जब आपके पास टैक्स नोटिस आता है तो घबराना नहीं चाहिए। सबसे पहले नोटिस को ध्यान से पढ़ें और देखें कि किस साल का, कौन सा सेक्शन और किस कारण से दिया गया है। अक्सर लोग कारण न समझ कर देर तक इंतजार करते हैं, जिससे जुर्माने बढ़ जाते हैं।
आयकर विभाग दो‑तीन सबसे आम नोटिस देता है – 1) रिटर्न फाइल नहीं किया, 2) आय की कमी बताई या 3) टैक्स एडवांस का भुगतान न हुआ। पहला नोटिस ‘रिटर्न दाखिल करने के लिये’ होता है, दूसरा ‘आय कम दिखाने पर’ और तीसरा ‘टैक्स बचत से जुड़ी राशि के लिए’। इन तीनों को अलग‑अलग तरीके से हल किया जाता है।
पहला काम – नोटिस मिलने की तारीख से 15 दिनों में लिखित जवाब भेजें। जवाब में आप दो चीज़ें रखें: (a) अपना कर विवरण, (b) अगर गलती हुई है तो सुधार का तरीका। यदि आपको लगता है कि नोटिस गलत है, तो सही दस्तावेज़ लगाकर ‘विरोध’ लिखें। कई बार विभाग ऑनलाइन पोर्टल पर भी जवाब दे सकता है, इसलिए वेबसाइट खोलकर ‘ई‑फ़ाइलिंग’ सेक्शन देखें।
दूसरा कदम – अगर देर से फाइल किया है तो तुरंत रिटर्न दाखिल करें और दण्ड के लिए ‘विलंबित भुगतान का ब्याज’ जोड़ें। यह रकम कम करने का सबसे आसान तरीका है; आप टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी माँग सकते हैं जिससे भविष्य में नोटिस नहीं आएगा।
तीसरा कदम – अगर आपको टैक्स एडवांस देना है, तो जल्द से जल्द भुगतान करें और रसीद रखें। विभाग अक्सर ‘अधूरी राशि’ वाले नोटिस पर 30 % जुर्माना लगा देता है, लेकिन एक बार भुगतान करने के बाद आगे की समस्याएँ कम हो जाती हैं।
नोटिस में दिया गया ‘संदेहित आय’ अगर आपके पास सही सबूत नहीं है तो ‘आय प्रमाण पत्र’, ‘बैंक स्टेटमेंट’ या ‘वेतन स्लिप’ जोड़ें। ये दस्तावेज़ अक्सर विवाद को सुलझा देते हैं और आपको कोर्ट तक जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
एक बात याद रखें – कभी भी टैक्स नोटिस पर अनदेखी न करें। विभाग के साथ खुला संवाद रखिए, समय पर जवाब दें और सही दस्तावेज़ संलग्न करें। इससे जुर्माना कम रहेगा और भविष्य में टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया आसान होगी।
आखिरकार, टैक्स नोटिस आपके वित्तीय रिकॉर्ड को साफ रखने का एक मौका भी है। यदि आप इसे सही तरीके से संभालते हैं तो न सिर्फ दण्ड बचते हैं, बल्कि आपका टैक्स हिस्ट्री भी बेहतर बनता है। यही कारण है कि हर टैक्सपेयर को इस गाइड को पढ़कर अपनी स्थिति समझनी चाहिए और तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
भारत सरकार ने इन्फोसिस पर 4 बिलियन डॉलर की टैक्स मांग के बाद अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों को टैक्स नोटिस भेजने की योजना बनाई है। जीएसटी नियमों के तहत क्लाइंट की कम्प्लायंस की जांच की जा रही है। इन्फोसिस पर जीएसटी और आईजीएसटी के अवैतनिक होने को लेकर आरोप लगे हैं। जांच में अन्य आईटी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं।
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