर चर्चाओं में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में हैं। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना, आतंकवाद से निपटना और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है। शिखर सम्मेलन में विभिन्न सदस्य राज्यों के बयान, आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर और मीडिया को जानकारी देने की योजना शामिल है।
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