आप अक्सर समाचार देख कर सोचते हैं कि कनाडा का प्रधानमंत्री कौन है, वह क्या करता है और उसकी नीतियों का हमारे ऊपर क्या असर पड़ता है? यहाँ हम आपको आसान शब्दों में बता रहे हैं कि वर्तमान में जेफ्रेरो ट्रूडो किस तरह से देश को चलाते हैं, उनका कामकाज कैसा दिखता है और किन‑किन मुद्दों पर चर्चा होती है।
ट्रूडो ने 2015 में सत्ता संभाली और तब से पर्यावरण, स्वास्थ्य और समानता को मुख्य एजेंडा बनाया है। उनके तहत हर साल कार्बन टैक्स बढ़ा, जिससे ग्रीनहाउस गैस कम करने की कोशिश हुई। अगर आप सोचते हैं कि यह सिर्फ़ कागज़ी बात है, तो देखिए 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी मिलनी शुरू हुई और कई प्रांतों ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं को फंड दिया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने का वादा किया। कोविड‑19 के बाद अस्पतालों की बिस्तर क्षमता बढ़ाने, दवाइयों की कीमत घटाने और टीकाकरण कार्यक्रम को आसान बनाने पर ज़ोर रहा। आप अगर कनाडा में रहते हैं तो ये बदलाव सीधे आपके डॉक्टर मिलने या दवा खरीदने में दिखते हैं।
समानता के मामले में ट्रूडो ने जनजातियों, महिलाओं और LGBTQ+ समुदायों के अधिकारों को संवैधानिक रूप से सुरक्षित करने की कोशिशें तेज़ कीं। 2022 में एक नई विधि पास हुई जिससे सार्वजनिक संस्थानों में लैंगिक समानता का अनुपालन अनिवार्य हो गया। इस तरह की पहल उन लोगों को सीधे मदद करती है जो अक्सर किनारे पर रह जाते हैं।
कनाडा छोटे देश नहीं, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सक्रिय सदस्य है। ट्रूडो ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर पेरिस समझौते का समर्थन किया और यू.एन. में विकासशील देशों की मदद के लिए फंड बढ़ाया। अगर आप भारत‑कनाडा व्यापार देख रहे हैं तो यह जानकारी उपयोगी होगी: 2024 में दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार 10 अरब डॉलर से अधिक हो गया, मुख्य रूप से ऊर्जा, कृषि और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में।
भू-राजनीतिक तनावों में भी ट्रूडो ने मध्यम मार्ग अपनाया। चीन‑भारत सीमा विवाद या यू.एस. के साथ ट्रेड टेंशन के दौरान उन्होंने संवाद की राह चुनी। इसका मतलब है कि वह दोनों पक्षों से बात करके समाधान ढूँढ़ते हैं, न कि अकेले ही समर्थन लेते हैं।
आपका सवाल हो सकता है—क्या ये सब आपके जीवन को प्रभावित करता है? जवाब हाँ, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समझौते अक्सर हमारे रोज़मर्रा के सामान की कीमतें, यात्रा नियम और पर्यावरणीय मानकों को तय करते हैं। ट्रूडो की विदेश नीति इस बात को नियंत्रित करती है कि भारत‑कनाडा के बीच कौन-सी नई तकनीकी साझेदारी बनेगी या छात्रवृत्ति कार्यक्रम कैसे विस्तारित होगा।
संक्षेप में, कनाडाई प्रधानमंत्री का काम सिर्फ़ संसद में बैठना नहीं है; वह राष्ट्रीय विकास से लेकर विश्व मंच तक कई स्तरों पर निर्णय लेता है। अगर आप इन बदलावों को समझते हैं तो आप अपने अधिकारों और अवसरों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। आगे भी यहाँ हम ट्रूडो की नई पहल, बजट के आँकड़े और विदेश में उनके कदमों का विश्लेषण लाते रहेंगे, ताकि आप हमेशा अपडेट रहें।
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो संसद और सोशल मीडिया पर तब हंसी का पात्र बने जब उन्होंने 'ब्रोकनिस्ट' शब्द का उपयोग किया, जो वास्तव में शब्दकोश में नहीं है। यह वाकया उस समय हुआ, जब ट्रूडो ने अपनी सरकार की आव्रजन नीतियों को बचाने का प्रयास किया। इस घटना से सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई और उनके इस्तीफे की मांगें उठ रही हैं। 24 लिबरल सांसदों ने ट्रूडो को चौथी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर किया है।
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