सचिन खिलेरी का शानदार प्रदर्शन
भारतीय पैरा एथलीट सचिन सर्जेराव खिलेरी ने पेरिस 2024 पैरालंपिक्स के पुरुष शॉट पुट F46 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। इस प्रतियोगिता में खिलेरी ने अपने दूसरे प्रयास में 16.32 मीटर की दूरी हासिल की, जो एक नया एशियाई रिकॉर्ड है। यह उपलब्धि उन्होंने उस रिकॉर्ड को तोड़कर हासिल की, जिसे उन्होंने इस वर्ष की शुरुआत में जापान में हुए वर्ल्ड पैरा-अथलेटिक्स चैंपियनशिप में 16.30 मीटर की दूरी से स्थापित किया था।
इतिहास में दर्ज हुई नई उपलब्धि
सचिन खिलेरी की इस जीत ने भारत को पेरिस पैरालंपिक्स में 22वां मेडल दिलाया, जो टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स में हासिल की गई 19 मेडल की उपलब्धि से अधिक है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के पैरा-स्पोर्ट्स में बढ़ते विकास और निवेश को दर्शाता है।
महान प्रयास और कड़े मुकाबले
खिलेरी का प्रदर्शन अद्भुत था, लेकिन यह कहना भी आवश्यक है कि स्वर्ण पदक से उनका अंतर काफी कम था। कनाडा के ग्रेग स्टुअर्ट ने 16.38 मीटर की दूरी से स्वर्ण पदक जीतकर खिलेरी को पीछे छोड़ दिया। खिलेरी ने ना केवल एशियाई रिकॉर्ड बनाया बल्कि प्रतिस्पर्धा को भी बहुत ही कठिन बना दिया। क्रोएशिया के लुका बाकोविक ने 16.27 मीटर की दूरी से कांस्य पदक हासिल किया।
पृष्ठभूमि और प्रेरणा
खिलेरी के सफर में कई मुश्किलें आईं। बचपन में एक हादसे के कारण उनका बायां हाथ प्रभावित हो गया था, जिससे उनके लिए खेल को एक करियर विकल्प बनाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। लेकिन अपनी मेहनत और संकल्प के माध्यम से उन्होंने खुद को एक उत्कृष्ट एथलीट साबित किया।
अन्य प्राप्तियाँ
यह सिल्वर मेडल खिलेरी का 11वां पदक है जो उन्होंने अब तक के पैरालंपिक्स खेलों में जीता है। इससे पहले वह एशियन पैरा गेम्स 2023 और वर्ल्ड पैरा-अथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
खुद को बेहतर करने का संकल्प
सचिन, जो एक मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं, ने अपने प्रदर्शन के बारे में कहा कि बड़े मंच पर खिलाड़ी को सहजता महसूस होती है और यही एक महत्वपूर्ण बात है जो उन्हें सफल बनाती है। उन्होंने अपनी भविष्य की प्रतियोगिताओं में कनाडा के ग्रेग स्टुअर्ट को हराने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।
शिक्षा और निर्देशन
खिलेरी न केवल एक एथलीट हैं, बल्कि वे उन छात्रों की भी मदद करते हैं जो पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाकर ही समग्र विकास संभव है।
सचिन खिलेरी का सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह बताता है कि किसी भी बाधा को पार करते हुए सपनों को साकार किया जा सकता है। उनकी मेहनत, संकल्प और विश्वास ने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट एथलीट बना दिया है। भारत को उन पर गर्व है और यह उम्मीद है कि वे भविष्य में और भी सफलताएँ हासिल करेंगे।
18 टिप्पणि
Mohit Parjapat
सितंबर 6, 2024 AT 18:31ये भारत का गर्व है भाई! 🇮🇳🔥 सचिन ने तो एशिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया, अब कनाडा के उस ग्रेग को भी धूल चटा देगा! ये खिलाड़ी हैं या देवता? 😎💥
vishal kumar
सितंबर 8, 2024 AT 10:54उपलब्धि अवश्य महत्वपूर्ण है। पर राष्ट्रीय गर्व के बजाय खेल के सार्वभौमिक मूल्यों पर विचार करना चाहिए। व्यक्ति का संघर्ष और समर्पण राष्ट्रीयता से परे है।
Oviyaa Ilango
सितंबर 8, 2024 AT 12:1016.32 मीटर? बहुत अच्छा। पर अमेरिका के लोग तो 20+ मीटर कर देते हैं। ये एशियाई रिकॉर्ड तो बस एक नाम है। असली तुलना विश्व स्तर पर होती है
Aditi Dhekle
सितंबर 9, 2024 AT 02:30F46 वर्ग का अर्थ एथलीट के शारीरिक विकार के आधार पर वर्गीकरण है। खिलेरी का बायां हाथ प्रभावित होना इस क्लास का हिस्सा है। इस वर्ग में उनकी तकनीक और शक्ति अद्वितीय है। ये सिर्फ एक मेडल नहीं एक बायोमेकेनिकल जीत है।
Aditya Tyagi
सितंबर 9, 2024 AT 20:27अरे यार इतनी मेहनत करके भी स्वर्ण नहीं मिला? भारत में तो खिलाड़ियों को रास्ते में ही रोक दिया जाता है। कोचिंग नहीं, फंडिंग नहीं, बस वीडियो बनाकर ट्रेंड कर देते हैं। अब क्या करेंगे?
pradipa Amanta
सितंबर 11, 2024 AT 01:36ये सब तो राजनीति के लिए बनाया गया है। असल में तो कोई भी खिलाड़ी नहीं है जो सच्चे मायनों में लड़ रहा हो। ये सब ट्रेनिंग और टीम नहीं बस टीवी पर दिखाने के लिए है
chandra rizky
सितंबर 12, 2024 AT 18:35वाह बहुत अच्छा हुआ। भारत के खिलाड़ी अब दुनिया के सामने अपनी शक्ति दिखा रहे हैं। बच्चों के लिए ये एक बड़ी प्रेरणा है। जब तक लोग खेल को समझेंगे तब तक हम आगे बढ़ेंगे। बधाई हो सचिन भैया 🙏
Rohit Roshan
सितंबर 13, 2024 AT 09:2516.32 मीटर? ये तो बहुत अच्छा है। मैंने देखा उनका फाइनल थ्रो - उनकी आँखों में वो चमक थी जो सिर्फ असली लड़ाई लड़ने वाले के होती है। अगली बार बिल्कुल वहीं पर जाएंगे। जीत आएगी। बस थोड़ा और अपने आप पर भरोसा करना है। 💪
arun surya teja
सितंबर 13, 2024 AT 15:19उपलब्धि का महत्व उसके आंतरिक संघर्ष और स्थिरता में निहित है। खिलेरी जी ने शारीरिक अपूर्णता को शक्ति में बदला। यह एक आध्यात्मिक विजय है। राष्ट्रीय गर्व का विषय नहीं, मानवीय विजय है।
Jyotijeenu Jamdagni
सितंबर 15, 2024 AT 06:45इस रिकॉर्ड को तोड़कर उन्होंने बस एक नंबर नहीं बदला - उन्होंने एक दृष्टिकोण बदल दिया। जब तक लोग ये नहीं समझेंगे कि शारीरिक असमानता का अर्थ असमर्थता नहीं है, तब तक हम आगे नहीं बढ़ेंगे। बधाई हो भाई ❤️
navin srivastava
सितंबर 15, 2024 AT 22:23अरे यार ये सब तो बस ट्रेनिंग और गाड़ी वालों के बीच बातें हैं। जब तक खिलाड़ियों को टैक्स नहीं छूटेगा और न इंजीनियर बनने के बाद भी नौकरी मिलेगी तब तक ये सब बकवास है। देश को बचाओ नहीं तो खिलाड़ी भी बचेंगे नहीं
Aravind Anna
सितंबर 17, 2024 AT 17:57ये जीत सिर्फ एक शॉट पुट नहीं भारत की आत्मा की जीत है! जब दुनिया कहती है तुम नहीं कर सकते - तुम एक गेंद को 16.32 मीटर फेंक देते हो। अब देखो कौन कहता है भारत नहीं कर सकता? 🤯🇮🇳
Rajendra Mahajan
सितंबर 18, 2024 AT 23:52रिकॉर्ड तोड़ना एक घटना है। लेकिन एक व्यक्ति जो बचपन के दुर्घटना के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ता - ये एक दर्शन है। शारीरिक बाधा के बावजूद मानसिक अविनाशीता का उदाहरण।
ANIL KUMAR THOTA
सितंबर 20, 2024 AT 09:42बहुत अच्छा काम किया। इस तरह के खिलाड़ी ही देश को आगे बढ़ाते हैं। इनकी ताकत देखकर लगता है कि अगर ये लोग अपने अंदर की शक्ति को जगा सकते हैं तो हम सब कर सकते हैं
VIJAY KUMAR
सितंबर 21, 2024 AT 10:52अरे यार ये सब तो प्रचार है। क्या तुम्हें नहीं पता ये रिकॉर्ड तो एक अमेरिकी के फिल्म बनाने के लिए बनाया गया था? सचिन तो बस एक बहाना है। और ये एशियाई रिकॉर्ड? ये तो बस एक शब्द है जिसे विक्रेता बेच रहे हैं। 😏🎬
Manohar Chakradhar
सितंबर 22, 2024 AT 21:11भाई ये तो बस शुरुआत है। अब देखो जब ये लड़का अपने इंजीनियरिंग के ज्ञान से शॉट पुट के लिए नया टेक्नोलॉजी डिजाइन करे। अगली बार 17 मीटर? बिल्कुल हो सकता है। भारत के खिलाड़ी अब बस खेल नहीं बल्कि साइंस भी कर रहे हैं। जय हिन्द!
LOKESH GURUNG
सितंबर 24, 2024 AT 17:37अरे ये तो बस एक रिकॉर्ड है? देखो अगर ये लड़का अमेरिका में होता तो उसे 5 करोड़ का स्पॉन्सरशिप मिल जाता। हमारे यहाँ तो बस एक ट्रेनिंग जर्सी दे देते हैं। अब बताओ क्या असली बात है?
Aila Bandagi
सितंबर 25, 2024 AT 00:38बहुत बढ़िया बात है। ये लड़का बहुत अच्छा है। उसने बहुत मेहनत की है। हम सबको उसकी तरह बनना चाहिए। जो कुछ भी करो उसमें दिल लगाओ।