अस्पताल अग्निकांड: भारत में हालिया अस्पताल आग घटनाओं का सारांश

हमें अक्सर खबरों में अस्पताल में हुई आग सुनने को मिलती हैं, लेकिन आम जनता के लिये ये जानकारी कैसे काम आती है? इस पेज पर हम सबसे ताज़ा अस्पताल आग मामलों, उनके कारण और बचाव की विधियों को आसान शब्दों में समझेंगे। आप देख पाएँगे कि किस तरह से छोटे‑छोटे कदम बड़ी दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं।

हालिया अस्पताल आग घटनाएँ

पिछले दो साल में देश भर के कई बड़े अस्पतालों में आग लगी। कुछ प्रमुख उदाहरण:

  • मुंबई सिटी मेडिकल (2023): इलेक्ट्रिकल शॉर्ट कारण एसी यूनिट से जलन हुई, 15 मरीज को हिलाने का काम रुक गया। जल्दी ही फायर ब्रिगेड ने आग बुझा दी, लेकिन कुछ ICU बिस्तर नुकसान में रहे।
  • बेंगलुरु नर्सिंग होम (2024): गैस सिलेंडर विस्फोट से लाइटिंग सिस्टम जल गया, 30 लोगों को एम्बुलेंस के जरिए निकाला गया। यहाँ बचाव में स्थानीय डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार तुरंत शुरू किया।
  • जयपुर जनरल हॉस्पिटल (2025): किचन में तेल की आग फैल कर बाथरूम तक पहुंची, दो कर्मी घायल हुए। अस्पताल ने तुरंत अलार्म चलाया और सभी मरीजों को सुरक्षित स्थान पर ले गया।

इन घटनाओं से साफ़ पता चलता है कि इलेक्ट्रिकल फॉल्ट, गैस सिलेंडर और किचन की लापरवाही सबसे आम कारण हैं। अक्सर छोटे रख‑रखाव की भूल बड़े नुकसान में बदल जाती है।

सुरक्षा के मुख्य कदम

अगर आप अस्पताल प्रबंधन या स्टाफ हैं, तो इन आसान उपायों से आग का जोखिम कम किया जा सकता है:

  1. नियमित विद्युत जांच: हर तीन महीने में एसी, जनरेटर और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की जाँच करवाएँ। छोटा शॉर्ट सर्किट भी बड़ी आग बना सकता है।
  2. गैस सिलेंडर का सही स्टोरिंग: सिलेंडर को हवादार जगह पर रखें, वॉल्टेज़ या ओपन फ्लेम से दूर रखें। हर महीने लीक टेस्ट करना न भूलें।
  3. किचन में फायर एक्सटिंग सिस्टम: तेल की आग के लिए किमिकल फ़ायर एग्ज़ॉस्टर और बर्नर को नियमित रूप से साफ़ करें। आपातकालीन स्थितियों में उपयोग के लिये रिटार्डेंट ब्लैंकेट हमेशा उपलब्ध रखें।
  4. फ़ायर अलार्म व हाइड्रांट सिस्टम: सभी प्रमुख क्षेत्रों में स्वचालित डिटेक्टर और स्प्रिंकलर लगवाएँ। अलार्म बजी तो तुरंत एस्केलेशन प्रोटोकॉल फॉलो करें।
  5. स्टाफ ट्रेनिंग: हर साल कम से कम दो बार फ़ायर ड्रिल करवाएँ। कर्मचारियों को आग बुझाने के बेसिक टूल (फ़ायर एक्सटिंगर, रिटार्डेंट ब्लैंकेट) का उपयोग सिखाएँ।

इन कदमों को अपनाकर अस्पताल न केवल अपने मरीजों की सुरक्षा कर सकते हैं, बल्कि कानूनन दंड से भी बचते हैं। कई राज्यों में अब अस्पताल में फायर सेफ़्टी ऑडिट अनिवार्य है; इसको समय पर पूरा करना भविष्य में बड़ी परेशानी नहीं देगा।

अंत में याद रखें – छोटी चूकों को नज़रअंदाज़ ना करें। एक साधारण लाइट की खराबी या गैस सिलेंडर का छोटा लीकेज भी गंभीर आपदा बन सकता है। अगर आप मरीज हैं, तो अस्पताल के फ़ायर एग्ज़िट साइन पर ध्यान दें और इमरजेंसी में स्टाफ को तुरंत बताएं। इस तरह हम सब मिलकर अस्पताल अग्निकांड को कम कर सकते हैं।

17

नव॰

2024

झांसी अस्पताल अग्निकांड से जीवंत हुई विवेक विहार त्रासदी की यादें

झांसी अस्पताल अग्निकांड से जीवंत हुई विवेक विहार त्रासदी की यादें

झांसी के सरकारी अस्पताल में हालिया अग्निकांड, जिसमें 10 नवजात की मौत हो गई थी, ने विवेक विहार घटना की दुःखद यादें ताज़ा कर दी हैं, जहां मई 25 को सात नवजात जलकर मरे थे। इन घटनाओं ने अस्पताल सुरक्षा में कमी और प्रशासनिक लापरवाही की चिंताएं बढ़ा दी हैं।