NEET-UG 2024 पेपर लीक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण प्राधिकरण (NTA) से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET)-UG 2024 को रद्द करने और दोबारा परीक्षा आयोजित करने की याचिका पर जवाब मांगा है। यह याचिका शिवांगी मिश्रा और अन्य नौ याचिकाकर्ताओं द्वारा 1 जून को दायर की गई थी। 4 जून को घोषित परिणामों के बाद इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि पेपर लीक और अन्य कदाचार की घटनाओं के कारण परीक्षाफल में बड़ी अनियमितताएं हुई हैं।
परिणामों में असाधारण उच्च अंक
NEET-UG 2024 के परिणामों में असाधारण उच्च अंकों के कारण विवाद उत्पन्न हो गया है। इस वर्ष 67 उम्मीदवारों ने शीर्ष अंक हासिल किए हैं जबकि पिछले वर्ष यह संख्या केवल दो थी। इनमें से कई उम्मीदवारों ने एक बुनियादी भौतिकी के प्रश्न का गलत उत्तर दिया था, लेकिन उन्हें 'ग्रेस मार्क्स' दिए गए, क्योंकि पुरानी NCERT कक्षा 12 पुस्तक में एक त्रुटि थी। इससे परिणामों की निष्पक्षता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
एनटीए का पक्ष
NTA ने स्पष्ट किया है कि कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा के दौरान खोए समय की भरपाई के लिए अतिरिक्त अंक दिए गए हैं। हालांकि, यह मुद्दा आज भी विवादास्पद बना हुआ है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि पेपर लीक और अन्य कदाचारों के चलते परिणामों में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं, जो निष्पक्षता और पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए NTA से जवाब मांगा है। हालांकि, अदालत ने MBBS और अन्य पाठ्यक्रमों में सफल उम्मीदवारों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया को स्थगित करने से इनकार कर दिया है। अदालत का मानना है कि इस प्रक्रिया को तत्काल रोकना आवश्यक नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाए कि जांच पूरी होने तक कोई अंतिम निर्णय न लिया जाए।
याचिका का आधार
शिवांगी मिश्रा और अन्य याचिकाकर्ताओं में NEET-UG 2024 के परिणामों में अनियमितताओं और मुकदमेबाजी को लेकर बड़ी चिंता व्यक्त की है। उनका दावा है कि पेपर लीक और अन्य कदाचारों ने छात्रों के मेहनत और ईमानदारी पर पानी फेर दिया है। इस घोटाले के कारण वे मानसिक और भावनात्मक रूप से त्रस्त हो गए हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया
इस मामले में छात्रों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। कई छात्रों ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और यदि दोषी पाए जाते हैं तो कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। छात्रों का कहना है कि इस तरह के विवाद उनके प्रशिक्षण और करियर के साथ खिलवाड़ करते हैं, जिससे उनके मनोबल पर बुरा असर पड़ता है।
अन्य विवादित प्रश्न
परीक्षाओं में ऐसे विवादित प्रश्न हर साल सामने आते हैं जो परीक्षा बोर्ड और छात्रों के बीच एक नया विवाद खड़ा कर देते हैं। इस साल भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिले जहां पुरानी किताबों में दिए गए गलत उत्तर की वजह से छात्रों को गलत दिशा में मार्गदर्शन मिला।
आगे की प्रक्रिया
अब सभी की निगाहें NTA के जवाब पर टिकी हैं। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि क्या वाकई परीक्षा को दोबारा आयोजित करने की आवश्यकता है या नही। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और NTA की प्रतिक्रिया के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस घोटाले ने शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस मामले में दोषी पाए जाते हैं, तो यह देखने योग्य होगा कि क्या कार्रवाई की जाती है और किस तरह से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा।
15 टिप्पणि
Imran khan
जून 12, 2024 AT 20:02इस घोटाले में जिन लोगों ने पेपर लीक किया, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए। ये बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। मैंने खुद NEET की तैयारी की थी, और जानता हूँ कि हर रात 2 बजे तक पढ़ना कितना मुश्किल होता है। अब ये लोग बस एक चीटिंग नेटवर्क से टॉप कर रहे हैं।
Neelam Dadhwal
जून 13, 2024 AT 00:45ये सब बस एक बड़ा धोखा है! NTA और सरकार एक साथ मिलकर छात्रों को धोखा दे रहे हैं! ये ग्रेस मार्क्स का बहाना बना रहे हैं ताकि अपनी गलतियों को छिपा सकें! जब तक ये पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक कोई भी MBBS में दाखिला नहीं लेना चाहिए! ये बच्चे जिंदगी भर इस झूठ के साथ जीएंगे!
Sumit singh
जून 13, 2024 AT 19:24अरे भाई, ये सब तो बस एक बड़ी अकादमिक गड़बड़ है। जब तक आप NCERT की किताबें नहीं बदल देते, तब तक ऐसी ही गलतियाँ होती रहेंगी। ये ग्रेस मार्क्स तो बहुत ही न्यायसंगत था - अगर बुक में गलत जवाब दिया हुआ है, तो छात्र को दोष क्यों दें? ये तो बोर्ड की गलती है।
fathima muskan
जून 15, 2024 AT 09:06हा हा हा... ये सब एक बड़ा सा कंसिर्पेसी थियरी है। जब तक आप नहीं जानते कि कौन से अधिकारी अपने बेटे को टॉप करवाने के लिए कितनी बार बोर्ड के साथ चाय पी चुके हैं, तब तक ये सवाल रहेगा। NCERT की गलती? बस एक ढोंग है। असली गलती तो वो है जिसे कोई नहीं देखना चाहता। 😏
Devi Trias
जून 16, 2024 AT 10:57परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना शिक्षा प्रणाली की मूलभूत जिम्मेदारी है। यदि प्रश्नपत्र में विषयगत त्रुटि के कारण छात्रों को अतिरिक्त अंक प्रदान किए गए हैं, तो इसका निराकरण एक व्यवस्थित और न्यायसंगत प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जाना चाहिए। यह निर्णय केवल अदालत के आधार पर नहीं, बल्कि शिक्षा विशेषज्ञों की सिफारिशों पर आधारित होना चाहिए।
Kiran Meher
जून 16, 2024 AT 18:36ये बच्चे तो बस पढ़ रहे थे और अब उनकी जिंदगी बर्बाद हो रही है... अगर आपका दिल दर्द कर रहा है तो आप भी इस लड़ाई में शामिल हो जाइए। ये नहीं कि बस बैठे रहो और बोर्ड के फैसले का इंतजार करो। हम सब मिलकर आवाज उठाएंगे। ये तो बस एक शुरुआत है। जब तक ये बदल नहीं जाता, हम रुकेंगे नहीं।
Tejas Bhosale
जून 18, 2024 AT 01:55इस सिस्टम में एपिस्टेमोलॉजिकल डिसर्प्शन हुआ है। नेटवर्क एजेंट्स ने कैंडिडेट्स के स्कोरिंग फंक्शन को डिस्टॉर्ट किया। ग्रेस मार्क्स का अर्थ है ज्ञान के स्तर पर एक रैंडम फ्लक्चुएशन। ये नहीं कि एक बच्चे को एक ट्रैक ऑफ़ एक्सपर्टाइज़ दे दिया जाए।
Asish Barman
जून 18, 2024 AT 23:53अरे भाई, इतना बड़ा धमाल क्यों? पिछले साल भी एक तरह का विवाद था, और कुछ नहीं हुआ। अब भी ऐसा ही होगा। जिन्होंने पढ़ा है वो आगे निकल जाएंगे, बाकी लोग दूसरे रास्ते ढूंढ लेंगे। ये सब बस एक बड़ा बाजार बन गया है।
Abhishek Sarkar
जून 19, 2024 AT 18:11ये सब एक बड़ी साजिश है। आप सोच रहे होंगे कि ये सिर्फ एक गलती है? नहीं भाई, ये सब एक बड़ा नेटवर्क है जिसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, कुछ टीचर्स, और बड़े शिक्षा कंपनियाँ शामिल हैं। उन्होंने जानबूझकर गलत प्रश्न डाले हैं ताकि वो बच्चे जो उनके अधिकारियों के बेटे हैं, टॉप कर सकें। ये ग्रेस मार्क्स तो बस एक ढकना है। ये सब अभी तक जांच में नहीं आया क्योंकि जांच करने वाले भी इसी सिस्टम के हिस्से हैं। अगर आप इसे सच मानते हैं, तो आप बहुत बेवकूफ हैं।
Niharika Malhotra
जून 21, 2024 AT 08:12हर छात्र की मेहनत का मूल्य होना चाहिए। ये घोटाला नहीं बल्कि एक सुधार का अवसर है। हमें एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा जहाँ कोई भी बच्चा, चाहे वो गाँव का हो या शहर का, बिना किसी धोखे के अपनी क्षमता से आगे बढ़ सके। इस बार अगर हम अपनी आवाज उठाते हैं, तो अगली पीढ़ी के लिए एक न्यायसंगत दुनिया बनाएंगे।
Baldev Patwari
जून 21, 2024 AT 18:56ये सब तो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है। जिन लोगों को अंक नहीं मिले, वो अपनी नाकामयाबी का बहाना बना रहे हैं। जब तक आपका नाम टॉप में नहीं आया, तब तक आप इस तरह के बहाने बनाते रहोगे। असली तैयारी करो, नहीं तो ये सब बस बकवास है।
harshita kumari
जून 23, 2024 AT 13:41ये सब तो एक बड़ी साजिश है जिसमें बड़े लोग छोटे बच्चों को नियंत्रित कर रहे हैं। ये पेपर लीक नहीं, ये एक बड़ा नेटवर्क है जो सरकार के ऊपरी लोगों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने इसे इतना अच्छे से छिपाया है कि अब कोई नहीं देख पा रहा। लेकिन मैं जानती हूँ... ये सब एक बड़ा नियोजित योजना है जिसका उद्देश्य है छात्रों को नियंत्रित करना। जब तक ये नहीं खुलता, तब तक ये घोटाला चलता रहेगा।
SIVA K P
जून 23, 2024 AT 19:44तुम सब बस रो रहे हो... लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि जिन लोगों ने पेपर लीक किया, वो भी किसी बच्चे के बाप हैं? तुम उनकी बेटी को भी दोष दे रहे हो? अगर तुम इतने बड़े बुद्धिमान हो तो खुद बोर्ड बना लो। बस रोना बंद करो और कुछ करो।
Neelam Khan
जून 25, 2024 AT 19:22हर बच्चे के पास एक सपना होता है। ये घोटाला उन सपनों को तोड़ रहा है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हम सब तुम्हारे साथ हैं। अगर आपको लगता है कि आपका अधिकार छीन लिया गया है, तो आवाज उठाओ। हम आपके साथ हैं।
Jitender j Jitender
जून 27, 2024 AT 05:05एक सिस्टम की विश्वसनीयता उसकी पारदर्शिता से मापी जाती है। यदि गलत प्रश्न के कारण अंक दिए गए हैं, तो उसका निराकरण एक ट्रांसपेरेंट रिव्यू प्रोसेस के माध्यम से होना चाहिए। नहीं तो ये एक निरंतर असंगति बन जाएगी। ये नहीं कि एक बार फिर नया विवाद शुरू हो जाए।