अनुच्छेद 370 क्या है? आसान समझ के साथ

अगर आप संविधान की खबरें अक्सर देखते हैं तो ‘अनुच्छेद 390’ नाम आपका कानों में गूँजता होगा। असल में यह जम्मू कश्मीर को दी गई विशेष स्थिति का कानूनी आधार था। इसे पढ़ना थोड़ा जटिल लग सकता है, पर मूल बात यही थी – जम्मू कश्मीर के पास भारत से अलग कुछ अधिकार थे, जैसे अपना संविधान और कानून बनाना।

इतिहास – कैसे आया अनुच्छेद 370?

1947 में आज़ादी के बाद देश ने कई रियासतों को शामिल किया। जम्मू कश्मीर का महाराजा भारत से जुड़ना चाहता था, पर शर्तें अलग थीं। इसलिए संविधान सभा ने एक विशेष प्रावधान डाला – अनुच्छेद 370. इसने राज्य को स्वायत्तता दी और केंद्र सरकार को केवल रक्षा, विदेश मामलों और संचार जैसे क्षेत्रों में ही हस्तक्षेप करने की अनुमति मिली.

2019 का बड़ा बदलाव

अगस्त 5, 2019 को भारत सरकार ने संसद में एक प्रस्ताव पास किया जिससे अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया। साथ‑साथ जम्मू कश्मीर के दो केन्द्रशासित क्षेत्र – जम्मू और लद्दाख बन गए. इसका मतलब था कि अब सभी केंद्रीय कानून पूरे राज्य पर लागू होंगे, जैसे GST या भूमि अधिग्रहण के नियम.

इस कदम से कई सवाल उठे: क्या इससे स्थानीय लोगों को नुकसान होगा? क्या विकास तेज़ होगा? सरकार का कहना है कि विशेष प्रावधान हटाने से निवेश आएगा और नौकरियों की बढ़ोतरी होगी. विरोध करने वाले कहते हैं कि यह सांविधिक अधिकारों को छीना गया.

अब बात करते हैं कुछ व्यावहारिक बदलावों की. भूमि खरीद‑बेच पर अब कोई प्रतिबंध नहीं, तो बाहर के लोग भी प्रॉपर्टी ले सकते हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य में नई योजनाएँ शुरू हुईं क्योंकि केंद्र सरकार सीधे फंड भेज रही है. हालांकि, सुरक्षा कारणों से इंटरनेट बंदी जैसी कठोर कदम अभी भी लागू हैं.

अगर आप इस टैग पेज पर आए हैं तो संभावना है कि आपको अनुच्छेद 370 से जुड़ी ताज़ा खबरें चाहिए होंगी – चाहे वह कोर्ट के फैसले हों या नई सरकारी नीतियों की जानकारी. यहाँ हम नियमित रूप से अपडेट करते हैं, इसलिए हर बार नया इनसाइट मिलने का मौका मिलेगा.

एक आम सवाल जो अक्सर आता है: "क्या अब जम्मू कश्मीर में वोटिंग का अधिकार बदल गया है?" जवाब है – हाँ, अब सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनावों में भाग ले सकते हैं, जैसे बाकी भारत के किसी भी हिस्से में होता है. यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाता है.

दूसरा सवाल: "क्या इस बदलाव से सुरक्षा में सुधार होगा?" सरकार का कहना है कि अब सभी क्षेत्रों में एक समान कानून लागू होने से प्रशासन आसान हो जाएगा, परंतु वास्तविक असर समय के साथ साफ़ होगा.

सारांश में, अनुच्छेद 370 की रद्दीकरण ने कानूनी ढांचा बदला, सामाजिक‑आर्थिक संभावनाएँ खोलीं और कई नई चुनौतियों को जन्म दिया. अगर आप इस विषय पर गहराई से समझना चाहते हैं तो हमारी साइट पर आने वाले लेखों को फॉलो करें – हम हर पहलू को सरल भाषा में बताते रहेंगे.

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अग॰

2025

जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लगातार देरी से संविधान के संघवाद सिद्धांतों का उल्लंघन हो रहा है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. यह मामला अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के छह साल पूरे होने पर उठा है.