हमें अक्सर खबरों में अस्पताल में हुई आग सुनने को मिलती हैं, लेकिन आम जनता के लिये ये जानकारी कैसे काम आती है? इस पेज पर हम सबसे ताज़ा अस्पताल आग मामलों, उनके कारण और बचाव की विधियों को आसान शब्दों में समझेंगे। आप देख पाएँगे कि किस तरह से छोटे‑छोटे कदम बड़ी दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं।
पिछले दो साल में देश भर के कई बड़े अस्पतालों में आग लगी। कुछ प्रमुख उदाहरण:
इन घटनाओं से साफ़ पता चलता है कि इलेक्ट्रिकल फॉल्ट, गैस सिलेंडर और किचन की लापरवाही सबसे आम कारण हैं। अक्सर छोटे रख‑रखाव की भूल बड़े नुकसान में बदल जाती है।
अगर आप अस्पताल प्रबंधन या स्टाफ हैं, तो इन आसान उपायों से आग का जोखिम कम किया जा सकता है:
इन कदमों को अपनाकर अस्पताल न केवल अपने मरीजों की सुरक्षा कर सकते हैं, बल्कि कानूनन दंड से भी बचते हैं। कई राज्यों में अब अस्पताल में फायर सेफ़्टी ऑडिट अनिवार्य है; इसको समय पर पूरा करना भविष्य में बड़ी परेशानी नहीं देगा।
अंत में याद रखें – छोटी चूकों को नज़रअंदाज़ ना करें। एक साधारण लाइट की खराबी या गैस सिलेंडर का छोटा लीकेज भी गंभीर आपदा बन सकता है। अगर आप मरीज हैं, तो अस्पताल के फ़ायर एग्ज़िट साइन पर ध्यान दें और इमरजेंसी में स्टाफ को तुरंत बताएं। इस तरह हम सब मिलकर अस्पताल अग्निकांड को कम कर सकते हैं।
झांसी के सरकारी अस्पताल में हालिया अग्निकांड, जिसमें 10 नवजात की मौत हो गई थी, ने विवेक विहार घटना की दुःखद यादें ताज़ा कर दी हैं, जहां मई 25 को सात नवजात जलकर मरे थे। इन घटनाओं ने अस्पताल सुरक्षा में कमी और प्रशासनिक लापरवाही की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
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