राहुल द्रविड़: भारतीय क्रिकेट की अनकही कहानी

अगर आप क्रिकेट देखते हैं तो राहुल द्रविड़ को ‘द वॉल’ कहना आम बात है। लेकिन इस टाइटल के पीछे सिर्फ़ डिफेंस नहीं, बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी का सफर छुपा है जिसने हर कठिन स्थिति में टीम की बैटिंग को भरोसा दिलाया।

1996 में अंतरराष्ट्रीय मंच पर कदम रखे द्रविड़ ने तुरंत दिखा दिया कि वह निरंतरता का राजा है। पहला टेस्ट 1996‑07 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आया, जहाँ उन्होंने 95 रन बनाए—इसे देखकर ही क्रिकेट प्रेमी समझ गए थे कि यह नया ‘दीवार’ मजबूत होगा।

करियर की मुख्य बातें

द्रविड़ ने कुल 164 टेस्ट में 13,288 रन बनाकर भारत के इतिहास में पाँचवें स्थान पर पहुँचाया। उनका औसत 52.31, जो किसी भी युग में शानदार माना जाता है, यह बताता है कि उन्होंने कब और कैसे खेल को बचाने का काम किया। 2003‑04 में वे बैटिंग क्रम में बदलाव कर ‘ऑपनर’ बन गए, जिससे भारत की पहली पारी के स्कोर में स्थिरता आई।

कप्तान के रूप में द्रविड़ ने 2004‑05 में टीम को एक नई दिशा दी। उनका सबसे यादगार निर्णय था 2007 का टेस्ट श्रृंखला, जहाँ उन्होंने लीडरशिप बदलते हुए टीम को शांत रखा और कई कठिन स्थितियों से बाहर निकाला। इस दौरान उन्होंने ‘क्लिच फायर’ की अवधारणा पेश की – जब खेल टाइट हो तो छोटे‑छोटे लक्ष्य बनाकर जीत हासिल करना।

युवा क्रिकेटरों को क्या सीख मिले

द्रविड़ का सबसे बड़ा उपदेश है ‘धैर्य और कड़ी मेहनत’। उन्होंने कभी भी शॉर्टकट नहीं चुना; हर रन, हर सत्र के पीछे लंबा अभ्यास था। युवा खिलाड़ी अगर उनके ट्रेनिंग सत्र देखें तो पाते हैं कि वे नेट में 2‑3 घंटे तक फील्डिंग ड्रिल्स करते हैं, फिर बॉल की टाइप बदलकर बैटिंग पर ध्यान देते हैं।

उनकी फिटनेस रूटीन भी साधारण लेकिन असरदार है – रोज़ सुबह 5 किमी दौड़ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग। उन्होंने कहा था कि ‘बॉडी फॉर्मेट जितना महँगा नहीं, पर निरंतरता चाहिए।’ इससे कई युवा समझते हैं कि बड़े मैचों में फिट रहना कितना जरूरी है।

कोचिंग के दौर में द्रविड़ ने भारत की अंडर‑19 टीम को 2018 में विश्व कप जीतने में मदद की। उनका तरीका था व्यक्तिगत फ़ीडबैक देना, बजाय एक ही रणनीति सभी पर थोपे। यही कारण है कि आज कई युवा खिलाड़ी उनके शब्दों को ‘पर्सनल गाइडलाइन’ मानते हैं।

यदि आप अपने खेल में सुधार चाहते हैं तो द्रविड़ की दो बातें याद रखें: पहला, हर ड्रॉप शॉट के बाद भी बैटिंग स्ट्रोक का अभ्यास जारी रखें; दूसरा, मैच के दबाव को ‘फ़ीवर’ बनाकर उपयोग करें, न कि डर। इस तरह आपका मनोवैज्ञानिक संतुलन बेहतर रहेगा और आप कठिन परिस्थितियों में भी स्थिर रह पाएँगे।

राहुल द्रविड़ का योगदान केवल रन बनाने तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारत को ‘टेस्ट टीम’ से ‘सुपर टेस्ट टीम’ बनाते समय नेतृत्व, धैर्य और निरंतरता की शिक्षा दी। आज भी उनका नाम सुनते ही कई युवा क्रिकेटर कहेंगे – ‘मैं भी द वॉल जैसा बनना चाहता हूँ’। यही उनकी असली विरासत है।

30

जून

2024

भारतीय क्रिकेट टीम के नए हेड कोच की दौड़ में गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़ की हो सकती है जगह

भारतीय क्रिकेट टीम के नए हेड कोच की दौड़ में गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़ की हो सकती है जगह

टी20 वर्ल्ड कप में भारत की जीत के बाद, कोच राहुल द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने गौतम गंभीर को नए हेड कोच के रूप में विचार कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास सभी प्रारूपों का अनुभव है। गंभीर ने इस भूमिका के लिए अपनी रुचि जाहिर की है।